रास के रमइया की जयकारों से गूंजा ब्रम्ह चबूतरा
अन्तर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव का हुआ भव्य समापन
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भोपाल। मध्य प्रदेश में होरी की नगरी से विख्यात पन्ना नगरी में अन्तर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव अपने परम्परागत भव्यता के साथ 2 नवम्बर को सम्पन्न हो गया। प्रात: 9 बजे झीलना कार्यक्रम सम्पन्न होने के बाद जैसे ही अक्षरातीत परब्रह्म विजयाभिनंद बुद्ध निष्कलंक महामती प्राणनाथ जी की सेवा रासमण्डल से बंगला साहिब की तरफ रवाना हुई तो सुन्दरसाथ के कण्ठों से धाम के धनी की जयकारे से पन्ना का आसमान गुंजित हो उठा। नाचते-गाते नर-नारी श्रद्धालु अपने प्रीतम को बंगला साहिब मंदिर में आसन ग्रहण करने के साथ ही शरदपूर्णिमा महोत्सव अपनी भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ।
दस विदसीय चला महोत्सव
पवित्र नगरी धाम पन्ना में विजयादशमी से पंचमी तक चले इस दस दिवसीय महोत्सव में शरद पूर्णिमा पूनम की महारात्रि में श्रीजी की सवारी रास मण्डल में विराजमान हुई थी उसके पश्चात गुरुवार पंचमी के दिन के भोर होते ही रासमण्डल से विजयानंद बुद्ध निष्कलंक अवतार श्री प्राणनाथ जी (अखण्ड रास के रमइया) की सेवा बंगला साहिब में पधराने के साथ ही अन्तर्राष्ट्र्रीय शरदपूर्णिमा का आयोजन भव्यता के साथ सम्पन्न हो गया।
शरदपूर्णिमा से पंचमी एक महारात्रि
प्रणामी धर्मावलिम्बयों के अनुसार रासमण्डल जो शरदपूर्णिमा से पंचमी तक चलती है वास्तव में एक महारात्रि है। जिसमें महामति अनन्त स्वरूप धारण कर अपने सुन्दरसाथ के संग बृज की लीलाएं पुन: कलियुग में सम्पन्न करते हैं। इस महारात्रि मे सुन्दरसाथ श्रीजी को अपने पिया के स्वरूप में देखते हैं तथा सुख के अनंत दिव्य सागर में गोते लगाते हैं।
दही से भरी मटकी लेकर नाचे सुंदरसाथ
परम्परानुसार शोभायात्रा के साथ सजी हुई मटकी में दही भरकर नाचते सुंदरसाथ श्रृद्धालु नजर आये। इसमें एक तरफ जहां पुरूष श्रृद्धालु मटकी लेकर अपने आप में मग्न थे तो वहीं महिला श्रृद्धालु की टोली भी मटकी ले-लेकर श्रीजी की रिझाने की कोशिश कर रही थी. यह दृश्य देखते ही बनता था. सभी श्रृद्धालु एक बार अपने सिर में मटकी रखकर नाचने की कोशिश में दिख रहे थे।
उल्टी परिक्रमा कर ठगिनी माया को दिखाई पीठ
आज प्रात: से ही मंदिर में सुन्दरसाथ श्रीजी की सवारी का हिस्सा बनने तथा रास के बाद माया जो सभी प्राणीमात्र को अपने दूसरे पे नचाकर परमधाम जाने की राह में रोड़ा अटकाती है को पीठ दिखाकर उल्टी परिक्रमा कर यह जताने का प्रयास किया कि “हे माया ठगिनी अब हमें पारब्रम्ह से मिलने में तुम हमारा रास्ता नहीं रोक सकतीं हो। तत्पश्चात झीलना सम्पन्न कर विभिन्न प्रकार के गीतों, वाणी गायन, नृत्यों तथा मनमोहक संगीत की धुन पर जब श्रीजी की सवारी रासमण्डल से निकली तो धाम के धनी की जयकार व प्राणनाथ ऐयारे की जयकार से पन्ना का आसमान गूंज उठा. श्रीजी की सवारी अपनी भव्यता व अलौकिक तेज के दर्शन सुन्दरसाथ को कराती हुयी पुन: बंगला साहिब पहुंची. इस अवसर पर सुन्दरसाथ ने श्रीजी पर सुन्दर पुष्प मालाएं भेंट कर अपना जीवन सवारने तथा परमधाम में अपना स्थान बनाने की अपनी ललक के साथ अपनी-अपनी मनौती प्रभु के समक्ष रखी।
सुंदरसाथ ने रासमण्डल में उतारी आरती
सोमवार की सुबह जब इस महारास अपने समापन पर था और रासमण्डल ब्रम्हचबूतरे पर श्रृद्धालु उपस्थित थे। सुबह लगभग 08:30 बजे श्रीजी की रासमण्डल में आरती की गई जिसमें उपस्थित सैकड़ो श्रृद्धालुओं ने एक साथ आरती कर अपने आपको धन्य महसूस किया। विजय दशहरा से पंचमी तक चले अंतरराष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव के समापन उपरांत श्री 108 प्राणनाथ जी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महेश भाई पटेल, अमरेश शर्मा उपाध्यक्ष अभय शर्मा सचिव, न्यासी राकेश कुमार शर्मा, चंद्र कृष्ण त्रिपाठी, रंजीत शर्मा, प्रमोद कुमार शर्मा, दिनेश कुमार शर्मा, तिलक राज शर्मा, महा प्रबंधक देशभूषण शर्मा व उपप्रबंधक आशीष शर्मा ने इस महोत्सव का सफल आयोजन में सहयोग करने वाले समस्त जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, नगर पालिका प्रशासन, व्यापार मंडल सहित समाजसेवियों व समाज के लोगों का आभार व्यक्त किया और आगे भी सहयोग की अपेक्षा की।