चातुर्मास काल में धर्म की साधना आराधना करना हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए
भव्य चातुर्मास कलश स्थापना समारोह सतना में संपन्न
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भोपाल। मध्य प्रदेश के सतना शहर में स्थित श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर में चातुर्मास साधनारत मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज का 26 वां चातुर्मास कलश स्थापना समारोह 9 जुलाई को अर्हं योग विद्या सभागार पुराना पावर हाउस मैदान पर भव्य एवं गरिमामय समारोह पूर्वक संपन्न हुआ। समारोह का प्रारंभ आचार्य भगवान 108 श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। गुरुदेव के पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य मनोज पंड्या जी को प्राप्त हुआ तत्पश्चात गुरुदेव के चरण कमल में शास्त्र भेंट श्रद्धालुओं द्वारा किए गए। कार्यक्रम का प्रारंभ विद्यासागर पाठशाला के नन्हे-मुन्ने बच्चों के मंगलाचरण के साथ हुआ, तत्पश्चात जैन महिला क्लब एवं बालिका क्लब की भक्ति नृत्यों की प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया।
हर माह एक-एक कषाय क्रोध, मान, माया और लोभ का नाश करते चले-चंद्र सागर
उक्त मंगल कलश स्थापना समारोह को संबोधित करते हुए मुनि श्री चंद्र सागर जी महाराज ने कहा कि इन 4 महीनों में एक स्थान पर रुक कर खुद की साधना के साथ-साथ दूसरों को भी धर्म की साधना आराधना कराना इस चातुर्मास का उद्देश्य होता है। उन्होंने कहा कि इन चातुर्मास के चार महीनों में हम प्रयास करें कि हर माह एक-एक कषाय क्रोध, मान, माया और लोभ का नाश करते चले, उनको अपने जीवन से निकालते चले, उनका विनाश करते चलें, तो हमारा जीवन मंगलमय हो सकता है। हमारा जीवन उन्नति के शिखर पर पहुंच सकता है। हमें संकल्प लेना चाहिए कि चातुर्मास के इन 4 महीनों में हम अपने-अपने जीवन को आत्मा से परमात्मा की ओर ले जाने का प्रयास करेंगे।
अपने जीवन में अच्छे लक्ष्यों को निर्धारित करना चाहिए
विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज ने कहा की आज से लगभग 14 -15 वर्ष पूर्व सतना आना हुआ था, उस समय भी गुरुदेव का संकेत सतना में चातुर्मास का था किंतु ऐसी स्थितियां बनी कि 1 दिन रुक कर ही बिहार करना पड़ा और अन्य स्थान पर चातुर्मास हुआ। किन्तु इस बार ऐसा संयोग, ऐसा पुण्य, सतना शहर का प्रकट हुआ कि चातुर्मास के लिए गुरुदेव का संकेत सतना के लिए प्राप्त हुआ अर्थात जब किसी कार्य का योग और संयोग बनता है तभी वह कार्य फलीभूत होता है। हमें भी अपने जीवन में अच्छे लक्ष्यों को अपने जीवन में निर्धारित करना चाहिए और इस चातुर्मास काल में अपनी कषाय परिणामों को मंद करने का प्रयास करना चाहिए। तथा साथ ही साथ इस चातुर्मास काल में धर्म की साधना आराधना करना हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। मुनि श्री ने आगे कहा कि इस चातुर्मास काल में सीखने के लिए बहुत से शिविर, बहुत सी बातें, उनके द्वारा बताई जाएंगे।यह आपके ऊपर निर्धारित करता है आप कितना प्राप्त करना चाहते हैं।
देश के कोने-कोने से भक्त सतना आए
भव्य चातुर्मास कलश स्थापना समारोह में भक्तों का उत्साह देखने योग्य था। अर्हं योग विद्या सभागार में देश के कोने-कोने से हरियाणा के रेवाड़ी से दिल्ली एनसीआर, आगरा, जबलपुर, शहपुरा भिटौनी ,पनागर, कटनी, रीवा, एवं आसपास की जैन समाज के हजारों श्रद्धालु उपस्थित थे। श्रद्धालुओं का उत्साह दर्शनीय था। श्रद्धालुओं ने नाचते गाते गुरु की भक्ति की और गुरु चरणों में अपना सर्वस्व समर्पण करने की इच्छा को दोहराया। कार्यक्रम का समापन सहभोज के साथ संपन्न हुआ। बाहर से आए हुए अतिथि सतना नगर के आतिथ्य भाव से अभिभूत दिखे वहीं सतना के के सभी नवयुवक साथी विभिन्न व्यवस्थाओं में व्यस्त रहे।
प्रथम कलश स्थापन का सौभाग्य राजीव जी को प्राप्त हुआ
विभिन्न चातुर्मास कलश का बाहर से आए हुए एवं स्थानीय जिन भक्तों ने विधि विधान पूर्वक, उत्साह से स्थापन किया। प्रथम कलश स्थापन का सौभाग्य दिल्ली निवासी श्री राजीव जी को प्राप्त हुआ। वही दूसरे कलश का सौभाग्य श्री डीसी जैन साहब को तृतीय कलश का सौभाग्य श्री विजय कुमार जी को ,चतुर्थ कलश का सौभाग्य श्री मदन लाल जी को एवं पंचम कलश का सौभाग्य अरविंद जी को प्राप्त हुआ। इसके पश्चात कई भक्तों ने अनेकों कलशो को विधि विधान एवं उत्साह पूर्वक स्थापित किया। यह सभी चातुर्मास कलश मंगल क्रियाओं से परिपूर्ण होकर 5 माह श्री दिगंबर जैन मंदिर में विराजमान रहेंगे। इनमें विभिन्न मन्त्रों की आराधना की जाएगी और चातुर्मास की समाप्ति के पश्चात मंत्रों की शक्ति से परिपूर्ण कलश समिति द्वारा भक्तों को प्रदान किया जाएगा।
अर्हं योग अरहम ध्यान योग समिति रही आकर्षण का केंद्र
इस अवसर पर दिल्ली एवं आगरा से आए हुए अर्हं ध्यान योग समिति के समर्पित कार्यकर्ताओं का एक समूह आया। जिसके द्वारा अरहम ध्यान योग क्या होता है ,कैसे होता है और इसके क्या क्या फायदे हैं। इस विषय पर एक विस्तृत विवरण पंडाल में प्रदान किया गया। रोचक जानकारियों से उपस्थित जनसमूह अभिभूत रहा और अर्हम योग के प्रति अनायास आकर्षित हो रहा था। श्रद्धालुओं ने मुनि श्री के चरणों में यह उम्मीद रखी है कि आने वाले दिनों में सतना में भी अरहम ध्यान योग का एक विशाल शिविर लगाया जाए। जिससे जैन समाज ही नहीं वरन पूरे सतना शहर की जनता को लाभ मिल सके।