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नई दिल्ली। रिजर्व बैंक 2000 का नोट सर्कुलेशन से वापस लेगा, लेकिन मौजूदा नोट अमान्य नहीं होंगे। 2 हजार का नोट नवंबर 2016 में मार्केट में आया था। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए थे। इसकी जगह नए पैटर्न में 500 का नया नोट और 2000 का नोट जारी किया गया था।आरबीआई ने 2019 से 2 हजार के नोटों की छपाई बंद कर दी है। आरबीआई ने बैंकों को 23 मई से 30 सितंबर तक 2000 के नोट लेकर बदलने के निर्देश दिए हैं। एक बार में अधिकतम बीस हजार रुपए कीमत के नोट ही बदले जाएंगे। अब से ही बैंक 2000 के नोट इश्यू नहीं करेंगे।
कालाधन जमा करने वालों के लिए सहायक हो रहा था 2 हजार का नोट
2016 की नोटबंदी के समय केंद्र सरकार को उम्मीद थी कि भ्रष्टाचारियों के घरों के गद्दों-तकियों में भरकर रखा कम से कम 3-4 लाख करोड़ रुपए का काला धन बाहर आ जाएगा। पूरी कवायद में काला धन तो 1.3 लाख करोड़ ही बाहर आया. मगर नोटबंदी के समय जारी नए 500 और 2000 के नोटों में अब 9.21 लाख करोड़ गायब जरूर हो गए हैं। दरअसल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की 2016-17 से लेकर 2021-22 तक की एनुअल रिपोर्ट्स बताती हैं कि आरबीआई ने 2016 से लेकर अब तक 500 और 2000 के कुल 6,849 करोड़ करंसी नोट छापे थे। उनमें से 1,680 करोड़ से ज्यादा करंसी नोट सर्कुलेशन से गायब हैं। इन गायब नोटों की वैल्यू 9.21 लाख करोड़ रुपए है। इन गायब नोटों में वो नोट शामिल नहीं हैं जिन्हें खराब हो जाने के बाद आरबीआई ने नष्ट कर दिया।
कानून के मुताबिक ऐसी कोई भी रकम जिस पर टैक्स न चुकाया गया हो, ब्लैक मनी मानी जाती है। इस 9.21 लाख करोड़ रुपए में लोगों की घरों में जमा सेविंग्स भी शामिल हो सकती है। मगर उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान इत्र कारोबारी पर पड़े छापों से लेकर हाल में पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी के करीबियों के पड़े छापों तक हर जगह बरामद ब्लैक मनी में 95 प्रतिशत से ज्यादा 500 और 2000 के नोटों में ही था।
रकम का बड़ा हिस्सा ब्लैक मनी
आरबीआई के अधिकारी भी नाम न छापने की शर्त पर स्वीकार करते हैं कि सर्कुलेशन से गायब पैसा भले ही आधिकारिक तौर पर ब्लैक मनी न माना जाए मगर आशंका इसी की ज्यादा है कि इस रकम का बड़ा हिस्सा ब्लैक मनी है। यह तस्वीर 27 जुलाई, 2022 की है। पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के एक फ्लैट से ईडी को 50 करोड़ कैश मिला था। यह पूरी राशि 500 और 2000 के नोटों में ही थी।
अधिकारी यह मानते हैं कि काला धन जमा करने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल बड़े डिनॉमिनेशन के यानी 500 और 2000 के नोटों का इस्तेमाल होता है। शायद इसी वजह से 2019 से 2000 के नोटों की छपाई ही बंद है। मगर 500 के नए डिजाइन के नोटों की छपाई 2016 के मुकाबले 76 प्रतिशत बढ़ गई है।
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि घरों में इस तरह जमा कैश कुल काले धन का 2-3 प्रतिशत ही होता है। ऐसे में स्विस बैंक्स में जमा भारतीयों के काले धन पर 2018 की एक रिपोर्ट इस बात की आशंका बढ़ा देती है कि सर्कुलेशन से गायब 9.21 लाख करोड़ की राशि ब्लैक मनी ही हो। इस रिपोर्ट के मुताबिक स्विस बैंक्स में भारतीयों का काला धन 300 लाख करोड़ है। इस राशि का 3त्न करीब 9 लाख करोड़ रुपए ही होता है।