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नई दिल्ली। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार बनाएगी। शनिवार को आए विधानसभा चुनाव के नतीजों में पार्टी ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया। हालांकि रुझानों में दोपहर 12 बजे से पहले ही साफ हो गया था कि कांग्रेस जीत रही है।12 बजे कर्नाटक कांग्रेस चीफ डीके शिवकुमार घर की बालकनी पर आए, कांग्रेस का झंडा फहराया और कार्यकर्ताओं के सामने हाथ जोड़े। मीडिया के बीच पहुंचे तो भावुक हो उठे। कहा- जेल में सोनिया गांधी मिलने आई थीं, उनसे मैंने जीत का वादा किया था।
एक बजे के आसपास भाजपा ने हार मान ली। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सामने आए और कहा- नतीजों का एनालिसिस करेंगे, पार्टी लोकसभा चुनाव में दमदार वापसी करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाम 5.19 मिनट पर कांग्रेस को जीत की बधाई दी। समर्थन करने वालों का शुक्रिया किया। दोपहर 2:30 बजे राहुल गांधी दिल्ली में मीडिया के सामने आए। 6 बार मीडिया से नमस्ते कहा और 2 मिनट का वक्त मांगा। फिर बोले- हमने नफरत से लड़ाई नहीं लड़ी। कर्नाटक ने दिखा दिया कि देश को मोहब्बत पसंद है। हमारे जो मुख्य पांच वादे थे, वे पहली ही कैबिनेट बैठक में पूरे किए जाएंगे।
शांम सवा सात बजे बेंगलुरु में प्रेस कॉन्फ्रेस में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा- भाजपा हमें ताना मारती थी कि हम कांग्रेस मुक्त भारत बनाएंगे। अब यह सच्चाई है कि भाजपा दक्षिण भारत मुक्त हो चुकी है। राज्य की जनता ने फैसला किया और हमें 136 सीटें मिलीं। 36 साल बाद हमारी बड़ी जीत हुई है।
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा- यह कर्नाटक के स्वाभिमान की जीत है। मैं पार्टी कार्यकर्ताओं को बधाई देता हूं। कर्नाटक ने इतिहास रच दिया। देश को रोशनी दिखाई है। तहे दिल से देश के लाखों-लाख कार्यकर्ताओं और कर्नाटक की साढ़े छह करोड़ जनता का धन्यवाद।
अब इलेक्शन कमीशन के नतीजे और रुझान
पार्टी जीते आगे कुल
कांग्रेस 135 1 136
भाजपा 65 0 65
जेडीएस 19 0 19
अन्य 4 0 0 4
सीएम पद के तीनों चेहरों को मिली जीत
इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के कई बड़े चेहरों का राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा था। कांग्रेस के सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार, भाजपा के बसवराज बोम्मई प्रमुख फेस थे। ये तीनों चुनाव जीत गए। लेकिन बोम्मई और उनके 11 मंत्री जीते, 11 मंत्री हार गए। कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर मल्लिकार्जुन खडग़े के लिए भी यह बेहद अहम चुनाव था। एकतरफा जीत से पार्टी में उनका कद बढ़ेगा।
राज्य में 38 साल से सत्ता रिपीट नहीं हुई
आखिरी बार 1985 में रामकृष्ण हेगड़े के नेतृत्व वाली जनता पार्टी ने सत्ता में रहते हुए चुनाव जीता था। वहीं, पिछले पांच चुनाव (1999, 2004, 2008, 2013 और 2018) में से सिर्फ दो बार (1999, 2013) सिंगल पार्टी को बहुमत मिला। भाजपा 2004, 2008, 2018 में सबसे बड़ी पार्टी बनी। उसने बाहरी सपोर्ट से सरकार बनाई।
10 मई को 224 सीटों के लिए 2,615 उम्मीदवारों के लिए 5.13 करोड़ मतदाताओं ने वोट डाले। चुनाव आयोग के मुताबिक, कर्नाटक में 73.19 प्रतिशत मतदान हुआ है। यह 1957 के बाद राज्य के चुनावी इतिहास में सबसे ज्यादा है।
2018 में भाजपा को बहुमत नहीं… फिर भी सरकार बनाई
2018 में भाजपा ने 104, कांग्रेस ने 78 और जेडीएस ने 37 सीटें जीती थीं। किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। भाजपा से येदियुरप्पा ने 17 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन सदन में बहुमत साबित न कर पाने की वजह से 23 मई को इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनी।
14 महीने बाद कर्नाटक की सियासत ने फिर करवट ली। कांग्रेस और जेडीएस के कुछ विधायकों की बगावत के बाद कुमारस्वामी को कुर्सी छोडऩी पड़ी। इन बागियों को येदियुरप्पा ने भाजपा में मिलाया और 26 जुलाई 2019 को 119 विधायकों के समर्थन के साथ वे फिर मुख्यमंत्री बने, लेकिन 2 साल बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। भाजपा ने बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया।