बृज की होली जैसा खेला जाता है महामति प्राणनाथ मंदिर में अनोखा फागोत्सव
प्रेम रस में डूबे सुंदरसाथ खेलते हैं फूलों व रंगों की होली
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भोपाल। मध्य प्रदेश के बुंदेलखण्ड में स्थित पन्ना में एक ऐसा मंदिर भी है जहां सुंगधित फूलों व केशर के रंग से होली खेली जाती है। इस होली का आनंद लेने देश के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं और इस अनोखी होली का आनंद लेकर सराबोर होते हैं। पन्ना के श्री प्राणनाथ जी मंदिर में होली का त्यौहार मथुरा, वृंदावन से कम नहीं होता। यहां कैमिकल युक्तरंगों का प्रयोग नहीं होता सिर्फ फूल के रंग के साथ-साथ शुद्ध गुलाल जिसमें किसी प्रकार का कैमिकल नहीं होता उसी का उपयोग किया जाता है।
होली दण्ड की स्थापना के साथ रंग में डूबे भक्त
पन्ना धाम के मंदिरों में होली उत्सव की तैयारी शुरू हो जाती है। दण्ड स्थापना के दिन को मोहन होरी पर्व के रूप में मनाया जाता है। पन्ना धाम के मंदिरों में संध्या आरती के पश्चात दण्ड स्थापना की परंपरा होता है। लंवे गीले बास में लाल रंग की पताका लगाकर उसे किलकिला नदी के किनारे व ग्वालनपुरा वर्तमान गांधी चौक के आगे निर्दिष्ट स्थान हैं जहा धाम मोहल्ले की होली रचाई जाती है। हरे बांस की जड में सुपारी, हल्दी की गांठ और पूजन सामग्री अर्पित करकेठकी चौदहदिनों बाद फल्गुन शुक्ल पूर्णिमा पर इन्दी दोनों स्थानों पर धाम मोहल्ले की होली प्रावलित होती है। मोहन होरीकी रात्रि में सबसे पहले जो गीत धमार में गाया जाता है।
पन्ना में भी हैं एक बृज और बरसाना
मध्य प्रदेश में मंदिरों के शहर पन्ना जिले में रंगों के पर्व होली को बड़े ही अनूठे अंदाज में मनाया गया। बृज और वृन्दावन की तरह बुन्देल खण्ड के पन्ना में भी कृष्ण भक्ति परंपरा के विशेष त्यौहार होली को धूमधाम से मनाने की परम्परा है। जिसका निर्वहन आज भी उसी तरह किया जा रहा है। रंग पंचमी के दिन और उसके पहले से यहां रंगों का त्योहार मनाया गया। प्रणामी सम्प्रदाय के सबसे बड़े तीर्थ पन्ना धाम में किलकिला नदी के निकट एक ओर राधिका रानी का मंदिर है इस परिक्षेत्र को बरसाना कहते हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ दूरी पर कृष्ण और कृष्णलीला को केन्द्र में रखकर एक बृह्म चबूतरे की स्थापना है जहां श्री प्राणनाथ श्री कृष्ण की समस्त शक्तियों के साथ पूर्णबृह्म परमात्मा के रूप में विराजमान हैं। इस क्षेत्र को बृजभूमि और परना परम धाम कहते हैं। यहां बृज, बृन्दावन और बरसाने की तरह पारम्परिक होली मनाई गई।
मंदिर में पूरी रात चला फागोत्सव
पन्ना स्थित महारानी जी (राधिका जी) मंदिर में होलिका दहन के एक दिन पूर्व सोमवार को जागरण की रात प्रतिवर्ष की तरह मनाई गई। इस दिन श्री महारानी जी (राधिका जी) के मंदिर में विशेष श्रृंगार किया गया। रात्रि में भोग लगने के पश्चात लगभग 10 बजे महारानी के मंदिर के प्रांगण में श्रद्धालु एकत्रित होने लगते हैं फिर फ़ाग गायन का कार्यक्रम प्रारंभ हो जाता है। गोकुल सकल ग्वालिन, घर-घर खेलें फ़ाग…, बेंदा भाल बन्यो राधा प्यारी को…..तू वेदी भाल न दे री.. आज के फ़ाग उत्सव में राधिका जी केन्द्र में रहीं। दरअसल यह उन्हे फ़ाग खेलने का निमंत्रण है। दूसरे दिन गुम्बटजी एवं बंगला जी में पुन: फ़ाग गीतों का गायन होता है। इसके बाद चांदी की पिचकारी से केसर के रंग डाले जाते हैं। परिकल्पना यह है कि यहां राधा और कृष्ण मिलकर परस्पर भाग खेलते हैं। समस्त सुन्दरसाथ सखियों के रूप में गीत गाते हुये इस फ़ाग उत्सव में सम्मिलित होते हैं विशेषकर महिलाएं सोलह सिंगार कर पहुंचती हैं। देर रात तक यहां रंगारंग कार्यक्रम चलता रहा। उत्सव और उल्लास के इस अनूठे आयोजन का हिस्सा बनने के लिये देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पन्ना धाम पहुंचते हैं।