यदि फिलिस्तीन की कोई परिभाषा है, तो इसका अर्थ है इजरायल का खात्मा- ग्रीन प्रिंस
तेल अवीव
हमास किस तरह आतंक फैलाता है इसका खुलासा हमास के सह-संस्थापक शेख हसन यूसुफ के बेटे मोसाब हसन यूसुफ करते रहे हैं। अब उन्होंने एक बड़ा बयान दिया है। ग्रीन प्रिंस के नाम से जाने वाले मोसाब ने कहा, 'फिलिस्तीन इजरायल के विनाश पर निर्भर करता है। यदि फिलिस्तीन की कोई परिभाषा है, तो इसका अर्थ है इजरायल का खात्मा।' द जेरूसलम पोस्ट के कार्यक्रम में उन्होंने यह बातें कही। इसके अलावा उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर हम इस्लाम से नहीं लड़ेंगे तो दुनिया खतरे में है।
मोसाब एक पूर्व फिलिस्तीनी आतंकी हैं। 1997 में वह इजरायल चले गए और 2007 में यूएसए जाने तक वह इजरायली सुरक्षा एजेंसी शिन बेट के लिए जासूस के रूप में काम करते रहे। यूसुफ ने कहा, 'आपको पूछना होगा कि फिलिस्तीन क्या है? क्या यह एक जातीय समूह है? एक धर्म? एक विशिष्ट भाषा? क्या आपके पास धर्मग्रंथ है? क्या आप एक राष्ट्र हैं? क्या आप एक देश थे? इसमें से कोई नहीं तो फिलिस्तीन क्या है? फिलिस्तीन का उद्देश्य क्या है?'
फिलिस्तीन की स्थापना बेहद महंगा
उन्होंने टू स्टेट सॉल्यूशन के प्रति अपना विरोध जताया। उन्होंने घोषणा की, 'जो लोग दो राज्य समाधान का प्रतिनिधित्व करते हैं या तो वे चाहते हैं कि इजरायल का अस्तित्व समाप्त हो जाए, या वे इस अस्तित्वगत खतरे के बारे में नहीं जानते हैं।' उनके विचार से फिलिस्तीनी प्राधिकरण (PA) हमास से बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा, ' फिलिस्तीनी लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (PLO) की ओर से यह सारी वैश्विक अराजकता पीए के जरिए प्रबंधित की जाती है। यह हमास का प्रचार नहीं है।' उन्होंने कहा कि एक शत्रुतापूर्ण फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना बहुत महंगा है। आप उन्हें यहूदिया, सामरिया, पहाड़, घाटी नहीं दे सकते। यह एक डिफेंस लाइन है। उन्होंने कहा कि पीए उसी आतंकवाद से आता है जो हमास या मुस्लिम ब्रदरहुड से उत्पन्न किसी अन्य समूह से आता है।
इस्लाम से लड़ने की कही बात
रिपोर्ट के मुताबिक चर्चा की शुरुआत में यूसुफ ने लगभग 14 शताब्दी तक मुस्लिमों के हाथों यहूदियों के कत्लेआम के इतिहास का जिक्र किया। उन्होंने यहूदी लोगों की इसे मानने से इनकार करने की आलोचना की। उन्होंने कहा, 'मैं समझता हूं कि अगर यहूदी लोग इस तथ्य को स्वीकार करते हैं तो उन्हें बहुसंख्यक मुस्लिमों का सामना करना पड़ेगा।' उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर इजरायल के खिलाफ इतना प्रचार किया गया है कि जब लोग दिन में इसे हजारों बार देखते हैं तो वे इस पर विश्वास करने लगते हैं।