बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की बढ़ती लागत पर भारत-जापान में सहमति नहीं बन पा रही
नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट खटाई में पड़ता दिख रहा है। मुंबई और अहमदाबाद के बीच बन रहे बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को लेकर जापान और भारत में कई चीजों पर गतिरोध बना हुआ है। द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की अगुवाई में अधिकारियों की एक टीम हाल में जापान के तीन दिन के दौरे पर गई थी। सूत्रों के मुताबिक इस दौरान कई मुद्दों पर चर्चा हुई। जापान चाहता है कि इस प्रोजेक्ट के लिए ट्रेन सेट्स और सिग्नेलिंग सिस्टम की खरीदारी उसकी कंपनियों से की जाए। साथ ही प्रोजेक्ट का कॉस्ट और इसे पूरा करने की टाइमिंग को लेकर भी दोनों पक्षों में एक राय नहीं है। सरकार ने 2027 में मुंबई से अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चलाने का लक्ष्य रखा है।
सूत्रों की मानें तो वैष्णव के साथ रेलवे बोर्ड के मेंबर (इन्फ्रास्ट्रक्चर) अनिल कुमार खंडेलवाल, और नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड के एमडी विवेक कुमार गुप्ता भी जापान गए थे। प्रधानमंत्री मोदी इस साल के आखिर में सालाना शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए टोक्यो जाएंगे। अधिकारियों का कहना है कि 508 किमी लंबे बुलेट प्रोजेक्ट के लिए गुजरात और महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण का काम पूरा हो चुका है। 215 किमी वायडक्ट का काम भी पूरी हो चुका है। लेकिन रोलिंग स्टॉक यानी ट्रेन सेट और सिग्नल सिस्टम सप्लाई करने की कॉस्ट को लेकर भारत और जापान के बीच गतिरोध बना हुआ है।
कब शुरू होगा प्रोजेक्ट
जापान इस प्रोजेक्ट के लिए सभी तरह का टेक्निकल सपोर्ट और टेक्नोलॉजी मुहैया करा रहा है लेकिन उसकी शर्त है कि सिग्नेलिंग सिस्टम और ट्रेन सेट जापानी कंपनियों से ही खरीदे जाने चाहिए। जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी की लोन शर्तों के मुताबिक केवल जापानी कंपनियां जैसे कावासाकी और हिताची ही बिड में हिस्सा ले सकती हैं। प्रोजेक्ट की बढ़ती लागत पर भी सहमति नहीं बन पा रही है। इसके लिए कुल बजट 1.08 लाख करोड़ रुपये का है लेकिन उसमें से 60,372 करोड़ रुपये पहले ही खर्च हो चुके हैं।
इसका अधिकांश हिस्सा इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने में खर्च हुआ है। इससे ट्रेन सेट खरीदने और सिग्नेलिंग सिस्टम्स की स्थापना के लिए कम पैसा रह गया है। इससे साफ है कि प्रोजेक्ट की लागत और ऊपर जा सकती है। दिलचस्प बात है कि जापान की शिंकानसन टेक्नोलॉजी पर आधारित ट्रेन को आज से ठीक 60 साल पहले 1 अक्टूब, 1964 को शुरू किया गया था। माना जा रहा है कि यह मुंबई से अहमदाबाद की दूरी करीब तीन घंटे में पूरा करेगी। इस साल की शुरुआत में वैष्णव ने दावा किया था कि सूरत से बिलिमोरा के बीच बुलेट ट्रेन 2026 में शुरू होगी लेकिन अधिकारियों का कहना है कि यह डेडलाइन और आगे जा सकती है।