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बिहार : बाढ़ का रौद्र रूप, बकुची पावर प्लांट में घुसा पानी, उफान पर कोसी, गंडक, कमला बलान

 चम्पारण

बिहार (Bihar) में नदियां लोगों की जिंदगी के लिए मुसीबत का सबब बन गई हैं. नदियों के उफान से लोगों का जीना दूभर हो गया है. चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है, लोग जान बचाने के लिए अस्थायी नाव और अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल कर रह रहे हैं. सूबे के 13 जिलों में बिल्कुल खतरनाक माहौल बना हुआ है. अब खबर आई है कि मुजफ्फरपुर के कटरा स्थित बकुची पावर प्लांट में पानी घुस गया है. इसके पीछे की वजह कई नदियों के तटबंधों का टूटना है. बता दें कि बांधों के टूटने का असर भारत-नेपाल बॉर्डर से जुड़े जिलों पर भी पड़ा है.

एजेंसी के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि सीतामढ़ी के मधकौल गांव में बागमती नदी के तटबंध में दरार आ गई, जबकि पश्चिम चंपारण में गंडक नदी के बाएं तटबंध में पानी के ज्यादा दबाव की वजह से नुकसान हुआ है, जिसके बाद बाढ़ का पानी वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में घुस गया.
जरूरत पड़ने पर बिहार बुलाई जाएंगी NDRF की रिजर्व टीमें: केंद्रीय मंत्री

पटना में मीडिया से बात करते हुए नित्यानंद राय ने रविवार को बताया कि चंपारण और पूर्वी बिहार समेत कई ज़िलों में NDRF की टीमें तैनात हैं। बिहटा में तीन, वाराणसी में तीन और झारखंड में दो टीमें रिजर्व रखी गई हैं। इसके अलावा, पुरी और पश्चिम बंगाल की NDRF टीमें भी तैयार हैं, जिन्हें ज़रूरत पड़ने पर बिहार बुलाया जा सकता है।

बिहार में बाढ़ को लेकर एनडीआरएफ ने पूरी तैयारी कर ली है। राज्य सरकार से मिली किसी भी मांग पर हवाई सेवा भी उपलब्ध कराई जाएगी।

लालू-तेजस्वी को बिहार की जनता की परवाह नहीं: राय

तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव पर निशाना साधते हुए नित्यानंद राय ने कहा कि दोनों नेताओं को बिहार की जनता की कोई परवाह नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि कोविड महामारी के दौरान भी तेजस्वी यादव राज्य से बाहर चले गए थे। राय ने कहा, 'लालू यादव हों या तेजस्वी यादव, उन्हें बिहार के लोगों या बाढ़ जैसी समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है। लालू राज में ही बाढ़ राहत घोटाला हुआ था। दूध का घोटाला हुआ था। तब दूध के अभाव में बच्चों की मौत हो गई थी। महिलाओं की मौत हो गई थी।'

बगहा में गंडक नदी का तटबंध टूटा, कार्यपालक अभियंता निलंबित

बिहार में जल संसाधन विभाग ने अपने ही एक अधिकारी को निलंबित कर दिया है। बगहा में गंडक नदी का पानी चंपारण तटबंध को तोड़कर बह गया, जिसके बाद यह कार्रवाई हुई है। जल संसाधन विभाग का कहना है कि कार्यपालक अभियंता निशिकांत कुमार ने अपने काम में लापरवाही बरती और इसी वजह से यह हादसा हुआ।

निशिकांत कुमार बगहा के बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल में कार्यपालक अभियंता के पद पर तैनात थे। उन पर आरोप है कि उन्होंने न सिर्फ काम में लापरवाही बरती बल्कि स्थानीय प्रशासन के साथ तालमेल भी नहीं बिठाया। विभाग का कहना है कि अगर निशिकांत कुमार ने समय रहते ध्यान दिया होता और ज़रूरी कदम उठाए होते, तो तटबंध टूटने से रोका जा सकता था।

पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के बाद राज्य भर में गंडक, कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, महानंदा और गंगा नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है.

बिहार सरकार ने वाल्मीकिनगर और बीरपुर बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद राज्य के उत्तरी और मध्य भागों में कोसी, गंडक और गंगा जैसी उफनती नदियों के आसपास बाढ़ की चेतावनी जारी की है. बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद, 13 जिलों के 16.28 लाख से ज्यादा लोगों की स्थिति और खराब हो सकती है, जो पहले से ही भारी बारिश के कारण आई बाढ़ से प्रभावित हैं.

भारी बारिश की चेतावनी

अधिकारियों ने बताया कि इन दोनों बैराजों से भारी तादाद में पानी छोड़े जाने के बाद नदी का एक्स्ट्रा पानी पश्चिमी और पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, अररिया, सुपौल, कटिहार, पूर्णिया और कई अन्य जिलों के निचले इलाकों में प्रवेश कर गया है. बिहार के कई जिलों के लिए अलर्ट जारी कर दिया गया है क्योंकि आईएमडी ने भारी बारिश की भविष्यवाणी की है और राज्य के कुछ हिस्सों में अचानक बाढ़ आने की चेतावनी दी है.

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा शुक्रवार को जारी बुलेटिन में कहा गया है कि पश्चिमी और पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, सीवान, सारण, वैशाली, पटना, जहानाबाद, मधुबनी और भोजपुर जिलों में भारी बारिश होने की संभावना है.

गोपालगंज में भारी बारिश के बाद सरकारी अस्पताल में पानी घुस गया. राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने जिलों के प्रशासन को अलर्ट रहने और पूर्वानुमान के मद्देनजर एहतियाती कदम उठाने को कहा है.

अधिकारियों ने बताया कि बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना, समस्तीपुर, बेगूसराय, मुंगेर और भागलपुर सहित गंगा के किनारे स्थित लगभग 13 जिले पहले से ही बाढ़ जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं और मूसलाधार बारिश के बाद नदियों के बढ़ते जलस्तर से निचले इलाकों में रहने वाले लगभग 13.5 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. प्रभावित जिलों से बड़ी संख्या में लोगों को निकालकर राहत शिविरों में पहुंचाया गया है.

 

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