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एमपी चुनाव में भाजपा को डर दिखने लगा, ले रही संघ की मदद

उपेक्षा के कारण नाराज हैं भाजपा कार्यकर्ता

RealIndiaNews.com
भोपाल. जैसे-जैसे चुनाल नजदीक आते जा रहे हैं वैसे ही भाजपा को अपनी कमिया दिखना शुरु हो गई हैं। इस नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा नें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का सहारी लेने शुरु कर दिया है। पार्टी को मिले फीडबैक के मुताबिक कई विधानसभा क्षेत्रों में विधायक और मंत्रियों के एकाधिकार के कारण बहुत सारे कार्यकर्ता लंबे समय से उपेक्षित हैं। इसका असर चुनाव पर न पड़े, इसके लिए पार्टी अब संघ की मदद ले रही है।
कार्यकर्ताओं को मनाने बनाई गई वरिष्ठ नेताओं की डैमेज कंट्रोल टीम
पार्टी के सूत्र बताते हैं कि कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए वरिष्ठ नेताओं की डैमेज कंट्रोल टीम बनाई गई है। जो संघ के स्थानीय नेताओं की मदद से कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करेंगे। गौरतलब है कि भाजपा ने प्रदेश के 14 बड़े नेताओं को नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी, इन नेताओं ने कार्यकर्ताओं से संवाद तो किया लेकिन नाराजगी दूर कर पाने में कामयाब नहीं हुए।
विस चुनाव के पहले कार्यकर्ताओं का रखा जा रहा विशेष ख्याल
विधानसभा चुनाव नजदीक होने के कारण पार्टी चाहती है कि कार्यकर्ताओं की नाराजगी के कारण कहीं माहौल खराब न हो, इसका विशेष ख्याल रखा जाए। पार्टी के कार्यकर्ता नाराजगी के कारण भाजपा छोड़कर कांग्रेस में न जाएं, इस बात का विशेष ख्याल रखे जाने के निर्देश पार्टी की जिला इकाइयों को दिए गए हैं।
कार्यकर्ताओं का कहना मेरी सुनने वाला कोई नहीं
दरअसल भाजपा के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश और क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल के प्रदेश भ्रमण में यह निष्कर्ष सामने आया था कि निचले स्तर के कार्यकर्ता अपनी उपेक्षा के कारण नाराज हैं। यही वजह थी कि भाजपा ने प्रदेश के 14 बड़े नेताओं को पांच-पांच जिले सौंपकर सभी नाराज नेताओं के साथ संवाद भी करवाया था, लेकिन मामला संवाद तक ही रह गया। अब विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और नाराज कार्यकर्ताओं की पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है।
बड़े नेताओं ने खोया कार्यकर्ताओं का भरोसा
कार्यकर्ताओं की सुस्ती या निष्क्रियता की अन्य वजह यह है कि अंचल के बड़े नेताओं ने भी उनका भरोसा खो दिया है, जिसके चलते वे उनके सामने अपनी बात नहीं रखते हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के संभाग व जिलों के दौरों में पता चला है कि अपने एकाधिकार के कारण कई विधायक और मंत्रियों ने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की है। साथ में उन्हें न तो संगठन में एडजेस्ट होने दिया और न ही किसी समिति या अन्य उपक्रम में उपकृत किया। पूरे कार्यकाल में विधायकों ने सिर्फ अपनों को ही उपकृत किया है। जिसके चलते कार्यकर्ता घर से बाहर नहीं निकल रहा है। अथवा चुनाव में सबक सिखाने के उद्देश्य से काम कर रहा है। पार्टी नेताओं का सोचना है कि ऐसा हुआ तो चुनाव में कई क्षेत्रों में नुकसान उठाना पड़ सकता है। बड़े नेताओं दौरों में कई कार्यकर्ताओं ने चेतावनी भरे अंदाज में अपना संदेश भी दिया है। ऐन चुनाव से पहले असंतोष के स्वर थामना पार्टी की चुनौती है।
पार्टी की अब असंतुष्टों पर नजर
पार्टी अब उन असंतुष्ट कार्यकर्ताओं पर नजर रख रही है जो चुनाव में दिक्कत दे सकते हैं। विधानसभावार ऐसे कार्यकर्ताओं की सूची तैयार कर रही है। ऐसे कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी की डेमेज कंट्रोल टीम बात करेगी। इसके लिए स्थानीय स्तर पर संघ नेताओं की मदद ली जाएगी। संघ नेताओं की मदद से उन कार्यकर्ताओं बातचीत कर उन्हें मनाया जाएगा। पार्टी नेताओं का मानना है कि जनता भाजपा के साथ है इसलिए कार्यकर्ताओं को देर सबेर मना लिया जाएगा। चुनावी युद्ध में हर सीट पर कार्यकर्ता एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे।

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