विदेश

तितलियों ने यूरोप से दक्षिण अमेरिका की 4200 किमी की यात्रा बिना रुके की पूरी

न्यूयॉर्क
 रंग-बिरंगी तितलियों को उड़ते देखकर हर किसी का मन उमंग से भर ही जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये तितलियां एक शानदार प्रवासी होती हैं, जो हजारों किलोमीटर दूर तक यात्रा करती हैं। वैज्ञानिकों को अब इस बात के प्रमाण मिले हैं कि तितलियों के एक समूह ने बिना रुके अटलांटिक महासागर में 4200 किलोमीटर (2600 मील) से अधिक की उड़ान भरी। इस खोज के साथ ही एक दशक से अधिक समय से चले आ रहे रहस्य से पर्दा उठ गया है। नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पेंटेड लेडी तितलियों की इस लंबी यात्रा के बारे में जानकारी दी है।

एंटोमोलॉजिस्ट और शोध के प्रमुख लेखक डॉ. जेरार्ड टैलेवेरा ने दक्षिण अमेरिका के फ्रेंच गुयाना के एक समुद्र तट पर लगभग 10 पेंटेड लेडी तितलियां देखीं थीं। टैलेवेरा के लिए ये हैरान करने वाला था, क्यों ये तितलियां आमतौर पर दक्षिण अमेरिका में नहीं पाई जाती हैं। बर्सिलोना के बॉटनिकल इंस्टीट्यूट में स्पेनिश नेशनल रिसर्च काउंसिल में वरिष्ठ शोधकर्ता टैलवेरा ने कहा, 'तितलियों को देखकर ऐसा लग रहा था कि वे थकी हुई हैं। वे उड़ भी नहीं पा रही थीं। वे उड़ने के बजाय उछलते थे। मेरे दिमाग में यही आया कि ये लंबी दूरी की प्रवासी हैं, लेकिन तितलियों के लिए एक पूरा महासागर पार करने के बारे में कभी सुना नहीं गया था।' इसके बाद टालवेरा और उनके सहयोगियों ने जब अध्ययन किया तो पाया कि इन तितलियों ने वह कर दिखाया जो पहले अंसभव माना जाता था।

तितलियां कैसे भरती हैं उड़ान

2016 में टैलवेरा द्वारा सह-लिखित एक अध्ययन में पाया गया था कि पेंटेड लेडीज तितलियां यूरोप से लगभग 4000 किलोमीटर की दूरी तय करके उप-सहारा अफ्रीका में निवास करती हैं। इस दौरान उन्हें भूमध्य सागर और सहारा रेगिस्तान को पार करना पड़ता है, लेकिन फिर भी पूरे सफर में तितलियां ज्यादातर जमीन पर रहती हैं। जहां वे भोजन के लिए रुक सकती हैं। नया अध्ययन बताता है कि पेंटेड लेडी को अटलांटिक पार करने में पांच से आठ दिन लगे। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि तितलियां बिना रुके अधिकतक 780 किलोमीटर या उससे अधिक की उड़ान भर सकती हैं लेकिन अनुकूल हवा की स्थिति ने उन्हें लंबी यात्रा पूरी करने की अनुमति दी।

उड़ान को कैसे किया गया ट्रैक

शोधकर्ताओं का मानना है कि तितलियां संभवतः भूमध्य रेखा के पास पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाओं का सहारा लेती हैं और इस तरह वे दक्षिण अमेरिका की जमीन पर पहुंच जाती हैं। ये जानने के लिए कि क्या तितलियां वास्तव में समुद्र के पार की यात्रा करती हैं, शोधकर्ताओं ने उनके डीएनए का विश्लेषण किया। इसमें पाया गया कि यह यूरोपी-अफ्रीकी डीएनए से मेल खाता है। इसके अलावा टीम ने आइसोटोप ट्रेसिंग नामक तकनीक का इस्तेमाल किया। इससे तितलियों के पंखों की संरचना देखकर पता लगाया जाता है कि उन्होंने किस तरह के पौधे खाए थे। इस पद्धति से वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि तितलियों का जन्मस्थान पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका या पश्चिमी अफ्रीका में से कोई एक है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button