विदेश

चीन की कंपनियां अपनी मिलिशिया यूनिट बना रहीं, चीन में आखिर चल क्या रहा है?

बीजिंग
 आर्थिक मोर्चे पर कई तरह की दिक्कतों का सामना कर रहे चीन में कई साल बाद एक नई चीज देखने को मिल रही है। चीन की कंपनियां अपनी-अपनी वॉलंटियर आर्मी बनाने में जुटी हैं। 1970 के दशक के बाद देश में पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है। पिछले एक साल में कम से कम 16 कंपनियां अपने लड़ाकुओं की सेना तैयार कर चुकी है। इनमें एक प्राइवेट कंपनी भी है जो डेरी इंडस्ट्री से जुड़ी है। कंपनियों की प्राइवेट आर्मी को पीपुल्स आर्म्ड फोर्सेज डिपार्टमेंट्स के नाम से जाना जाता है। इनमें सिविलियन लोग भी शामिल हैं। ये चीन की सेना के लिए रिजर्व और ऑक्जिलरी फोर्स का काम करती हैं। प्राकृतिक आपदाओं से लेकर देश में व्यवस्था बनाने में इनकी भूमिका होती है।

जानकारों का कहना है कि कंपनियों द्वारा प्राइवेट आर्मी का गठन करना इस बात का संकेत है कि चीन की सरकार इकॉनमी को लेकर चिंतित है। उसे लग रहा है कि आर्थिक हालात खराब होने से देश में अशांति फैल सकती है। इस स्थिति से निपटने के लिए कंपनियां निजी आर्मी तैयार कर रही हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग देश में कम्युनिस्ट पार्टी का कंट्रोल मजबूत करना चाहते हैं। इसमें कॉरपोरेट सेक्टर भी शामिल है। सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के सेंटर फॉर चाइना एनालिसिस में फेलो फॉर चाइनीज पॉलिटिक्स के फेलो नील थॉमस ने कहा कि चीन में कॉरपोरेट मिलिशिया की वापसी इस बात का संकेत है कि शी देश में नेशनल सिक्योरिटी को आर्थिक विकास के साथ बेहतर तरीके से जोड़ना चाहते हैं।

सामाजिक अशांति की आशंका

चीन की इकॉनमिक ग्रोथ में धीरे-धीरे गिरावट आ रही है और कई देशों के साथ उसका तनाव बढ़ता जा रहा है। इससे आने वाले दिनों में देश में सामाजिक अशांति और हड़ताल की आशंका है। ऐसे में इस तरह के आंदोलनों को कुचलने के लिए कॉरपोरेट मिलिशिया मिलिट्री लीटरशिप की मदद कर सकता है। 2023 में चीन की इकॉनमी 5.2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी। लेकिन देश की इकॉनमी को कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। रियल एस्टेट सेक्टर संकट में है, युवा बेरोजगारी चरम पर है, डिफ्लेशन का दबाव है, कॉरपोरेट डिफॉल्ट बढ़ रहा है और स्थानीय सरकारें कर्ज में डूबी हैं। 2022 की तुलना में 2023 में लेबर स्ट्राइक की संख्या दोगुना हो गई। एक साल पहले जेंगझू में आईफोन की दुनिया की सबसे बड़ी फैक्ट्री में प्रदर्शनकारी पुलिस से उलझ गए थे।

अब तक जिन कंपनियों ने मिलिशिया बनाने की घोषणा की है, उनमें से ज्यादातर सरकारी हैं। दिसंबर में दुनिया की सबसे बड़ी डेरी कंपनी Yili Group ने मिलिट्री यूनिट बनाने की घोषणा की थी। इस कंपनी में लोकल गवर्नमेंट की 8.5 फीसदी हिस्सेदारी है। चीन के मिलिट्री सर्विल लॉ के मुताबिक 18 से 35 साल की उम्र के पुरुष इस यूनिट में भर्ती हो सकते हैं। चीन में इस तरह की यूनिट का लंबा इतिहास रहा है। 1920 के दशक से ही इस तरह की यूनिट बननी शुरू हो गई थी। उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी को सपोर्ट किया था। साल 1949 में कम्युनिस्ट पार्टी के देश पर कंट्रोल करने के बाद इन यूनिट्स को सरकारों, स्कूलों और कंपनियों में शामिल किया गया। 1949 से 1976 तक माओ के दौर में इनका दबदबा रहा। 1950 के दशक में 22 करोड़ लोग इसके सदस्य थे। 1976 में माओ की मौत के बाद इनकी संख्या में कमी आई और 2011 में इसकी संख्या 80 लाख रह गई थी।

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