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बिना जांच-पड़ताल के फल फूल रहा दूषित पेयजल का व्यापार

दूषित पानी पीने से हो रहे शहर के लोग बिमार

Realindianews.com
भोपाल। प्रदेश के हर शहर में सैकड़ों लोग रोज कैन के पानी की शुद्धता पर विश्वास कर रुपए देकर भी अपनी सेहत से खुलेआम खिलवाड़ कर रहे हैं। जिससे बारिश के सीजन में पेट संबंधी बीमारियां और उल्टी, दस्त, पेचिश, आंत्रशोध जैसी बीमारियों की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। इस कारोबार से जुड़े ज्यादातर लोग राजनीतिक पकड़ वाले हैं। हर शहर में लगभग 30 से 50 आरओ वॉटर कैन प्लांट संचालित हैं। जिनमें कई नियमों की अनदेखी कर कारोबार धड़ल्ले से किया जा रहा है। गर्मी के मौसम में खपत बढऩे पर साफ-सफाई तक का ध्यान नहीं रखा जाता है।
ठंडे पानी की डिमांड अधिक
गर्मी में भूमिगत जल स्तर में कमी आती है। इसी दौरान ठंडे पानी की डिमांड बढ़ती है। पानी का प्लांट चलाने वाले 200 मिली की बोतल भी पैक करते हैं। वहीं पानी पाउच पर एक्सपायर डेट का उल्लेख नहीं होता। जनप्रतिनिधियों के आयोजनों, प्रशासनिक अफसरों की बैठकों में भी यही बोतलें, पाउच, कैन का पानी सभी को पिलाया जाता है, लेकिन कभी इसकी जांच जरुरी नहीं समझी जाती।


बचे पानी को पुन: कैन में भरा जाता है
पानी के कैन लोडिंग ऑटो दिनभर सप्लाई के लिए घूमते हैं। इस दौरान खाली कैन वापस भी ली जाती है। फिर सभी कैन में बचे पानी को छानकर नई कैन में भर देते है, इसमें थोड़ा ताजा पानी मिलाकर किसी भी ग्राहक के यहां सप्लाई कर दिया जाता है। जिससे सप्लायर को नुकसान न हो। बचे हुए पानी से नई कैन तैयार करने का काम किसी भी शहर में कहीं भी किसी भी लोडिंग ऑटो पर खुलेआम देखा जा सकता है।गर्मी में प्लांट में पानी की कमी हो जाती है।


टैंकर का पानी कैन में बेचा रहे
हर शहर में फ्री बंटने वाले टैंकर का पानी को भी कैन में भर का ठंडा कर बेचा जाता है। कर्मचारियों की मानें तो सही प्रोसेस से पानी को आरओ करने में करीब 40 फीसदी मात्रा बेकार चली जाती है। इस नुकसान से बचने के लिए ज्यादातर लोग केवल इसे ठंडा करके ही बेचते हैं।
पानी में सभी जरूरी तत्व होना चाहिए
चिकित्सक का कहना है कि पीने के लिए हमेशा साफ पानी का उपयोग करना चाहिए। यदि पानी किसी भी प्रकार से दूषित होता तो वह पेट से संबंधित कई बीमारियों का कारण बन सकता है। पानी का स्वाद और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए उसमें सभी जरूरी तत्व होना चाहिए। ऐसा न होने पर पानी सेहत के लिए फायदेमंद नहीं होता है। पेट संबंधी ज्यादातर बीमारियों का कारण प्रदूषित जल है।


कैन पर जानकारी दर्ज नहीं
निजी व सरकारी कार्यक्रमों सहित विभिन्न दफ्तरों में भी कैन के पानी के उपयोग का चलन फैशन सा बनता जा रहा है। कलेक्ट्रेट के दर्जनों विभाग, जिला अस्पताल, सीएमएचओ आफिस, तहसील आफिस सहित दुकानों पर भी पानी के लिए लोग 18 लीटर वाली कैन लेने लगे हैं। शहर में करीब 20 से ज्यादा प्लांट चल रहे हैं, लेकिन किसी भी कैन पर पानी में शामिल मिनरल, उसमें शामिल जरूरी तत्व, कीमत, शिकायत के लिए नंबर, पानी को उपयोग करने की अवधि के बारे में कोई जानकारी नहीं लिखी है। एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एफएसओ रेंडमली सैंपल लेते हैं, मासिक जांच का कोई नियम नहीं है। सवारी ढोने में काम आने वाले ऑटो भी कैन सप्लाई में उपयोग हो रहे हैं।


जरूरी शर्तें
-आरओ-प्लांट की फर्म को सेल्स टैक्स देना पड़ता है।
-श्रम विभाग में प्लांट में काम करने वाले कर्मचारियों का रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है।
-आरओ प्लांट पानी की हर माह जांच रिपोर्ट भेजनी पड़ती है।
-प्लांट चलाने के लिए कामर्शियल विद्युत कनेक्शन होना चाहिए।

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