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राजस्थान में गलत टिकट वितरण और गुटबाजी ने के कारण हारे: बीजेपी

जयपुर.

लोकसभा चुनावों में 11 सीटों पर हुई हार के पीछे खराब टिकट बंटवारा, संगठन और सरकार में तालमेल नहीं होना, अफसरशाही का हावी होना, आपसी फूट और गुटबाजी बड़ा कारण रही है। वरिष्ठ नेताओं के सामने हारे हुए उम्मीदवारों और फील्ड पर काम कर रहे नेताओं ने हार के कारण गिनाए हैं। कई प्रत्याशियों ने कहा- बहुत सी जगहों पर अपनों ने ही हरवाया है। स्थानीय नेताओं के फीडबैक में सामने आया है कि ग्राउंड पर सब कुछ ठीक नहीं था।

बीजेपी मुख्यालय में पिछले दो दिनों से चल रही फीडबैक बैठक में शनिवार को टोंक-सवाई माधोपुर, दौसा, झुंझुनू, नागौर, सीकर, चूरू, बाड़मेर सीटों पर हार के कारणों का स्थानीय नेताओं से फीडबैक लिया गया। वहीं रविवार को चार सीटों, बांसवाड़ा, करौली-धौलपुर, भरतपुर और श्रीगंगानगर पर हार की समीक्षा की गई। सीएम भजनलाल शर्मा भी इस मीटिंग में कुछ देर के लिए पहुंचे थे। अब बड़ा सवाल यह है कि चुनाव में 11 सीटें हारने के बाद अब इस फीडबैक बैठक से बीजेपी क्या हासिल करना चाहती है, क्योंकि ये सभी कारण तो चुनावों के दौरान साफ सुनाई और दिखाई दे रहे थे। इससे भी बड़ी बात है कि लोकसभा चुनावों के बाद भी बीजेपी में इन फैक्टर्स को लेकर कोई बदलाव नहीं हुआ है। स्थितियां पहले जैसी थीं, अब भी वैसी ही हैं।

बड़े नेताओं पर कोई एक्शन नहीं
पार्टी के ग्राउंड वर्कर्स से बात करें तो वे भी यह मानते हैं कि ये फीडबैक बैठकें महज औपचारिकता हैं, क्योंकि इतनी बड़ी हार के बाद भी किसी बड़े नेता की कोई जिम्मेदारी तय नहीं की गई। यहां तक कि जिन मुद्दों को लेकर कार्यकर्ता नाराज थे, उनकी भी कोई सुनवाई नहीं हो रही।

संघ की बैठकों में भी खुलकर सामने आई नाराजगी
चुनावी नतीजों के बाद आरएसएस के स्तर पर भी जिलों में ऐसी बैठकें ली गईं, जिनमें संघ कार्यकर्ताओं ने ही पार्टी में टिकट बंटवारे में धांधली के आरोप लगाए। यहां तक कि पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्षों ने कहा कि उन्हें चुनावों के दौरान साइड लाइन कर दिया गया।

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