भाजपा की जीत और मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद पर आसीन कराने के लिए उज्जैन में अनुष्ठान
उज्जैन
देश में लोकसभा चुनाव के छह चरण के मतदान संपन्न हो चुके हैं और सातवें एवं अंतिम चरण का मतदान एक जून को होना है। इसके बाद 04 जून को मतों की गिनती होगी। इसी बीच नरेन्द्र मोदी को लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने को लेकर अनुष्ठान भी शुरू हो गए हैं। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में एक अनुष्ठान शुरू हुआ है, जिसमें पितृ दोष दूर करने के लिए पिशाच मुक्तेश्वर महादेव की आराधना की जा रही है। यह अनुष्ठान लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत और मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद पर आसीन कराने के लिए किया जा रहा है।
उज्जैन श्मशान भूमि शोध संस्थान में मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के रामघाट पर शिप्रा आरती द्वार के पास धर्मराज मंदिर के सामने पिशाच मुक्तेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। जानकारों की मानें तो पितृ दोष से मुक्ति के लिए पिशाच मुक्तरेश्वर की साधना की जाती है। यहां मंगलवार को अनुष्ठान शुरू हुआ है, जिसका उद्देश्य लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत सुनिश्चित कराना है। अनुष्ठान में पितृ दोष दूर करने के लिए पिशाच मुक्तेश्वर महादेव की आराधना की जा रही है। यह रोजाना शाम 8 बजे से शुरू होकर रात 10 बजे तक चलेगा।
अनुष्ठान के संयोजक पंडित रामनरेश शुक्ला ने बुधवार को बताया कि भाजपा की पूर्ण बहुमत से सरकार बने और मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनें, इस कामना के साथ पिशाच मुक्तेश्वर महादेव की साधना की जा रही है। मोदी के शपथ ग्रहण समारोह तक उक्त संकल्प के निमित्त विशेष पूजा की जाएगी। देश के चहुंमुखी विकास के लिए यह अनुष्ठान शुरू किया गया है।
उल्लेखनीय है कि भगवान शिव की नगरी उज्जैन में 84 महादेव विराजमान हैं। इनमें से 68वें नंबर पर महादेव पिचाश मुक्तरेश्वर महादेव का मंदिर है। स्कंद पुराण के अवंतिका खंड में भी पिशाच मुक्तेश्वर का उल्लेख मिलता है। शिप्रा नदी के रामघाट पर पिंड विसर्जन करने से पहले पिशाच मुक्तेश्वर के दर्शन करने की मान्यता है, ताकि पितरों को पिशाच की योनि न मिले। पिशाच मुक्तेश्वर महादेव मंदिर में काले पाषाण का शिवलिंग है। मान्यता है कि इस शिवलिंग के दर्शन करने से मौत के बाद पिशाच योनि नहीं मिलती है। पिशाच मुक्तेश्वर महादेव की पूजा अर्चना करने से पितृ मुक्त हो जाते हैं।