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दुमका लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार को मिल रही झामुमो प्रत्याशी से जोरदार चुनौती

दुमका

झारखंड में अजजा सुरक्षित दुमका लोकसभा क्षेत्र 80 के दशक से झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का अभेद दुर्ग रहा है। झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन आठ बार इस क्षेत्र से चुनाव जीत कर संसद में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं पिछले चुनाव में कभी उनके शिष्य रहे सुनील सोरेन ने यह सीट उनसे छीन कर भाजपा की झोली में डाल दिया था। भाजपा को इस बार अपनी सीट को बरकरार रखने की बहुत बड़ी चुनौती है।

इस बार भाजपा ने ऐन वक्त पर अपना योद्धा भी बदल दिया है और झामुमो सुप्रीमो की बड़ी बहु सीता सोरेन के हाथ में कमल थमा दिया है। आजादी के बाद इस क्षेत्र में अभी तक उपचुनाव सहित सम्पन्न 18 चुनावों में पांच बार कांग्रेस, एक बार उपचुनाव सहित आठ बार झामुमो, तीन बार भाजपा, झारखंड पार्टी और जनता पार्टी के प्रत्याशी एक -एक बन चुनाव जीतने में सफल हुए। 1951-52 में सम्पन्न प्रथम लोकसभा के चुनाव में दुमका संताल परगना सह हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से जुड़ा था। जहां से सामान्य और अजजा से एक एक सदस्य सहित दो सांसद चुने जाते थे। प्रथम चुनाव में इस क्षेत्र से सामान्य वर्ग से प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी राम राज जजबाड़े और अजजा से लाल हेम्ब्रम कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गये थे। 1957 में दुमका लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया। इस चुनाव में भी दो सदस्यों के चुनाव का प्रावधान किया गया।

द्वितीय लोकसभा के चुनाव में सामान्य वर्ग से झारखंड पार्टी के टिकट पर सुरेश चौधरी और अजजा से इसी पार्टी के देवी सोरेन सांसद चुने गये । 1962 में स्वतंत्र रूप से दुमका लोकसभा क्षेत्र अजजा के लिए सुरक्षित किये जाने और एक सदस्य चुने जाने के प्रावधान के साथ अस्तित्व में आया। 1962 में सम्पन्न तृतीय लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस के टिकट सत्य चरण बेसरा सांसद निर्वाचित हुए। कांग्रेस के सत्य चरण बेसरा 1967 और 1971 में लगातार तीन बार इस क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने जाते रहे।

1977 में आपातकाल के बाद सम्पन्न चुनाव में जनसंघ घटक के बटेश्वर हेम्ब्रम ने जनता पार्टी के टिकट पर इस सीट पर जीत दर्ज की। वहीं 1980 में झामुमो के शिबू सोरेन बतौर निर्दलीय महज साढ़े तीन हजार मतों के अंतर से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के पृथ्वी चन्द्र किस्कू को पराजित कर पहली बार सांसद चुने गये। लेकिन 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के पक्ष चली प्रचंड बयार में झामुमो के दिग्गज शिबू सोरेन कांग्रेस के पृथ्वी चन्द्र किस्कू से पराजित हो गए।

वर्ष 1989 में झामुमो के शिबू सोरेन ने एक बार फिर इस सीट पर कब्जा कर लिया। इसके बाद वे 1991 और 1996 में लगातार तीन बार चुनाव जीत कर हैट्रिक लगाने में सफल हुए। 1998 में भाजपा के बाबूलाल मरांडी ने झामुमो के शिबू सोरेन को परास्त कर पहली बार इस क्षेत्र से कमल खिलाने में कामयाब हुए और केन्द्र में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री बने। 1999 में भी बाबूलाल मरांडी झामुमो प्रत्याशी और शिबू सोरेन की पत्नी रुपी सोरेन किस्कू को हराकर दूसरी बार संसद पहुंचे। इस बार भी उन्हें केन्द्र में वन एवं पर्यावरण मंत्री की जिम्मेदारी मिली ।

वर्ष15 नवम्बर 2000 में अलग झारखंड राज्य का गठन किया गया। भाजपा के बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में नवगठित झारखंड में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन राजग की पहली सरकार बनी। इस कारण बाबूलाल मरांडी ने दुमका के सांसद पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद 2002 में इस क्षेत्र में लोकसभा का उपचुनाव कराया गया। जिसमें झामुमो के शिबू सोरेन ने भाजपा के रमेश हेम्ब्रम को हराकर एक बार फिर इस सीट पर झामुमो का परचम लहराया।

वर्ष 2004 में शिबू सोरेन ने भाजपा के सोने लाल हेम्ब्रम को हराकर इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा। इसके बाद 2009 और 2014 में भी झामुमो के शिबू सोरेन का इस सीट पर कब्जा बरकरार रहा। इन दोनों चुनावों में भाजपा के सुनील सोरेन मामूली वोटों के अंतर से झामुमो के शिबू सोरेन के हाथों पराजित होते रहे। 2019 में भाजपा ने पासा पलट दिया और भाजपा के सुनील सोरेन तीसरे प्रयास में झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को परास्त करने में सफल हुए। 2024 में होने वाले चुनाव में शुरुआत में पार्टी ने वर्तमान सांसद सुनील सोरेन को एक बार फिर टिकट देने की घोषणा की। लेकिन इस बीच शिबू सोरेन की बड़ी पुत्र बधु सीता सोरेन ने अपने परिवार की पार्टी झामुमो से बगावत कर दी और भाजपा में शामिल हो गयीं। इसके बाद पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव कर सुनील सोरेन से टिकट वापस लेकर सीता सोरेन को मैदान में उतार दिया है ।

इधर झामुमो ने साढ़े चार दशक में पहली बार परिवार से बाहर शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र से लगातार सात बार विधायक चुने जाते रहे नलिन सोरेन को मैदान में उतार कर भाजपा के सामने चुनौती पेश कर दी है। 2019 में सम्पन्न लोकसभा के चुनाव में इस क्षेत्र के चार विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की कश्ती डूबो दिया था।

दुमका लोकसभा क्षेत्र छह विधानसभा क्षेत्रों में फैला है। इसमें दुमका जिले में अजजा के लिए सुरक्षित शिकारीपाड़ा, दुमका, जामा और नाला विधानसभा क्षेत्र पर झामुमो का कब्जा है। जबकि जामताड़ा पर कांग्रेस और सारठ विधानसभा क्षेत्र पर भाजपा का कब्जा है। दुमका के उपायुक्त इस लोकसभा क्षेत्र के निर्वाची पदाधिकारी होते हैं। इस लोकसभा सीट से जुड़े इन छह विधानसभा क्षेत्रों में 2019 में सम्पन्न विधानसभा चुनाव में झामुमो के टिकट पर शिकारीपाड़ा से नलिन सोरेन, जामा से शिबू सोरेन की बड़ी पुत्र बधु वर्तमान में भाजपा प्रत्याशी सीता सोरेन,दुमका से हेमंत सोरेन और नाला से रविन्द्र नाथ महतो विधायक चुने गए ।

जबकि जामताड़ा से कांग्रेस के इरफान अंसारी और सारठ से भाजपा के रणधीर सिंह विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। लेकिन बाद में हेमंत सोरेन ने दुमका सीट से इस्तीफा दे दिया और राज्य के मुख्यमंत्री बने। इस वजह से 2020 में इस क्षेत्र में कराये गये उपचुनाव में शिबू सोरेन के छोटे पुत्र बसंत सोरेन यहां से विधायक निर्वाचित हुए, जो वर्तमान में चम्पई सोरेन सरकार में पथ निर्माण मंत्री हैं। जबकि शिबू सोरेन की बड़ी पुत्र बधु सीता सोरेन झामुमो छोड़ भाजपा में शामिल होकर इस क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर जंग जीतने के लिए जीतोड़ प्रयास कर रही हैं।

इस बदले राजनीतिक हालात ने इस क्षेत्र के गणित को गडमड कर दिया है। जबकि झामुमो नेतृत्व ने अपने परिवार के किसी सदस्य को मैदान में उतारने के बदले शिकारीपाड़ा से लगातार सात बार से विधायक चुने जाते रहे नलिन सोरेन को अपना योद्धा बना कर इस क्षेत्र में चुनावी जंग को दिलचस्प बना दिया है।

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के सुनील सोरेन ने दुमका,जामा, नाला और सारठ विधानसभा क्षेत्र में निर्णायक बढ़त हासिल कर झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की कश्ती डूबो दिया था । हालांकि उस चुनाव में शिकारीपाड़ा और जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने बढ़त दिलाकर झामुमो के दिशोम गुरु शिबू सोरेन की डूबती नैया को बचाने का भरसक प्रयास किया था। फिर भी झामुमो के सिरमौर शिबू सोरेन दिल्ली पहुंचने में विफल हो गये थे ।

पिछले लोकसभा चुनाव में झामुमो के शिबू सोरेन ने शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा से 8,840 और जामताड़ा में 15,989 मतों से बढ़त हासिल किया था। लेकिन भाजपा ने झामुमो से दुमका में 9,865, जामा में 7,954, सारठ में 20,750 और सबसे अधिक नाला विधानसभा क्षेत्र में 33,850 अधिक मत प्राप्त कर किया था। जिस वजह से भाजपा के सुनील सोरेन झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की कश्ती को डूबोने कामयाब हो गए थे। इस तरह झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन कभी उनसे राजनीति का ककहरा सीखने वाले अपने शिष्य रहे भाजपा के सुनील सोरेन से चुनाव हार गए । पिछले चुनाव में सीपीआई, तृणमूल कांग्रेस,बसपा के उम्मीदवारों के पक्ष में लगभग 45 हजार और नोटा में बटन दबाने वाले 14 हजार से अधिक वोटरों ने झामुमो की जीत में रोड़ा अटका दिया था। 2019 में दुमका लोकसभा क्षेत्र में 13,97,253 मतदाता थे। इसमें से 10,25,958 यानि 73.43 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था।

जिसमें भाजपा के सुनील सोरेन को 4,84,923 वोट मिले थे। वहीं झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को 4,37,333 मतों से ही संतोष करना पड़ा था। इस तरह भाजपा के सुनील सोरेन लगभग 47 हजार से अधिक मतों से बढ़त हासिल करने के साथ महज 4.50 प्रतिशत मतों के अंतर से झामुमो के शिबू सोरेन को पराजित करने में सफल हुए थे। उस चुनाव में भाजपा को 47.94. वहीं झामुमो को 43.23 प्रतिशत वोट मिले थे।
वर्ष 2024 में झारखंड की राजनीति का मुख्य केंद्र समझा जाने वाले दुमका लोकसभा क्षेत्र से भाजपा, झामुमो, सीपीआई, सहित 19 प्रत्याशी अपने भाग्य की आजमाइश करने मैदान में डट गये हैं। इस क्षेत्र में सातवें चरण में मतदान होना है।

इस बार एक जून को सुबह सात बजे से शाम पांच बजे तक इस क्षेत्र के 15,89,230 मतदाता 1891 बूथों पर इन 19 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 7,98,183, महिला मतदाताओं की संख्या 7,91,041 और 6 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं। इस क्षेत्र में पिछले चुनाव की तरह इस बार भी भाजपा और झामुमो के बीच ही सीधा मुकाबला होने के आसार दिख रहे हैं।

भाजपा की सीता सोरेन के पक्ष में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, आदिवासी मामले और कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी सहित पार्टी के कई विभिन्न राज्यों के मंत्री,सांसद इस क्षेत्र में सघन रूप से प्रचार अभियान चला चुके हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी तो इस सीट पर भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए खुद कैम्प कर चुनाव अभियान पर नजर रख रहे हैं।

वहीं झामुमो प्रत्याशी नलिन सोरेन के पक्ष में मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, पार्टी की स्टार प्रचारक और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के साथ इंडिया गठबंधन के कई प्रमुख नेता क्षेत्र में लगातार प्रचार अभियान में जुटे हैं। इस बीच सातवें चरण के चुनाव के अंतिम चरण में आगामी 30 मई को इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी का दुमका आने का कार्यक्रम है। इस क्षेत्र में भाजपा और झामुमो के बीच सीधी टक्कर में किस प्रत्याशी के माथे यहां की जनता तिलक लगाती है यह तो 4 जून को मतगणना के बाद ही पता चलेगा।

 

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