पाटलिपुत्र सीट पर भाजपा के रामकृपाल यादव औ मीसा भारती के बीच चुनावी जंग
पटना
बिहार की पाटलिपुत्र संसदीय सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लोकसभा सासंद रामकृपाल यादव और राज्यसभा सांसद मीसा भारती के बीच चुनावी टक्कर होगी।बिहार लोकसभा चुनाव 2024 में दो राज्यसभा सांसद अपनी-अपनी तकदीर आजमा रहे हैं। नवादा सीट से पूर्व केन्द्रीय मंत्री सी.पी.ठाकुर के पुत्र राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर ने अपनी किस्मत आजमायी है, वहीं पाटलिपुत्र सीट से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की पुत्री राज्यसभा सांसद मीसा भारती अपनी तकदीर आजमायेंगी। इस चुनाव में पाटलिपुत्र एकमात्र सीट है, जहां लोकसभा सांसद और राज्यसभा सांसद के बीच चुनावी जंग होगी।
पाटलिपुत्र संसदीय सीट पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री भाजपा प्रत्याशी राम कृपाल यादव और राजद नेत्री मीसा भारती तीसरी बार आमने-सामने हैं। वर्ष 2014 के आम चुनाव में पाटलिपुत्र सीट पर भाजपा के राम कृपाल यादव ने राजद की श्रीमती मीसा भारती को 40 हजार 322 मतो के अंतर से पराजित किया था। वर्ष 2019 के चुनाव में भी भाजपा के राम कृपाल यादव और राजद की मीसा भारती के बीच चुनावी जंग हुयी। इस चुनाव में राम कृपाल यादव ने मीसा भारती को 39 हजार 321 मतों के अंतर से पराजित कर दिया। वर्ष 2024 के चुनाव में भी पाटलिपुत्र संसदीय सीट पर भाजपा के राम कृपाल यादव और राजद की मीसा भारती सियासी रणभूमि में एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं।
तीन बार हारने के बाद RJD ने मीसा को जिताने के लिए लगाया अपना पूरा जोर
बिहार की पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर तीन बार हार का सामना कर चुका लालू प्रसाद यादव का परिवार इस बार यहां से राजद प्रत्याशी मीसा भारती की जीत सुनिश्चित करने के लिए जीतोड़ कोशिश कर रहा है। राज्यसभा की मौजूदा सदस्य मीसा भारती राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद की सबसे बड़ी बेटी हैं।
यह निर्वाचन क्षेत्र 2008 के परिसीमन के बाद बिहार की राजधानी पटना और इसके आसपास के ग्रामीण इलाकों को शामिल करने से अस्तित्व में आया। इस लोकसभा सीट के सृजन के बाद से ही लालू प्रसाद का परिवार यहां से जीत दर्ज करने में विफल रहा है। वर्ष 2009 से ही लालू प्रसाद और मीसा भारती इस सीट से अपना भाग्य आजमा रहे हैं पर इस परिवार को हमेशा बगावत करने वाले अपने ही विश्वासपात्र लोगों के हाथों हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में लालू ने खुद मैदान में उतरने का फैसला किया पर उन्हें उनके कभी विश्वासपात्र रहे रंजन प्रसाद यादव के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। राजद से बगावत करने के बाद रंजन प्रसाद यादव ने जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) उम्मीदवार के तौर पर लालू को चुनौती दी थी।
लालू के कभी काफी करीबी रहे रंजन प्रसाद यादव राजद छोड़कर उनके धुर विरोधी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में शामिल हो गए थे। वर्ष 2014 में राजद प्रमुख ने इस सीट से मीसा भारती को चुनावी मैदान में उतारा था पर जिन्हें कभी लालू प्रसाद के विश्वासपात्र माने जाने वाले रामकृपाल यादव के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
राजद से बगावत करने के बाद रामकृपाल यादव ने भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और भारती के साथा-साथ जदयू प्रत्याशी रंजन प्रसाद यादव को भी पराजित कर दिया। भारती ने वर्ष 2019 में अपने पिता की पार्टी के लिए सीट जीतने का एक और प्रयास किया लेकिन राम कृपाल यादव पुलवामा आतंकी हमले के बाद राज्य में चली राष्ट्रवाद की मजबूत लहर पर सवार होकर अपनी सीट बरकरार रखने में कामयाब रहे थे।
इसबार हैटट्रिक के प्रति आश्वस्त रामकृपाल यादव कहते हैं, मैं धरती पुत्र हूं। हर मतदाता के लिए जरूरत के समय मैं हमेशा उपलब्ध रहता हूं। केंद्र में मोदी सरकार की लोकप्रियता के साथ और राज्य में राजग के प्रदर्शन की तुलना उन प्रतिद्वंद्वियों से करें जिनके उम्मीदवार केवल चुनाव के समय ही दिखते हैं। मीसा भारती की इस बार जीत सुनिश्चित करने में लालू प्रसाद सहित उनका पूरा परिवार लगा हुआ है।
भारती की मां पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी घर-घर जाकर अपनी बेटी के लिए अभियान चला रही हैं और आम लोगों की इस शिकायत को दूर करने का प्रयास कर रही हैं कि ‘दीदी’ हर पांच साल में केवल एक बार आती हैं। अपनी आलोचना को सहजता से ले रहीं भारती की उम्मीद इस बार सत्ता विरोधी लहर और ‘इंडिया’ गठबंधन की ओर से ‘रोजगार’ देने के वादों से उत्पन्न चर्चा पर टिकी हुई है।
भारती ने ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75 साल की उम्र में तीसरा कार्यकाल चाहने पर अग्निवीर के 20 से 30 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होने’ के चर्चित तंज से भाजपा को परेशान करने के बाद उन्होंने पांच किलोग्राम मुफ्त राशन योजना, जिसे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (अपने) अपने तुरुप के पत्ते के रूप में देखता है, जैसे मुद्दों को भी उठाया।
भारती ने आरोप लगाया कि, लोगों को पांच किलो चावल का क्या करना चाहिए? क्या उन्हें इसे पानी के साथ खाना चाहिए? वे इसे नमक के साथ खाने के बारे में सोच भी नहीं सकते क्योंकि कीमतें नियंत्रण से बाहर हो रही हैं और लोगों के पास आय का कोई स्रोत नहीं है। राजद की उम्मीद का एक आधार 2020 का विधानसभा चुनाव है जिसमें पार्टी के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए इस लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली सभी छह सीट पर जीत दर्ज की थी।
इनमें से तीन पर राजद ने जीत हासिल की थी, जबकि दो सीट पर सहयोगी दल भाकपा माले ने विजय हासिल की। हालांकि हाल ही में भाजपा ने बिक्रम सीट से कांग्रेस के असंतुष्ट विधायक सिद्धार्थ सौरव को अपने पाले में लाकर संकट से पार पाने की अपना क्षमता का परिचय दिया। इसके अलावा चुनाव को कभी भी हल्के में नहीं लेने के लिए जानी जाने वाली पार्टी ने रामकृपाल यादव के पक्ष में प्रचार के लिए अपने स्टार प्रचारकों को एकत्र कर लिया।
प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अलावा योगी आदित्यनाथ और मोहन यादव जैसे क्षत्रपों की रैलियों से पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र में पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किए गए हैं। भाजपा सूत्र भी मानते हैं कि वे मुसलमानों के वोट काटने के लिए अपनी कथित बी टीम, हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की अध्यक्षता वाली एआइएमआइएम, की क्षमता पर भरोसा कर रहे हैं।
मुसलमानों के लिए राजद अब तक बिहार में पहली पसंद रही है। ओवैसी ने भी हाल ही में पाटलिपुत्र में चुनाव प्रचार किया था। इस बीच राजद ने असंतुष्ट लोगों को शांत करने के अपने एक प्रयास के तहत हाल ही में रंजन यादव को फिर से पार्टी में शामिल कर लिया। इसके अलावा लालू प्रसाद, जो बुढ़ापे और खराब स्वास्थ्य के कारण ज्यादातर घर के अंदर रहते हैं, ने लोकसभा टिकट देने से इनकार किए जाने के चलते नाराजगी की आशंकाओं के बीच अपनी बेटी के लिए समर्थन जुटाने के लिए क्रमश: मनेर और दानापुर के विधायक भाई वीरेंद्र और रीतलाल यादव के घर पहुंचे।