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अच्छी बारिश ही बेंगलुरु की सूख रही झीलों को सूखने बचा सकती है

बेंगलुरु
 कर्नाटक के बेंगलुरु में इन दिनों जल संकट की समस्या देखने को मिल रही है। पिछले कई सालों से बेंगलुरु को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है। खासकर गर्मियों के दिनों में यहां जल संकट उत्पन्न हो जाता है। इस बीच एक चौंकाने वाला आंकड़े सामना आए है। इन आंकड़ों से पता चला है कि बीबीएमपी और बेंगलुरु शहरी क्षेत्र में करीब 800 झीलें सूख रही हैं। इनमें से 125 झीलें पूरी तरह सूख चुकी हैं। सूख चुकी 125 झीलों में से 100 बेंगलुरु शहरी जिले में और 25 बीबीएमपी सीमा में हैं। 25 और झीलें भी सूखने की कगार पर है। अच्छी बारिश ही इन झीलों को सूखने बचा सकती है।

बीबीएमपी अधिकारियों के अनुसार, कुछ झीलें मैदान में बदल गई हैं, जहां बच्चे क्रिकेट खेलते हैं। बीबीएमपी के कब्जे में 184 झीलें हैं, उनमें से 50 की हालत खस्ता है। बेंगलुरु शहरी जिले में 600 से अधिक झीलें हैं। उनमें से लगभग 100 इस साल सूख गई हैं। इन दिनों गर्मी बहुत ज्यादा है और बारिश बहुत जरूरी है। अगले कुछ दिनों में भूजल पर असर पड़ने की आशंका है।

बारिश की उम्मीद
इस बीच अच्छी बात यह है कि बेंगलुरु शहरी जिले की छह झीलें लबालब भरी हुई। वहीं 19 झीलें 50 से 90 प्रतिशत तक भरी हुई हैं। इन झीलों में पानी होने की वजह कोरमंगला-चल्लाघट्टा और हेब्बल-नागवारा घाटी परियोजनाएं हैं। वहीं व्हाइटफील्ड के पास नल्लूरहल्ली झील और एचएएल के पास विभूतिपुरा झीलें खेल के मैदानों, भूजल मछली पकड़ने की गतिविधियों में बदल गई हैं। हालांकि, बारिश के पूर्वानुमान के चलते अधिकारियों को उम्मीद है सूखी झीलें फिर से पानी से लबालब हो सकती है।

15 झीलों को ऐसे भरा जा रहाएक अधिकारी ने बताया कि शहर में कम से कम 15 झीलों को बीडब्ल्यूएसएसबी द्वारा उपचारित पानी से भरा जा रहा है। बीडब्ल्यूएसएसबी अपने सीवेज उपचार संयंत्रों के पास की झीलों को भर सकता है। दूर स्थित झीलों को भरने का कोई अन्य विकल्प नहीं है। उन्हें केवल वर्षा पर ही निर्भर रहना पड़ता है।

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