केन्द्रीय कारागार में सामने आई हृदय परिवर्तन की अनूठी मिशाल
-आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी ने पूरा किया रामचरित मानस पर डिप्लोमा -ओपन जेल में मां के साथ रह रहा, एक निजी कोचिंग में दे रहा सेवाएं
Realindianews.com
भोपाल।अपराधों में संलिप्त लोगों के हृदय परिवर्तन के तमाम किस्से आपने कथाओं में सुना होंगा और धर्म ग्रंथों में पढ़ा भी होगा। अजामिल और बाल्मीकि जैसे नाम विश्व विख्यात हैं। हृदय परिवर्तन की कुछ ऐसी ही कहानी सतना के केन्द्रीय कारागार में भी देखने को मिली जहां हत्या के संगीन जुर्म में आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक कैदी ने रामचरित मानस जैसे धर्म ग्रंथ पर डिप्लोमा पूरा करने साथ ही अपने सुधरने का प्रमाण दिया बल्कि अब लोगों के बीच शिक्षा की अलख जगाने का काम भी कर रहा है। यह कैदी मध्य प्रदेश के सतना जिले के जैतवारा निवासी योगेन्द्र सिंह हैं, जिसे अपनी सगी भाभी की हत्या के जुर्म में अदालत ने आजीवन कारावास की सजा का दंड दिया है।
योगेन्द्र सिंह सतना के सेंट्रल जेल में सजा काटते हुए आध्यात्म की ओर झुके जिसके बाद जेल प्रशासन ने उन्हें धर्मग्रंथों का अध्ययन करने की सुविधा दी। जब उसने डिप्लोमा की इच्छा जाहिर की तब भोज मुक्त विवि से उसे डिप्लोमा पूरा करने का अवसर दिया गया। बताया गया है कि उन्होंने रामचरित मानस और भौतिक विज्ञान, रामचरित मानस मूल्यबोध और सामाजिकता, रामचरित मानस और जीव विज्ञान तथा रामचरित मानस पर्यावरण और समाजिकता विषय पर डिप्लोमा पूरा किया।
बोर्ड की कोचिंग दे रहा योगेन्द्र
रामचरित मानस व उसके साथ संलग्न कई विषयों पर मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय भोपाल से डिप्लोमा लेकर योगेंद्र अपने मित्र के कोचिंग संस्थान में ग्यारहवीं व बारहवीं के छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। सेंट्रल जेल के भीतर बंदी योगेंद्र के अच्छे चाल-चलन को देखते हुए उन्हें ओपेन जेल में रखा गया है जहां वह अपनी मां के साथ रह रहे हैं। योगेंद्र के पिता लक्ष्मण सिंह जबलपुर की ओपेन जेल में सजा काट रहे हैं।
यह है योगेन्द्र सिंह के जेल पहुंचने की कहानी
योगेंद्र का परिवार जेल के की सलाखों के पीछे कैसे पहुंचा इसकी भी एक दिलचस्प कहानी है। इस संबंध में योगेंद्र ने बातचीत के दौरान बताया कि सतना जिला मुख्यालय से तकरीबन 25 किमी स्थित जैतवारा कस्बे के डंाडी टोला में उसका हंसता-खेलता परिवार निवास करता था। तकरीबन 14 वर्ष पहले उसके बड़े भाई की शादी हुई थी। शादी के कुछ साल बाद अचानक उसकी भाभी की मृत्यु आग से जलने के कारण हो गई। योगेंद्र के परिवार ने घर की बहू का यथा संभव उपचार कराया लेकिन तकरीबन एक महीने अस्पताल में भर्ती रहने के बाद विवाहिता ने दम तोड़ दिया। घटना के लिए विवाहिता के मायके पक्ष ने घटना के लिए ससुराल पक्ष के लोगों को जिम्मेदार बताया। इसके बाद पूरा परिवार जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया।
भविष्य के लक्ष्य
योगेेंद्र अपने भविष्य के लक्ष्य के बारे में बात करते हुए बताता है कि अब वह अंग्रेजी विषय से एमए करना चाहता है तथा रिहाई के बाद खुद का कोचिंग इंस्टीट्यूट शुरू करना चाहता है। इसीलिए वह अपने मित्र की कोचिंग में छात्रों को पढ़ाता है तथा जेल के बंदियों को भी पढ़ाता है। इससे जहां वह एकाग्र होकर पढ़ाई में मन लगा लेता है वहीं संबंधित विषयों में उसका खुद का रिवीजन भी हो रहा है।
इनका कहना है
जेल में सजा काट रहे जिस बंदी को भी पढ़ाई में रूचि है उनके लिए शिक्षा की व्यवस्था उपलब्ध कराई जा रही है। यहां तक कि अनपढ़ों को भी प्राथमिक शिक्षा मुहैया कराई जा रही है। योगेंद्र की लगन थी कि वह रामचरित मानस के वैज्ञानिक अनुसंधान से जुड़े विषयों पर जानकारी हासिल कर लोगों को उसकी महत्ता के बारे बताए। जिसके चलते उसने पूरी लगन से भोज से डिप्लोमा प्राप्त किया है। जिसमें वह पूरी तरह सफल हुआ। आगे यदि वह और भी पढऩा चाहेगा तो उसकी पूरी व्यवस्था जेल प्रशासन करेगा।
लीना कोष्टा, जेल अधीक्षक सेंट्रल जेल सतना