स्वस्थ-जगत

एनसेफलाइटिस के लक्षण और सावधानियाँ: त्वरित चिकित्सा आवश्यकता के लिए ध्यान दें

गर्मी का मौसम आते ही बच्चों पर चमकी बुखार का खतरा मंडराने लगता है. खासतौर पर बिहार में हर साल चमकी बुखार से सैकड़ों बच्चों की मौत होती है. वैसे तो इस बीमारी का खतरा अधिक उम्र के वयस्कों में भी होता है लेकिन सबसे बड़ी तादाद में बच्चे ही इसकी चपेट में आते हैं. ऐसे में हर पेरेंट्स के लिए इस बीमारी को अच्छे से समझ लेना जरूरी है.

क्या है चमकी बुखार? यह एक प्रकार का इंफेक्शन है जिसमें दिमाग में सूजन आने लगता है. इसे मस्तिष्क ज्वर यानी की दिमाग का बुखार, एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम या जापानी इंसेफेलाइटिस भी कहा जाता है. यह मच्छरों के काटने से फैलता है. यह दो प्रकार के होते हैं- प्राइमरी इंसेफेलाइटिस जो सीधे मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है और सेकेंडरी इंसेफेलाइटिस शरीर के दूसरे हिस्से में हुए संक्रमण के मस्तिष्क में पहुंचने से होता है. हालांकि यह एक जानलेवा बीमारी है लेकिन शुरुआती लक्षणों को पहचान कर इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है.

इन लक्षणों से करें चमकी बुखार की पहचान

मायो क्लिनिक के अनुसार, चमकी बुखार से ग्रसित ज्यादातर मरीजों शुरुआती लक्षण के रूप में सिरदर्द, बुखार, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, कमजोरी और थकान का अनुभव करते हैं. 

बीमारी बढ़ने पर दिखते हैं ये गंभीर संकेत

गर्दन में अकड़न
मानसिक विकार 
दौरा पड़ना
मूवमेंट में दिक्कत
बोलने और सुनने में कठिनाई
बेहोशी और कोमा
सिर पर उभार आना
उल्टी
भूख न लगना

क्या है चमकी बुखार का इलाज 

वायरस के कारण होने वाले एन्सेफलाइटिस के लिए आमतौर पर एंटीवायरल उपचार की आवश्यकता होती है. एन्सेफलाइटिस के इलाज के लिए आमतौर पर उपयोग की जाने वाली एंटीवायरल दवाओं में शामिल हैं. इसके मरीजों को शांत वातावरण में इलाज दी जाती है. 

मरीज कितने दिन में होता है ठीक

एनएचएस के अनुसार, कुछ लोग एन्सेफलाइटिस से पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, हालांकि यह एक लंबी और  प्रक्रिया हो सकती है. वहीं कई लोग कभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं होते हैं और उनके मस्तिष्क को नुकसान के कारण दीर्घकालिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

कैसे करें चमकी बुखार से बचाव

चमकी बुखार से बचाव के लिए जरूरी है कि हेल्दी और फ्रेश भोजन फल का सेवन करें. साथ ही बच्चों को उन जगहों से दूर रखें जहां मच्छरों ज्यादा होते हैं. साथ ही बच्चों को धूप और गंदगी में खेलने से रोकें. हाइजीन का पूरा ध्यान रखें.

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