वॉशिंगटन,(RIN)। दुनिया की 97 प्रतिशत आबादी वाले 55 देशों पर यूएन की रिपोर्ट पिछले साल दुनिया में 15 करोड़ से ज्यादा लोगों को भुख का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं, इनमें करीब डेढ़ लाख लोग ऐसे थे, जो भुखमरी की वजह से मौत की कगार पर पहुंच गए थे। अगर उन्हें तत्काल खाना नहीं दिया गया होता, तो उनकी मौत निश्चित थी। यह चिंताजनक खुलासा संयुक्त राष्ट्र के 16 संगठनों की रिपोर्ट में हुआ है। इसे दुनिया की 97 प्रतिशत आबादी वाले 55 देशों की स्थिति के आधार पर तैयार किया गया है। इनमें ज्यादातर अफ्रीकी देश हैं या वे हैं जो गृहयुद्ध झेल रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों को भुखमरी की कगार पर पहुंचने के पीछे की एक बड़ी वजह महामारी भी रही है। पिछले साल कोरोना संकट, आपातकालीन स्थिति और तबाही के चलते ज्यादा लोगों ने भोजन की जरूरत को महसूस किया। ऐसे लोगों की संख्या दो करोड़ ज्यादा रही। 2019 में यह करीब 13 करोड़ थी। रिपोर्ट में यह चेतावनी भी दी गई है कि यह साल यानी 2021 पिछले साल से ज्यादा भयानक होने वाला है। यह बेहद गंभीर और बदतर होगा।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने फूड क्राइसिस की 307 पेज की ग्लोबल रिपोर्ट के हवाले से लिखा है कि दुनिया में अधिक खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इनमें उनकी संख्या ज्यादा है, जिन्हें तत्काल भोजन, पोषण और आजीविका सहायता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि 21 वीं सदी में अकाल और भुखमरी का कोई स्थान नहीं है। हमें इसे हल करने के लिए भूख और संघर्ष से निपटना होगा।
भुख का संकट झेलने वालों में दो-तिहाई आबादी सिर्फ 10 देशों में है। इनमें कांगो, अफगानिस्तान, यमन, सीरिया, सूडान, नाइजीरिया, इथोपिया, दक्षिणी सूडान, जिम्बाब्वे और हैती है। जो 1.33 लाख भुख से मौत की कगार पर पहुंचे थे, वे बुर्किना फासो, सूडान, यमन के हैं।