मध्यप्रदेश

सहकारी संघों में अधिकारियों का अर्दली भत्ता हुआ बंद

भोपाल
वन विभाग के निगम, मंडल व सहकारी संघों में अधिकारियों को अब नहीं अर्दली भत्ता नहीं दिया जाएगा। वन विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर अर्दली भत्ता देने की व्यवस्था समाप्त कर दी है। वन विभाग के अंतर्गत गठित राज्य वन विकास निगम, लघु वनोपज सहकारी संघ, जैव विविधता बोर्ड आदि में पदस्थ भारतीय वन सेवा के अधिकारियों द्वारा अपने घरेलू कार्यों के लिए रखे जाने वाले अर्दलियों के लिए भत्ता लेने का प्रविधान था, लेकिन अब वन विभाग के अंतर्गत आने वाले समस्त निगम, मंडल, बोर्ड, सहकारी संस्थाओं में कलेक्टर रेट से प्रदाय किए जा रहे अर्दली भत्ते की सुविधा समाप्त कर दी गई है।

बता दें कि अखिल भारतीय सेवाओं के राज्य में पदस्थ आइएएस, आइपीएस एवं आइएफएस अधिकारियों को अर्दली भत्ते के भुगतान के कोई नियम न होने के बाद भी आइएफएस अधिकारियों को इसका भुगतान किया जा रहा था। वित्त विभाग पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि इन तीनों श्रेणियों के अधिकारियों को कलेक्टर रेट पर अर्दली भत्ता भुगतान के संबंध में कोई नियम नहीं हैं और न ही ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन है, लेकिन इसके बावजूद आइएफएस अधिकारियों को अर्दली भत्ते का भुगतान किया जा रहा है।
 
विधानसभा में भी उठ चुका है अर्दली भत्ता का मुद्दा
वन विभाग के अंतर्गत निगम, मंडल, संघ में संचालक मंडल से प्रस्ताव पारित कराकर यह अर्दली भत्ता लिया जा रहा था। एक अर्दली के लिए करीब दस से 12 हजार रुपये लिए जा रहे थे। विधानसभा के पिछले सत्रों में यह मुद्दा उठा भी था, जिसमें सरकार ने बताया था कि वित्त विभाग की अर्दली भत्ता लेने की सहमति नहीं है। इसी कारण से अब इस प्रथा को समाप्त कर दिया गया है।

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