पुरातत्वविद् पद्मश्री अरुण शर्मा का निधन, 92 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, इन्हीं के सबूत बने राम मंदिर की नींव
रायपुर
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने देश के सुप्रसिद्ध पुरातत्वविद पद्मश्री डॉ अरूण कुमार शर्मा के निधन पर गहरा दुःख प्रकट किया है। उन्होंने डॉ शर्मा के शोकसंतप्त परिवारजनों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।
मुख्यमंत्री साय ने अपने शोक संदेश में कहा है कि डॉ अरुण कुमार शर्मा छत्तीसगढ़ की माटी के सपूत हैं, जिन्होंने न सिर्फ छत्तीसगढ़ में अपितु देश के विभिन्न स्थलों पर पुरातात्विक सर्वेक्षण और उत्खनन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। छत्तीसगढ़ में सिरपुर और राजिम में उन्होंने उत्खनन के कार्य कराए। पुरातत्व के क्षेत्र में डॉ. अरुण शर्मा जी का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पद्मश्री अरुण कुमार शर्मा के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर किए गए अपने पोस्ट में लिखा, ‘छत्तीसगढ़ के पुरातत्ववेत्ता, पद्मश्री डॉ. अरूण कुमार शर्मा के निधन का समाचार दुखद है. सिरपुर का उत्खनन उनके नेतृत्व में ही हुआ था. रामसेतु और अयोध्या के राममंदिर के पुरातात्विक विषयों पर उनकी राय अहम रही. ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति और उनके परिजनों और शुभचिंतकों को संबल प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं.
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन खुश हुए थे
आपकी जानकारी के लिए बता दें, पद्मश्री डॉ अरुण कुमार की मांग पर अयोध्या के रामजन्म भूमि की खुदाई करने का काम किया गया था। इसके साथ ही उन्होंने विवादित ढांचे के प्रकरण के लिए उच्च न्यायालय में विश्व हिन्दू परिषद की ओर से आयोजित की गई प्रतियोगिता में योगदान दिया था। अहम बात यह है कि, अयोध्या की जंग जीतने के बाद जब 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम हुआ, उस वक्त वे बेहद खुश नजर आए थे। उनके जन्म की बात की जाए तो वे 1933 में इस पावन धरती पर आए थे और 2017 में उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया था।