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स्विगी अकाउंट हैक कर साइबर ठगी करने वाले दो ठगों को साइबर थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया

नई दिल्ली
 स्विगी अकाउंट हैक कर साइबर ठगी करने वाले दो ठगों को साउथ डिस्ट्रिक्ट की साइबर थाना पुलिस ने गिरफ्तार है। आरोपियों की पहचान ज्योति पार्क, गुरुग्राम, हरियाणा निवासी अनिकेत कालरा (25) और देवीलाल कालोनी, गुरुग्राम निवासी हिमांशु कुमार (23) के रूप में हुई है। आरोपी हाईटेक आईवीआर सिस्टम के जरिए पीड़ितों के स्विगी अकाउंट की जानकारी इकट्ठा कर उनके अकाउंट हैक कर लेते थे। बाद में उनके अकाउंट से ग्रॉसरी सामान खरीद लिया जाता था। इस सामान को मार्केट में कम रेट पर बेच दिया जाता था।

पुलिस ने आरोपियों के पास से दो मोबाइल फोन, तीन सिम कार्ड, नौ क्रेडिट व डेबिट कार्ड और एक फर्जी आधार कार्ड बरामद किया है। पुलिस को इनके तीसरे साथी अंश की तलाश है। पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ कर ठगी के बाकी मामलों को लिंक करने का प्रयास किया जा रहा है। डीसीपी अंकित चौहान ने बताया कि पिछले दिनों सुल्तानपुर निवासी 26 वर्षीय महिला ने ठगी की एक शिकायत साइबर थाने को दी। पीड़िता ने बताया कि उनके अकाउंट से कुछ लोगों ने 97197 रुपये ठग लिए हैं। उनका स्विगी अकाउंट उनके बैंक अकाउंट से लिंक था। वहां से रकम निकाली गई है।

कैसे हुई ठगी पूरी कहानी जानिए
पीड़ित महिला ने पुलिस को बताया कि उसे एक प्री रिकॉर्डेड मैसेज मिला था जिसमें कहा गया कि कोई उनके ऐप अकाउंट को एक्सेस करने की कोशिश कर रहा है। उन्हें कुछ नंबर डायल करने के लिए कहा और अगले ही मिनट, उनके फूड डिलिविरी ऐप से जुड़े Lazypay अकाउंट से पैसे निकाल लिए गए। निकाले गए पैसे का उपयोग ऐप से रैंडम चीजें ऑर्डर करने के लिए किया गया था। नंबर की जांच से पता चला कि यह एक वर्चुअल नंबर था और जिस सिम का इस्तेमाल इसे बनाने के लिए किया गया था, उसे फर्जी दस्तावेजों की मदद से जारी किया गया था। पुलिस ने किसी तरह गुरुग्राम के उस पते का पता लगाया, जहां सामान डिलीवर किया गया था। इसके बाद पुलिस ने दो संदिग्धों को पकड़ लिया। एसीपी राजेश कुमार और एसएचओ अरुण वर्मा की एक टीम ने छापा मारकर उन दोनों को गिरफ्तार कर लिया।

सब फर्जी
जांच में नंबर की आईडी भी फर्जी निकली। टेक्निकल सर्विलांस की मदद से पुलिस ने आरोपियों की लोकेशन ट्रेस कर दोनों को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया। पूछताछ के दौरान अनिकेत ने बताया कि वह जोमैटो और स्विगी में डिलीवरी का काम करता था। बाद में उसकी बातचीत पंजाब निवासी अंश से टेलीग्राम पर हुई। अंश ने उसे आईवीआर सिस्टम के जरिए ठगी के बारे में बताया। खुद को डिलीवर करने वाली कंपनी का प्रतिनिधि बनकर आरोपी आईवीआर के जरिए कॉल कर पीड़ितों के अकाउंट की जानकारी लेते थे।

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