भोपाल, (RIN)। शनिदेव अपने हिसाब से विशेष फल देता है। नवग्रहों में न्याय का देवता माना जाता है। शनि सभी के अच्छे व बुरे कर्मों के आधार पर फल प्रदान करता है। शनि हमारे कर्मों के अनुसार फल देता है। जो लोग अपने जीवन में अच्छे कार्य करते हैं उन्हें अच्छा फल देता है वहीं गलत करने पर शनि दंड भी देता है।
शिव के अनन्य भक्त हैं शनिदेव
शनिदेव भगवान शिव के अनन्य भक्तों में हैं। शनि देव की अपने पिता सूर्यदेव से बिलकुल नहीं बनती है। एक बार शनिदेव ने भगवान शिव की तपस्या की थी. तब प्रसन्न होकर भगवान शिव ने शनिदेव को सभी ग्रहों में न्यायाधीश बनाया था और वरदान दिया था कि शनि के दंड से मनुष्य हो या फिर देवतागण कोई नहीं बच पाएगा. इसीलिए शनिदेव के दंड से देवता भी घबराते हैं. शनिदेव शिव भक्त होने के कारण शिव भक्तों को परेशान नहीं करते हैं।
काल भैरव की पूजा अर्चना से शांत होते हैं शनिदेव
कालभैरव भगवान शिव का ही अवतार हैं। शिव पुराण के मुताबिक कालभैरव को भगवान शिव का दूसरा रूप है। काल भैरव को भगवान शिव का ही साहसिक और युवा रूप शास्त्रों में बताया गया है.काल भैरव को भगवान शिव का रुद्रावतार भी कहते हैं। काल भैरव की पूजा करने से शत्रुओं और संकट का नाश होता है। मान्यता है कि जब शनि अधिक अशुभ फल प्रदान करने लगें तो भगवान काल भैरव की पूजा करनी चाहिए। कालभैरव की पूजा से ही शनिदेव शांत होते हैं। मिथुन राशि और तुला राशि पर वर्तमान समय में शनि की ढैय्या चल रही है। इसलिए ऐसे कार्य नहीं करने चाहिए जिससे शनिदेव नारज हों। धनु राशि, मकर राशि और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है. वर्ष 2021 में शनि का कोई राशि परिवर्तन नहीं है. शनि की साढेसाती में व्यक्ति को करियर, धन, सेहत और बिजनेस संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़कता है. हर कार्य में बाधाएं आती हैं।
शनिदेव को प्रसन्न रखने के लिए प्रमुख बातेंं
शनिदेव गलत कार्यों को करने से नाराज होते हैं। शनिदेव कमजोर लोगों की मदद करने से प्रसन्न होते हैं। जो लोग परिश्रम करते हैं। ऐसे लोगों का सम्मान करना चाहिए. इससे भी शनिदेव खुश होते हैं। जो लोग अपने अधिनस्थों का आदर नहीं करते हैं और अपमान करते हैं, उन्हें शनि अशुभ फल प्रदान करते हैं। रोगियों की सेवा करने और जरूरतमंद व्यक्तियों की सेवा करने से शनि बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं।