धर्म/ज्योतिषमध्यप्रदेश

मिशन समर्पण टीम कोरोना मरीजों की कर रही नि: स्वास्थ सेवा

बेड, वैंटिलेटर, खाना एवं राशन आदि की कर रही व्यवस्था

भोपाल, RIN । असहायों व मजबूरों की सेवा कार्य में बीते कई माहों से लगी समाजसेवी संस्था मिशन समर्पण की टीम ने प्रदेश स्तर में कार्य करते हुए शहर में भी कार्य किया जा रहा है। मिशन समर्पण टीम का कहना है कि हमारी संस्था का मुख्य उद्देश्य इस समय कोरोना मरीजों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाना है। मिशन समर्पण की शुरुआत करने वाले राकेश नागर का कहना है कि हमारी टीम प्रदेश के हर कोरोना जरुरतमंद तक पहुंच कर काम करना चाहती है। और कुछ ही दिन में हमने यह कर दिखाया है। उन्होंने बताया कि बीते अप्रैल में जब कोरोना की दूसरी वेव ने अपना कहर ढाया तब प्रदेश में युवाओं के एक समूह ने कोरोना पीडि़तों का हाथ थाम उनका हौसला बनाए रखने का नेक काम शुरू किया। आज धीरे-धीरे मिशन समर्पण प्रदेश के हर जिले में लगभग 120 वालंटियर्स की मदद से सक्रिय रूप से काम कर रहा है। ये युवा अपनी रुचि व योग्यता के अनुसार मिशन समर्पण की विभिन्न टीमों से जुड़े हैं।
मैं अकेला ही चला था मिशन समर्पण की शुरुआत करने वाले मेंटर राकेश नागर बताते है कि जब अप्रैल माह में वे कोरोना से संक्रमित हुए तो उन्होंने अपने आसपास कई प्रकार की समस्याओं को देखा। जिसमें लोगों में भावनात्मक सहयोग की कमी, पर्याप्त जानकारी का अभाव, जागरूकता की कमी, अस्पताल आदि में दवाइयों व बेड की उपलब्धता की समस्या से उन्हें परेशान होना पड़ा और इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इन कमियों को दूर करने के लिए उन्होंने इसमें अपने साथियों को जोडऩा प्रारंभ किया। फिर क्या था मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया।
कोरोना से लडऩे के लिए भावनात्मक मजबूती होना जरुरी
राकेश आगे बताते हैं कि इस आपदा से लडऩे के लिए भावनात्मक रूप से मजबूत होना बहुत ज़रूरी है। साथ ही साथ पेशेंट को ये एहसास करवाना की वो वायरस से अकेला नहीं लड़ रहा है। उसके साथ डॉक्टर्स भी मैदान में जुटे हुए हैं। समर्पित रूप से कार्य करने वाला ये युवा समूह आज मिशन समर्पण के रूप में हमारे बीच उम्मीद का एक नन्हा पौधा बन कर उग आया है। इस पौधे की कोपलों को हमने अलग-अलग नाम दिए हैं।
कोविड मरीज की जरुरत है सकारात्मकता -नेहा
मिशन समर्पण से जुड़ी नेहा शर्मा इन दिनों कोविड पेशेंट्स की काउंसिलिंग कर रही हैं। वे रोज़ाना 3 नए पेशेंट्स से बात करके उनका हौसला बढ़ाने के साथ साथ उन्हें मानसिक रूप से भी सहज रहने को कहती हैं। नेहा का कहना है कि इसी से हम असल सकारात्मकता का प्रसार कर पाते हैं। काउंसिलिंग के साथ ही अपने लेखन से सुविचार तथा ऊर्जा प्रसारित करने वाले वॉट्सएप पोस्ट भी बनाती हैं। जो हमारे सभी साथी सर्कुलेट करते हैं।
गांव में चल रहे सकारात्मक कार्यक्रम
जागरूकता टीम गांव में व्यापक तरीके से पैर पसार चुके कोरोना को खत्म करने के लिए कार्यक्रम चला रही है। जिसमें वे ग्रामीण स्तर में रहने वाले युवा वालेंटियर्स, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम, गांव के स्थानीय डॉक्टरों आदि के माध्यम से मिलकर जागरूकता कार्यक्रम, उचित खानपान, दवाइयों का वितरण एवं मास्क का प्रयोग, साबुन का प्रयोग, स्वच्छता आदि को प्रोत्साहित करने का कार्य कर रहे हैं।
ग्रामीण स्तर पर मौजूद वालंटियर्स के द्वारा किया जा रहा कार्य
मिशन समर्पण संस्था के वीरेंद्र बताते हैं कि यह कार्य मिशन समर्पण के ग्रामीण स्तर पर मौजूद वालंटियर्स के द्वारा किया जा रहा है जो स्थानीय स्तर की समस्याओं को भलीभांति समझते हैं और उनका समाधान स्थानीय स्तर पर ही करने का प्रयास करते हैं। कुछ युवाओं की टोली वैक्सीनेशन को बढ़ावा देने के लिए वैक्सीनेशन अवेयरनेस कार्यक्रम चला रही है। इसमें टीम के सदस्य अपने पड़ोसियों, स्कूल – कॉलेज के मित्रों, एवं अपने परिचितों को निरंतर वैक्सिंग लगवाने के बारे में अवेयर करने के साथ साथ उनकी टीके से जुड़ी भ्रांतियों को भी दूर कर रहे हैं।
गांव के लोगों को टीका लगवाने के लिए प्रेरित करना थोड़ा मुश्किल-नेहा
नेहा प्रजापति का कहना है कि शहरों की अपेक्षा गांव के लोगों को टीका लगवाने के लिए प्रेरित करना थोड़ा मुश्किल वाला काम है। यहां की नई पीढ़ी तो जागरूक है परंतु बुजुर्गों के मन में एक डर है। जिसे हम आशा कार्यकर्ता के साथ मिलकर दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। हम लोगों के रजिस्ट्रेशन भी करवा रहे हैं। अस्पतालों में ऑक्सीजन के कमी से जूझ रहे पेशेंट्स की तादाद से हम सभी वाकिफ हैं। इसी दिशा में काम करने हमने इमरजेंसी सर्विसेज टीम तैयार की है। इस टीम के साथी बेड, वेंटीलेटर, ब्लड, प्लाज्मा आदि की उपलब्धता सुनिश्चित करवाने में देवदूत बनकर अपनी मदद दे रहे हैं। इस टीम में कार्य करने वाले अधिकांश साथी ऑनलाइन माध्यम से अस्पताल में बेड की उपलब्धता का पता लगाते हैं और मरीज के परिजन को अंतिम समय में होने वाली इन समस्याओं को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। गोविंदगढ़ रीवा की स्मिता सोनी बताती हैं कि हमारा यह ग्रुप अस्पताल में एडमिट होने वाले या हो चुके मरीज के परिजन को उत्पन्न होने वाली पैनिक की स्थिति से बचाने में मदद करता है। इसी टीम में प्लाज्मा की उपलब्धता पर भी काम किया जा रहा है जो लगातार प्लाज्मा दान हेतु लोगों से संपर्क कर मरीज को एक उम्मीद प्रदान करते हैं। मिशन समर्पण के साथ एक मेडिकल टीम भी कार्य कर रही है जिसमें विभिन्न डॉक्टर्स व पैरामेडिकल स्टाफ शामिल हैं जो तात्कालिक रूप से ज़रूरी मेडिकल कंसल्टेशन करते हैं।

आवश्यक सलाह प्रदान कर के हम अस्पतालों पर बोझ को रोक सकते हैं – जया
सतना से साथी जया कुर्मी का कहना है कि आवश्यक सलाह प्रदान कर के हम अस्पतालों पर बढऩे वाले बोझ को रोक सकते हैं जिससे जरूरतमंद व्यक्ति को अस्पताल में बेड की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकती है एवं कम प्रभावित मरीज का घर पर ही प्रभावी तरीके से इलाज किया जा सकता है। मिशन समर्पण की एक टीम फील्ड में मुस्तैदी से काम कर रही है। जरुरतमंदो को राशन, खाद्यान्न की उपलब्धता एवं कोविड मरीजों को दवाईयां, खाना पहुंचाने हेतु बिना किसी डर के फील्ड में अपनी भागीदारी कर रहे हैं। ये हमारे फ्रंटलाइन वर्कर ही हैं जो समुचित एहतियात के साथ फील्ड में बिना डरे उतर जाते हैं। फिर चाहे अस्पताल में किसी को दवाई पहुंचानी हो या फिर कोविड पेशंट के घर खाना। इस काम में हमारी टीम को प्रदेश के विभिन्न सामाजिक संगठनों का साथ भी मिला हुआ है।
इसी प्रकार सतना के ही अंकित पटेल बताते हैं कि वे फूड डिलीवरी का कार्य कर रहे हैं, जैसे ही कहीं से ज़रूरत की कोई रिक्वेस्ट आती है तो हम तुरंत स्थानीय संगठन से संपर्क करते हैं और उस व्यक्ति को सेवा की उपलब्धता सुनिश्चित करते हैं। इसमें हमें कम समय में स्मार्ट निर्णय लेने होते हैं इसलिए ये फील्ड वर्क चैलेंजिंग तो है पर किसी ज़रूरतमंद की मदद करने से हमें जो खुशी मिलती है उसके आगे कोई चैलेंज कहां टीक पाता है। हर पौधे को एक दिन विशाल वृक्ष बनना है। हम भी अपने इस पौधे से ऐसे ही उम्मीद करते हैं।

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