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भंवरी देवी के बच्चों को मिलेगी पेंशन, साथ ही उसका बकाया एरियर ब्याज के साथ परिजनों को मिलेगा

जयपुर
राजस्थान के बहुचर्चित भंवरी देवी मर्डर केस में हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि भंवरी देवी के बच्चों को पेंशन मिलेगी. साथ ही उसका बकाया एरियर ब्याज के साथ परिजनों को मिलेगा. हाईकोर्ट ने मृतका भंवरी के पति अमरचंद के अलावा भंवरी देवी के अन्य विधिक वारिसान/याचीगण को दिनांक 1 सितंबर, 2011 से बकाया सेवा परिलाभ और नियमित पेंशन व सेवानिवृत्ति परिलाभ की गणना कर समस्त परिलाभ चार माह के भीतर भीतर देने के आदेश दिए.

2018 में दायर की गई थी याचिका, फैसला अब

बोरूंदा, जिला जोधपुर निवासी याचिकाकर्ता अश्विनी व अन्य की ओर से अधिवक्ता यशपाल ख़िलेरी ने वर्ष 2018 में रिट याचिका पेश कर बताया कि याचीगण की माता भंवरी देवी चिकित्सा एवं स्वाथ्य विभाग में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता/ ए.एन.एम. पद पर कार्यरत थीं. दिनांक 01 सितंबर 2011 को भंवरी देवी अपनी बेची गई कार का पैसा लेने बिलाड़ा गई थी, लेकिन वापिस कभी नहीं लौटी. जिस पर उसके पति और याचीगण के पिता अमरचंद ने गुमसुदगी रिपोर्ट दर्ज करवाई.

इसी दरम्यान प्रकरण में राजस्थान हाइकोर्ट, जोधपुर में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर होने पर जांच सीबीआई को देने पर पता चला कि भंवरी देवी की हत्या कर उसके अवशेष इंदिरा गांधी कैनाल में बहा दिए गए. जिस पर सीबीआई ने तत्कालीन राज्य सरकार के काबीना मंत्री और एक विधायक सहित करीब 13 मुल्जिमान को गिरफ़्तार किया गया. तत्पश्चात सीबीआई ने भंवरी देवी की दिनाक 01 सितंबर 2011 को हत्या होना मानकर मुल्जिमान के विरुद्ध हत्या और अन्य धाराओं में चालान पेश किया गया, जो आज दिनांक तक पेंडिंग है.

मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं होने के कारण पेंशन रोका

मुल्जिमान में मृतका भंवरी देवी के पति अमरचंद को भी धारा 120-बी भारतीय दंड संहिता का सह-अपराधी माना गया. याचीगण की ओऱ से एडवोकेट ख़िलेरी ने बताया कि एक तरफ चिकित्सा विभाग ने मृतका भंवरी देवी की मृत्यु दिनांक 01 सितंबर 2011 को होना मानकर उसके पुत्र साहिल को अनुकंपा नियुक्ति भी दे दी. लेक़िन मृतका के बकाया सेवा परिलाभ, नियमित पेंशन और सेवानिवृत्ति परिलाभ मृतका भंवरी देवी का मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं होने का कहकर मना कर दिया.

याचीगण की ओर से बताया गया कि मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए याचीगण ने पहले ज़िला कलेक्टर, जोधपुर के यहां आवेदन किया. एवं कलेक्टर के आदेश पर फिर तहसीलदार, पीपाड़ सिटी, ज़िला जोधपुर को आवेदन किया गया. लेकिन तहसीलदार, पीपाड़ सिटी ने मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने से यह कहकर मना कर दिया. भंवरी देवी की मृत्यु उसके क्षेत्राधिकार में नही हुई है. और न ही उसकी मृत्यु पश्चात उसका दाह संस्कार उसके क्षेत्राधिकार में किया गया. अर्थात यह हास्यास्पद तथ्य रहा कि तहसीलदार पीपाड़ सिटी के अनुसार भंवरी देवी की मृत्यु नहीं हुई हैं.

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