देश

तेलंगाना हाई कोर्ट ने कहा- आरोपी का किसी भी पूछताछ या जांच के मामले में चुप रहने का अधिकार उसका एक मौलिक अधिकार है

नई दिल्ली
तेलंगाना हाई कोर्ट ने हालिया एक फैसले में कहा है कि किसी भी आरोपी का किसी भी पूछताछ या जांच के मामले में चुप रहने का अधिकार संविधान के तहत सुरक्षित उसका एक मौलिक अधिकार है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी इस वजह से दूसरा आवेदन देकर आरोपी की हिरासत अवधि बढ़ाने की मांग नहीं कर सकती है। कोर्ट ने एक मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को फटकार लगाते हुए कहा कि इस आरोप पर कि आरोपी चुप है या संतोषजनक जवाब नहीं दे रहा है, हम उसकी हिरासत अवधि नहीं बढ़ा सकते हैं।

जस्टिस के. लक्ष्मण और जस्टिस के. सुजाना की खंडपीठ ने एक आपराधिक मामले में दायर अपील अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के एक सदस्य ने निचली अदालत द्वारा उसकी रिमांड अवधि पांच दिन बढ़ाने के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता ने अपनी अपील याचिका में कहा कि NIA ने 13 जून 2023 को आरोपी/याचिकाकर्ता को गिरफ्तार किया था। उसके अगले दिन यानी 14 जून को निचली अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। इसके बाद 4 जुलाई को अदालत ने आरोपी को पांच दिनों की कस्टडी दे दी। जांच एजेंसी ने याचिकाकर्ता को 5 दिनों की अवधि के लिए रिमांड पर लिया।

जांच एजेंसी ने 1 सितंबर 2023 को दूसरा आवेदन देकर फिर से पांच दिनों के लिए आरोपी की हिरासत मांगी। जांच एजेंसी ने अदालत को बताया कि हिरासत के दौरान आरोपी ने मामले में संतोषजनक उत्तर नहीं दिया, वह अधिकांश सवालों पर चुप्पी साधे रखा। इसलिए उक्त मामले में जांच अभी प्रक्रियाधीन ही है। इस आधार पर ट्राय कोर्ट ने NIA के आवेदन को मंजूरी दे दी।

उधर, आरोपी याचिकाकर्ता ने इस आधार पर इसे चुनौती दे दी कि सीआरपीसी की धारा 167 और गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 43(डी)(2)(बी) के अनुसार रिमांड के लिए आवेदन गिरफ्तारी की तारीख से 30 दिनों की अवधि के भीतर दायर किया जाना चाहिए, जबकि इस मामले में गिरफ्तारी के 30 दिन बहुत पहले बीत चुके थे।

इस पर हाई कोर्ट की खंडपीठ ने कानूनी प्रावधानों का विश्लेषण करने और निर्णयों का संदर्भ लेने के बाद कहा कि पुलिस हिरासत के विस्तार के लिए दूसरा आवेदन 30 दिनों के बाद भी दायर किया जा सकता है, बशर्ते कि जांच एजेंसी के पास उसके लिए उपयुक्त कारण हो। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में भी NIA का आवेदन मंजूरी योग्य है लेकिन उसने जो कारण बताए हैं वह संतोषजनक और स्वीकार योग्य नहीं है कि आरोपी पूछताछ के दौरान चुप था, इसलिए हिरासत बढ़ाई जाय।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close
Back to top button