इतिहास की ऐतिहासिक नगरी मांडू में फिर गूंजेगा संगीत
मांडू
संगीत और कला का समृद्ध इतिहास अपने अंदर समेटे ऐतिहासिक नगरी मांडू की हसीन वादियों में संगीत को स्वर लहरियां एक बार फिर गूंजेगी। फरवरी के अंतिम सप्ताह में मांडू उत्सव आयोजित होने की पूरी संभावना है। मांडू उत्सव को लेकर पिछले समय से हलचल नहीं होने से कला प्रेमी निराश थे। मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा जिला प्रशासन के सहयोग से उत्सव का आयोजन जल्द ही होगा।
मांडू उत्सव आयोजन को लेकर कलेक्टर प्रियंक मिश्रा एमपी टूरिज्म बोर्ड के अधिकारियों से लगातार संपर्क में है। टूरिज्म बोर्ड के एएमडी विवेक क्षोत्रिय ने उत्सव की कार्य योजना बनाने के लिए एक्सपर्टस और प्लानर भी मांडू भेजे। इधर, कलेक्टर के निर्देश पर जिला पंचायत सीईओ श्रृंगार श्रीवास्तव मांडू पहुंचे। उन्होंने एक्सपर्टस और एलानर से चर्चा कर मालया रिसोर्ट में मांडू उत्सव के दौरान ऐतिहासिक स्थलों पर आकर्षक अधिकारियों से चर्चा की। इसके बाद मांडू उत्सव को लेकर बैठक में बिंदुवार कई मुद्दों पर चर्चा हुई। आयोजन की तिथि, कार्यक्रमों का स्वरूप, व्यवस्थाओं के साथ नए आकर्षणों को लेकर चर्चा हुई।
एक्सपर्टस ने उत्सव और भी आकर्षक और मनोरंजक बनाने संबंधी राय दी। सूत्रों के अनुसार उत्सव फरवरी के अंतिम सप्ताह में होना तय है। हालांकि जिला प्रशासन के अधिकारी तिथि को लेकर अभी कुछ भी कहने से रोशनी की जाती है। फाइल फोटो बच रहे हैं। उनका कहना है कि आयोजन टूरिज्म बोर्ड करता है। जिला प्रशासन सहयोगी संस्था है। उत्सव की तिथि जल्द घोपित होगी से चर्चा में जिला पंचायत सीईओ श्रृंगार श्रीवास्तव ने बताया कि मालवा रिसोर्ट में अधिकारियों, प्लानर और एक्सपर्ट्स से मांडू उत्सव के विषय में चर्चा की है।
उत्सव की तिथि जल्द घोषित होगी। बिंदुवार कई विषयों पर चर्चा हुई है। मांडू उत्सव का आयोजन फरवरी के अंतिम सप्ताह तक हो सकता है। हालांकि अभी पर्यटन विभाग ने तिथि घोषित नहीं की है। हम चाहते हैं कि मांडू उत्सव जैसे आयोजनों की परंपरा कायम रहे। देश और दुनिया के पर्यटक चार जिले स्थित इस प्राचीनतम ऐतिहासिक स्थल पर भ्रमण के लिए आए, जिससे यहां का पर्यटन और व्यवसाय बढ़े।
बजट और उत्सव के दिनों में होगी कटौती सूत्रों के अनुसार पर्यटन बोर्ड इस बार मांडू उत्सव के बजट और उत्सव के दिनों को सीमित करना चाहता है। आगामी एक-दो दिन में मांडू उत्सव का प्लान तैयार किया जाएगा। बताया जा रहा है कि उत्सव अधिकतम एक से लेकर तीन दिवसीय हो सकता है। कला प्रेमियों का कहना है कि प्रदेश के छोटे-छोटे शहरों में उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। सागर जिले के खुरई और भिंड के छोटे से कस्वे अटेर में भी उत्सव का आयोजन हो रहा है। छोटे पर्यटन स्थलों पर करोड़ों के बजट उत्सव आयोजित हो रहे हैं तो फिर मांडू से भेदभाव क्यों किया जा रहा है। विश्व विरासत को संभावित सूची में शामिल मांडू उत्सव को लेकर टूरिज्म विभाग का ऐसा रुख क्यों है। इसे लेकर स्थानीय पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों के साथ कला प्रेमी निराशा है।
मांडू उत्सव का मुद्दा सन 1998 से मांडू उत्सव का आयोजन लगातार होता रहा है। धीरे-धीरे उत्सव को विस्तृत स्वरूप भी मिला, लेकिन इस वर्ष विधानसभा चुनाव के चलते उत्सव में देरी हुई और अब लोकसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लगने की स्थिति प है। ऐसे में उत्सव का आयोजन जल्द होना जरूरी है। नईदुनिया ने सामाजिक व सरोकारों से जुड़े इस मुद्दे को लेकर लगातार समाचार प्रकाशित किए हैं। 12 जनवरी को 'प्रदेश में उत्सवों को बयार, पर मांडू उत्सव पर संकट के बादल' शीर्षक से प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था। उसके बाद पर्यटन बोर्ड के अधिकारी हरकत में आए और उत्सव व करवाने की तैयारियां शुरू हुई हैं।
दो-तीन दिन में स्पष्ट होगी स्थिति
मांडू उत्पव आयोजन को लेकर हम प्रयास कर रहे हैं। पर्यटन बोर्ड द्वारा ही उत्सव आयोजित किया जाएगा। चर्चा के लिए जिला पंचायत सीईओ मांडू पहुंचे थे। अभी तिथि तय नहीं हुई है। आगामी दो-तीन दिन से में स्थिति स्पष्ट होगी।
प्रियंक मिश्रा, कलेक्टर धार