बिज़नेस

तिमाही के कारोबारी नतीजों से लगता है कि कंपनियों के मुनाफे में इजाफे की रफ्तार मंदी रही

नई दिल्ली
चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के अभी तक आए कारोबारी नतीजों से लगता है कि कंपनियों के मुनाफे में इजाफे की रफ्तार मंद पड़ रही है। उनकी आय में इजाफा तो और भी सुस्त रफ्तार से हो रहा है। अभी तक जिन कंपनियों के नतीजे आए हैं, उनमें से 215 का कुल मुनाफा 2022-23 की तीसरी तिमाही के मुकाबले 12.5 फीसदी बढ़ा है, जो 14 तिमाहियों में सबसे धीमी रफ्तार रही। इन कंपनियों की शुद्ध बिक्री (बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से सकल ब्याज आय) साल भर पहले के मुकाबले केवल 9.4 फीसदी अधिक रही, जो दिसंबर, 2020 तिमाही के बाद सबसे खराब प्रदर्शन रहा। उस तिमाही में शुद्ध बिक्री 3.5 फीसदी घटी थी। पिछले साल जुलाई में एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी का विलय हुआ था और आंकड़े उसी के हिसाब से दुरुस्त किए गए हैं।

शुरुआत में ही नतीजों की घोषणा करने वाली इन कंपनियों में से अगर बैंक, वित्त, बीमा और शेयर ब्रोकिंग कंपनियों को निकाल दिया जाए तो बची हुई (गैर बीएफएसआई) कंपनियों ने और भी बदतर प्रदर्शन किया और अक्टूबर-दिसंबर 2023 में उनका कुल शुद्ध लाभ साल भर पहले की अपेक्षा 7.8 फीसदी ही बढ़ा। इस तिमाही में उनकी आय में भी केवल 4.5 फीसदी इजाफा हुआ। 2020-21 की तीसरी तिमाही के बाद से गैर बीएफएसआई कंपनियों के राजस्व में यह सबसे धीमी बढ़ोतरी है। जिन कंपनियों को अपने नमूने में लिया, उनका कुल शुद्ध लाभ तीसरी तिमाही में 1.02 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि साल भर पहले शुद्ध लाभ 91,000 करोड़ रुपये ही था। चालू वित्त वर्ष की ही दूसरी तिमाही में उनका कुल शुद्ध लाभ 99,484 करोड़ रुपये था। बीएफएसआई को निकालने के बाद बचीं 157 कंपनियों की कुल आय अक्टूबर-दिसंबर, 2022 के 53,175 करोड़ रुपये से बढ़कर 57,342 करोड़ रुपये हो गई। इसी वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इनका आंकड़ा 55,175 करोड़ रुपये था।

समूचे नमूने में शामिल कंपनियों की शुद्ध बिक्री 7.55 लाख करोड़ रुपये हो गई, जो साल भर पहले 6.9 लाख करोड़ रुपये थी और जुलाई-सितंबर, 2023 में 7.46 लाख करोड़ रुपये थी। मगर बीएफएसआई कंपनियों को निकालने पर शुद्ध बिक्री 5.19 लाख करोड़ रुपये ही रह जाती है, जो साल भर पहले 4.96 लाख करोड़ रुपये और एक तिमाही पहले 5.2 लाख करोड़ रुपये थी। नमूने में रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), हिंदुस्तान यूनिलीवर, अल्ट्राटेक सीमेंट, इन्फोसिस, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, एवेन्यू सुपरमार्ट्स, एशियन पेंट्स और हिंदुस्तान जिंक जैसी शीर्ष कंपनियां शामिल हैं। तीसरी तिमाही में इनमें से ज्यादातर कंपनियों की शुद्ध बिक्री और शुद्ध मुनाफे में उम्मीद से कम बढ़ोतरी दिखी। शुरुआती नतीजों वाली कंपनियों के नमूने में आईटी सेवा क्षेत्र के नाम सबसे ज्यादा हैं। उनके बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज है, जिसकी कच्चे तेल की रिफाइनिंग और पेट्रोरसायन, दूरसंचार तथा रिटेल में गहरी पैठ है।

तीसरी तिमाही में इन कंपनियों के कुल शुद्ध मुनाफे में तकरीबन 40 फीसदी हिस्सेदारी बैंकों की है। उनका कुल शुद्ध लाभ साल भर पहले की तुलना में 16.9 फीसदी बढ़ा है, जो जुलाई-सितंबर तिमाही में दिखी 25.2 फीसदी वृद्धि से बहुत कम है। सभी बीएफएसआई कंपनियों का कुल शुद्ध मुनाफा अक्टूबर-दिसंबर, 2022 के मुकाबले 18.9 फीसदी अधिक था मगर जुलाई-सितंबर, 2023 में हुई 26.1 वृद्धि से कम रहा। बैंक और वित्तीय कंपनियां पिछले करीब तीन साल से कंपनियों की आय को सबसे ज्यादा सहारा दे रही हैं और उनकी आय वृद्धि में सुस्ती कंपनी जगत की कुल आय वृद्धि को और भी धीमा कर रही है।

इधर टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो और एचसीएल टेक्नोलॉजिज जैसी आईटी सेवा कंपनियों को देखें तो शुरुआत में नतीजे देने वाली सभी कंपनियों के कुल शुद्ध मुनाफे में इनकी करीब 27 फीसदी हिस्सेदारी है। मगर तीसरी तिमाही में उनका कुल शुद्ध लाभ साल भर पहले की तुलना में केवल 3.4 फीसदी बढ़कर 27,627 करोड़ रुपये रहा। पिछले छह तिमाही में उनके शुद्ध लाभ में यह सबसे सुस्त इजाफा है। आंकड़ों से पता चलता है कि साल भर में कच्चे माल और ईंधन की कीमत घटी नहीं होतीं तो कंपनियों की आय और भी कम रहती। लागत में कमी की वजह से ही कंपनियों को राजस्व वृद्धि सुस्त रहने के बाद भी मार्जिन बढ़ाने में मदद मिली। नमूने में शामिल सभी कंपनियों का एबिटा या परिचालन मार्जिन अक्टूबर-दिसंबर, 2023 में साल भर पहले की अपेक्षा 270 आधार अंक बढ़ गया और राजस्व का 34.2 फीसदी हो गया, जो 13 तिमाहियों में सबसे अधिक स्तर है। पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में एबिटा कुल राजस्व का 31.5 फीसदी था।

इन कंपनियों में से बीएफएसआई को निकाल दें तो एबिटा मार्जिन साल भर पहले की तुलना में केवल 115 अंक बढ़कर शुद्ध बिक्री का 21.1 फीसदी रहा। अक्टूबर-दिसंबर, 2022 में यह 19.9 फीसदी था। दिसंबर, 2021 तिमाही के बाद से गैर बीएफएसआई कंपनियों का यह सबसे अधिक परिचालन मार्जिन है।
कच्चे माल और ईंधन की लागत में बचत से रिलायंस इंडस्ट्रीज, अल्ट्राटेक सीमेंट और एशियन पेंट्स जैसी कंपनियां शुद्ध बिक्री के मुकाबले आय में ज्यादा तेज इजाफा दर्ज कर पाईं। मगर इन मदों में हुई बचत का कुछ हिस्सा ब्याज पर हुए ज्यादा खर्च की भेंट चढ़ गया। ब्याज में गैर बीएफएसआई कंपनियों का कुल खर्च अक्टूबर-दिसंबर, 2022 की तुलना में 20 फीसदी ज्यादा रहा, जबकि इसी तिमाही में उनके एबिटा या परिचालन मार्जिन में साल भर पहले के मुकाबले केवल 10.8 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button