मध्यप्रदेश

वन विभाग ने मोबाइल कंपनियों से बुलाए कोटेशन

भोपाल

जंगलों में जानवरों के शिकार और पेड़ों की कटाई को रोकने को लेकर वन विभाग पहले से कहीं ज्यादा संवेदनशील हो गया है। जानवरों के शिकार और जंगलों में बेशकीमती पेड़ों की कटाई को रोकने को लेकर विभाग ने फॉरेस्ट गार्ड्स को आधुनिक तकनीक से जोड़ने की कवायद शुरू कर दी है। पहले चरण में विभाग ने प्रदेश के 2500 फॉरेस्ट गार्ड्स को स्मार्ट फोन देने की तैयारी शुरू कर दी है। इसको लेकर विभाग ने स्मार्ट फोन से संबंधित कंपनियों से कोटेशन बुलाया है।

वन विभाग के अधिकारी अविनाश जोशी ने बताया कि मार्च माह के तक विभाग ढाई हजार गार्ड्स को स्मार्ट फोन मुहैया करा देगा। हालांकि प्रदेश में 15 हजार के करीब फॉरेस्ट गार्ड है। जैसे-जैसे विभाग के पास बजट आएगा विभाग अन्य गार्ड्स को स्मार्ट फोन मुहैया कराएगा। उन्होंने बताया कि फारेस्ट गार्ड्स को विभाग पहले ही पोस्ट पेड सिम मुहैया करा चुका है। विभाग का दावा है कि फारेस्ट गार्ड्स के पास स्मार्ट फोन होने से विभाग के आला अधिकारियों को समय पर सूचना मिल जाएगी। जिससे जंगलों की कटाई और जानवरों के शिकार को समय से पहले रोका जा सकता है। जंगलों में घटना घटने के बाद संबंधित अधिकारियों को इसके बारे में जानकारी मिलती है। लेकिन गार्ड्स के पास आधुनिक फोन होने से वह भी सूचना देने से बहाना नहीं बना सकते। विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि फारेस्ट गार्ड अक्सर की-पैड मोबाइल की बात कहकर अपने कर्तव्य से आसानी से पल्ला झाड़ लेते है। लेकिन अब गार्ड ऐसा नहीं कर पाएंगे।

डेढ़ करोड़ रुपए होंगे खर्च
फॉरेस्ट गार्ड्स को स्मार्ट फाने मुहैया कराने में वन विभाग ने डेढ़ करोड़ रुपए खर्च करने की तैयारी की है। विभाग से संबंधित अधिकारियों ने बताया कि एक स्मार्ट फोन की कीमत विभाग छह हजार रुपए तय की गई है। इस लिहाज से देखा जाए तो 2500 स्मार्ट फोन खरीदने में विभाग को एक वर्ष में डेढ़ करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। विभाग का दावा है कि चार साल के अंदर सभी फॉरेस्ट गार्ड्स के  पास स्मार्ट फोन होगा। अगर विभाग के पास बजट ज्यादा आता है तो इस लक्ष्य को समय से पहले भी हासिल किया जा सकता है। हालांकि स्मार्ट फोन किस कंपनी का होगा इसको लेकर विभाग अभी मंथन कर रहा है। जिस कंपनी का कोटेशन उचित मूल्य का होगा विभाग उसी कंपनी से स्मार्ट फोन खरीदेगा।

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