कई सालों की मेहनत से भारतीय टीम की ताकत बनी है तेज गेंदबाजी
नई दिल्ली
पांच दिन का टेस्ट क्रिकेट मैच सिर्फ दो दिन में खत्म हो गया। 15 सेशन में सिर्फ 5 हुए और 642 गेंद में पूरा मुकाबला खत्म, जो कि एक वनडे मैच से सिर्फ 42 गेंद अधिक रहा। यह टेस्ट मैच खेला गया साउथ अफ्रीका और भारत के बीच। टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में इससे पहले कोई मैच इतना छोटा और जल्दी खत्म नहीं हुआ था। हालांकि अंत में भारतीय टीम ने 7 विकेट से जीत हासिल की, लेकिन इस जीत को एकतरफा नहीं कहा जा सकता है। दोनों टीमों ने इस सबसे छोटे टेस्ट मैच में एक दूसरे को बराबरी की टक्कर दी।
रोहित शर्मा की कप्तानी वाली भारतीय टीम का इस जीत के बाद हौसला काफी बढ़ा होगा क्योंकि इससे पहले उन्हें सेंचुरियन में एक पारी से हार का सामना करना पड़ा था। टेस्ट क्रिकेट में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद टीम इंडिया को 2 बार वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में हार का सामना किया है।भारतीय टीम में बल्लेबाजों से ज्यादा चर्चा उसके गेंदबाजों की होगी. यह बदलाव एक रात में नहीं हुआ है. इसमें कई साल लगे हैं और कड़ी मेहनत के बाद भारतीय टीम मैनेजमेंट ने तेज गेंदबाजों का पूल तैयार किया है.
केपटाउन के न्यूलैंड्स स्टेडियम में साउथ अफ्रीका को टेस्ट में किसी भी एशियाई टीम ने पहली बार हराया है। विदेशी दौरों पर इससे पहले 1932 में तेज गेंदबाजों ने इस तरह प्रभाव अपने खेल से डाला था। मोहम्मद निसार और अमर सिंह ने क्या खूब गेंदबाजी की थी। मोहम्मद निसार को तो थंडरबोल्ट के नाम से जाना जाता था, लेकिन इसके बाद दशकों तक भारत ने स्पिन पर अपनी पकड़ बनाई थी। हालांकि भारतीय टीम में कपिल देव और जवागल श्रीनाथ जैसे बेहतरीन तेज गेंदबाज भी आए। इसके बाद हर बदलती हुई पीढ़ी में कोई ना कोई गेंदबाज अपने खेल से जरूर प्रभावित करता रहा। लेकिन अब सब कुछ बदल गया है। जिस टीम की कभी सबसे बड़ा हथियार स्पिन हुआ करता था अब वह ठीक उसके उलट हो गया है। अब गति हमारे पेस अटैक की एक अहम कड़ी बन गई है।
केपटाउन में पिच पर जिस तरह की उछाल और खतरनाक मूवमेंट से मदद मिली उससे मोहम्मद सिराज और जसप्रीत बुमराह ने मेजबानों को घुटनों पर ला दिया।पहली पारी में सिराज का स्पेल बहुत ही खतरनाक था। बुमराह ने दूसरी पारी में अपनी तेज तर्रार और सटीक गेंदबाजी से थर्रा दिया। इन दोनों तेज गेंदबाजों ने मिलकर भारत के लिए टेस्ट जीत लिया।
मैच में बुमराह (8) सिराज (7) मुकेश (4) और प्रसिद्ध कृष्णा (1) ने मैच में सभी 20 विकेट लिए। भारत के 91 साल पुराने टेस्ट इतिहास में यह केवल तीसरी बार है जब तेज गेंदबाजों ने सभी 20 विकेट लिए हैं। जोहानिसबर्ग 2018 और नॉटिंघम 2021 में भारत ने इससे पहले यह कारनामा दो बार किया है। सिर्फ इतना ही नहीं, प्लेइंग इलेवन में शामिल किए रविंद्र जडेजा से मैच में एक भी ओवर नहीं कराया गया। टेस्ट क्रिकेट में भारत की गेंदबाजी पिछले एक दशक से शानदार रही है। पहले ईशांत शर्मा, उमेश यादव जैसे अनुभवी खिलाड़ियों ने कमान संभाली थी। हालांकि अब जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज और मोहम्मद शमी के हाथों में है। हालांकि भारत को लगातार ऐसे तेज गेंदबाजों की जरूरत होगी जो टेस्ट क्रिकेट में देश का नाम रोशन कर सकें और बल्लेबाजी से नहीं बल्कि भारत अपनी गेंदबाजी से मैच जीते।
केपटाउन टेस्ट के पहले दिन 23 विकेट गिरे थे। अगर ऐसा भारत में हुआ होता, तो पिच को लेकर काफी बवाल मचता। हालांकि यह कहीं और हुआ है, तो इसलिए बहस बल्लेबाजों की डिफेंसिव तकनीकों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। यह सच है। दो टेस्ट मैचों की सीरीज 1-1 की बराबरी पर समाप्त हुई। सीरीज में अगर तीसरा टेस्ट मैच होता तो फैंस और मजा आ सकता था। वनडे विश्व कप के एक महीने बाद ही भारतीय टीम साउथ अफ्रीका का दौरा करने गई जहां तीन वनडे मैचों की सीरीज भी उन्हें खेलने पड़ी। वनडे सीरीज की जगह एक अतिरिक्त टेस्ट मैच खेला जा सकता था।