धर्म/ज्योतिषमध्यप्रदेश

खेजड़ा मंदिर से दिव्य रथ में निकली श्री जी की भव्य सवारी

नगरवासियों ने शोभा यात्रा का किया जगह-जगह स्वागत,भक्ति रस में सराबोर नाचते गाते श्रद्धालुओं की टोलियां

Realindianews.com
भोपाल। मंदिरों की नगरी पन्ना में स्थित पद्मावतीपुरी धाम में शरद पूर्णिमा महोत्सव का रंग दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। मगंलवार की शामं खेजड़ा मंदिर से निकली श्रीजी की दिव्य सवारी नें पद्मावती पुरी धाम को भक्ति रस में डूबो दिया। श्री प्राणनाथ मंदिर ट्रस्ट के आयोजकत्व में आयोजित दस दिवसीय कार्यक्रम में देश विदेश से लाखों सुंदरसाथ (भक्तों) का आना निरंतर जारी है। श्री 108 प्राणनाथ मंदिर के पूज्यपाद धर्मगुरु डॉ. दिनेश पंडित जी, संरक्षक संत शिरोमणी सदानंद महाराज एवं अध्यक्ष महेश भाई पटेल एवं महाप्रबंधक डी.बी.शर्मा, उपाध्यक्ष तिलकराज शर्मा व सचिव राकेश शर्मा एवं समस्त ट्रस्टी एवं न्यासी गणों के सहयोग से दस दिवसीय कार्यक्रम भव्यता के साथ हो रहा है। भक्ति रस में सराबोर नाचते और गाते श्रद्धालुओं की टोलियां सायं जब प्राचीन खेजड़ा मंदिर से श्री जी की भव्य सवारी के साथ निकलीं तो समूचा शहर भी भक्ति रस में डूब गया। यह अनूठा आयोजन हर साल दशहरे के तीसरे दिन होता है जिसमें सद्गुरू के सम्मान का प्रतीक कही जाने वाली श्री प्राणनाथ जी की दिव्य सवारी (शोभा यात्रा) खेजड़ा मंदिर से बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ निकलती है। अन्तर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव के धार्मिक आयोजनों की श्रृंखला में इस शोभा यात्रा का खास महत्व है। क्योंकि यह शोभा यात्रा सद्गुरु के प्रति आदर, सम्मान और अहोभाव प्रकट करने का पुनीत अवसर होता है जिसमें दूर-दूर से आये सुन्दरसाथ (श्रद्धालु) भक्ति भाव में डूबकर शामिल होते हैं।

दस दिवसीय कार्यक्रम को भव्य रूप देने वाली प्रमुख टीम
श्री 108 प्राणनाथ मंदिर ट्रस्ट के धर्मगुरु- डॉ. दिनेश पंडित महाराज, संरक्षक- परमहंस संत शिरोमणि डॉ.सदानंद जी महाराज, अध्यक्ष- महेशभाई पटेल, उपाध्यक्ष- तिलकराज शर्मा (गोपाल), उपाध्यक्ष-अशोक परनामी, सचिव-राकेश कुमार शर्मा, महाप्रबंधक- देश भूषण शर्मा, प्रबंधक मनोज कुमार शर्मा, न्यासी-प्रमोद कुमार शर्मा, ट्रस्टी चन्द्रकृष्ण त्रिपाठी,न्यासी-दिनेश शर्मा, न्यासी-रंजीत शर्मा, न्यासी-श्रीकान्त शर्मा,न्यासी-गौतम ठक्कर एवं ट्रस्टी गणों में-नवीनचन्द्र शाह- न्यासी, कमल परनामी-न्यासी, राकेश (विजय) परनामी-न्यासी, कुलदीप अनत-न्यासी, बोवर्धन सिंह यादव-न्यासी, विकास अनवाल-न्यासी, बच्चुभाई खाबड-न्यासी, नरेन्द्र आर पटेल-ट्रस्टी, जयकांत सोमैया, मिकुल पटेल- न्यासी, प्रशांतभाई चोखावाला,नारणभाई पटेल- न्यासी, हर्षद भाई वेकरिया-न्यासी, अनिल प्रणामी, राजेश त्रिपाठी (धामी)-मुंबई, मुकेशभाई बोलवाला-मुंबई, केतनभाई शाह-मुंबई, राजेन्द्र अग्रवाल-दिल्ली, सतीश मेहता-दिल्ली, मुकेश कुकरेजा-दिल्ली उपदेश शर्मा-भोपाल, हर्ष परनामी-जयपुर,रोहितराज महाराज-सिक्किम, खजान मेहता-जलंधर, राकेश डिडवाणिया-अजमेर, मदन शर्मा-नेपाल, गुन्जारी लाल तिवारी-सिंगरौली आदि का विशेष योगदान है।

एैतिहासिक सवारी में मनमोहक शोभायात्रा रही आकर्षण का केन्द्र
मंगलवार 15 अक्टूबर को खिजड़ा मंदिर से शांम 5 बजे निकली इस एैतिहासिक सवारी में श्रीजी की मनमोहक शोभायात्रा मुख्य आकर्षण का केंद्र रही, जिसकी एक झलक पाने के लिये श्रद्धालु बेताब दिखे। इस बार अन्य राज्यों के साथ-साथ विदेश से भी श्रद्धालु सुंदरसाथ शोभायात्रा में शामिल रहे जिनमें सर्वाधिक नेपाल देश के सुंदर साथ देखे गए। मंदिरों की नगरी पन्ना शहर के लोगों को भी इस ऐतिहासिक शोभा यात्रा का इंतजार रहता है और जिसका नगरवासियों द्वारा जगह-जगह स्वागत व आरती की गई।

शहर वासियों ने सवारी का किया आत्मीय स्वागत
प्रणामी सम्प्रदाय के आस्था का केन्द्र अति प्राचीन खेजड़ा मंदिर से मंगलवार शाम पांच बजे से अखंड मुक्तिदाता महामति प्राणनाथ जी की सवारी जब निकली तो एैसा लगा मानो सभी सन्त मनीषी विविध रूप धारण कर इस सवारी की शोभा बढ़ा रहे हों। दिव्य रथ पर सवार श्रीजी तथा धर्मगुरू इस भव्य सवारी की धर्म निष्ठां व भक्तिभाव के साक्षी बने। श्री जी की इस दिव्य सवारी का नगर के धर्मप्रेमियों ने जहाँ तहेदिल से स्वागत किया वहीं प्रणामी धर्म के स्थानीय सुंदरसाथ (भक्तों) ने जगह-जगह श्री जी की आरती उतारकर पुण्य लाभ लिया।

सद्गुरू के सम्मान का प्रतीक है तेरस की सवारी
अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव के दौरान पन्ना नगर में सैकड़ों वर्षों से लगातार श्री जी की सवारी भव्य स्वरूप के साथ निकाली जाती है। इस सवारी का आयोजन पहली बार बुन्देलखण्ड केशरी महाराजा छत्रसाल जी ने किया था। सद्गुरू के सम्मान का प्रतीक कही जाने वाली इस तेरस की सवारी को लेकर मान्यता है कि जब बुन्देलखण्ड को चारों तरफ से औरंगजेब के सरदारों ने घेर लिया था तब महामति श्री प्राणनाथ जी ने महाराजा छत्रसाल को अपनी चमत्कारी दिव्य तलवार देकर विजयश्री का आर्शीवाद दिया था और कहा था कि हे राजन जब तक तुम अपने दुश्मनों को धूल चटाकर नहीं आ जाते तब तक मैं इसी खेजड़ा मंदिर में ही रूकूंगा। तेरस को जब महाराजा छत्रसाल अपने दुश्मनों पर फतह हासिल कर लौटे तो अपने सद्गुरू महामति प्राणनाथ जी को पालकी में बिठाकर अपने कंघों का सहारा देकर श्री प्राणनाथ जी मंदिर में स्थित गुम्मट बंगला जिसे ब्रम्ह चबूतरा भी कहते हैं में लाए थे। जिसके प्रतीक स्वरूप तभी से यह आयोजन हर वर्ष किया जाता है।

श्री जी की आरती उतारी व फूलों की बारिश कर किया स्वागत
श्री खेजड़ा जी मंदिर से निकली श्री जी की सवारी को श्री प्राणनाथ जी मंदिर की कुल तीन किलोमीटर तक की यात्रा में सात से आठ घंटे का समय लग जाता है। धार्मिक व एैतिहासिक महत्व की इस विशाल शोभायात्रा में पन्ना नगर वासियों ने भी पूरे उत्साह व भक्ति भाव के साथ बढ़ चढ़कर अपनी भागीदारी निभाई। रथ में सवार श्री जी की एक झलक पाने के लिए लोग घंटों सड़क के किनारे खड़े रहे। सवारी के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा जगह-जगह श्री जी की आरती उतारी व फूलों की बारिश कर स्वागत किया गया साथ ही शोभा यात्रा में सम्मिलित सुन्दरसाथ को मिठाइयां बांटी गईं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button