मध्यप्रदेश

CM यादव आगामी जनकल्याण अभियान और इन्वेस्टर समिट में उनके विज़न को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण कदम साबित होंगे

भोपाल

डॉ. मोहन यादव को ‘मुख्यमंत्री’ मोहन यादव बने एक साल हो गया है। एक दिन बाद उनके मुख्यमंत्री-काल की फर्स्ट एनिवर्सरी है और आज वो बीते एक साल का लेखा जोखा पेश करेंगे। वहीं, मोहन सरकार के एक साल पूर्ण होने पर प्रदेश में 11 दिसंबर से 26 जनवरी 2025 तक जनकल्याण अभियान और 11 से 26 दिसंबर तक जनकल्याण पर्व भी मनाया जा रहा है।

इस दौरान प्रदेश के मंत्री अपने प्रभार और गृह जिलों में विभिन्न गतिविधियों में भाग लेंगे और जिलों में आयोजित शिविरों के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करेंगे। साथ ही, सांसद और अन्य जनप्रतिनिधि भी इन आयोजनों की गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी निभाएंगे। वहीं, 26 दिसंबर को पचमढ़ी में चिंतन शिविर का आयोजन किया जाएगा।

पीछे मुड़कर देखने का दिन

ये एक साल पुरानी बात है जब मध्य प्रदेश में सबसे बड़ा सस्पेंस था ‘कौन बनेगा मुख्यमंत्री’। केबीसी के अंतिम सवाल से ज्यादा ये सवाल पूछा जा रहा था और सबसे अपने अपने कयास थे। यकीन मानिए..ज़्यादातर मीडिया हाउस ने तो चर्चित छह-आठ नामों के ‘सीएम’ बनने के टेम्पलेट भी बना रखे थे..ताकि जिस भी नाम की घोषणा हो, तुरंत उसे ब्रेक किया जा सके। लेकिन जब नाम की घोषणा हुई तो सारे ‘व्योमकेश बक्षी’ फेल साबित हुए। सारी पड़ताल, सारे अंदाज़े, सारे अनुमान, सारे तुक्के धम्म से जा गिरे और मुख्यमंत्री बना एक ऐसा व्यक्ति..जो विधायकों की पंक्ति में तीसरी कतार में बैठा हुआ था।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का एक साल

इस वाकये को एक साल हो चुका है। 13 दिसंबर को डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बने एक साल हो जाएगा और बीते साल में उन्होंने अपनी एक मज़बूत पहचान बनाई है, इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता। ‘सबसे पढ़े लिखे राजनेता’ ने अपने पहले ही फैसले में लाउड स्पीकरों की आवाज़ कम कर दी। उस दौर में जब विपक्ष बार बार ये बात कह रहा था कि सरकार की लाड़ली बहना योजना को खत्म करने की मंशा है..उस समय डॉ मोहन यादव ने दृढ़ता से कहा कि ये योजना न सिर्फ जारी रहेगी बल्कि लाड़ली बहनों की राशि में बढ़ोत्तरी और आवास योजना से भी जोड़ा जाएगा। बीआरटीएस कॉरिडोर हटाना उनके बड़े फैसलों में से एक रहा है और ऐसे ही अनगिनत फैसले हैं जो एक साल में लिए गए। अब लंबे समय से मुख्यमंत्री का फोकस प्रदेश में निवेश लाने पर है। इसके लिए लगातार अलग अलग स्तर पर इन्वेस्टर समिट हो रहे हैं और आगामी फरवरी में भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का आयोजन किया जाएगा, जिसमें पीएम मोदी के आने की भी संभावना है।
जारी है उम्मीदों का सफर

संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले डॉ. मोहन यादव को जिस समय मुख्यमंत्री पद का दायित्व सौंपा गया..ये वो समय था जब प्रदेश के लोकप्रिय ‘मामा’ को सीएम न बनाए जाने पर लाड़ली बहनें फूट-फूटकर रोई थीं। कई बार ये सवाल भी कहे सुने गए कि आखिर किस आधार पर बड़े और अनुभवी नामों को छोड़कर डॉ मोहन यादव को सीएम बनाया गया। चुनौतियां कई थीं। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता को मैच करना और उनके लंबे कार्यकाल के बाद प्रदेश की बागडोर संभालना आसान नहीं था। अगर किसी विरोधी पार्टी के नेता के बाद कुर्सी मिले तो दीगर तुलना होती है। लेकिन अपनी ही पार्टी के बेहद लोकप्रिय दिग्गज नेता की विरासत मिलने पर जिस तरह की तुलना और उम्मीदें होती है..उनका दबाव भी कम नहीं होता। लेकिन पिछले एक साल में सीएम डॉ. मोहन यादव ने खुद को पूरी तरह साबित किया है। अपनी एक मज़बूत पहचान बनाई है और अपने फैसलों से दिल्ली के फैसले को सही साबित किया है। मोहन सरकार का ये एक साल निश्चित तौर पर कई उपलब्धियों से भरा रहा है और मध्य प्रदेश को उम्मीद है कि बीजेपी के संकल्प पत्र के आधार पर वे आगे भी प्रदेश हित के लिए नई रोशनी जुटाते रहेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button