राजनीति

HC के आदेश के बाद वापस लिया केस- सांसदी के बाद महुआ मोइत्रा खो देंगी सरकारी बंगला

तृणमूल
पूर्व तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासन के तुरंत बाद दिल्ली में अपना सरकारी बंगला खाली करने के लिए कहा गया था, मगर महुआ नहीं मानीं। वह 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ही बंगला खाली करना चाहती थीं। महुआ ने दिल्ली हाई कोर्ट में इसके खिलाफ केस भी दायर किया लेकिन गुरुवार को महुआ की अर्जी पर सुनवाई के बाद जज ने बताया कि केंद्र सरकार की संपत्ति के लिए निदेशालय में आवेदन किया जाना चाहिए, कोर्ट इसमें कुछ नहीं कर सकता। इसके बाद महुआ के वकील ने केस वापस ले लिया।

8 दिसंबर को 'रिश्वत के बदले सवाल' मामले में महुआ को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था। इसके तुरंत बाद संसद की हाउसिंग कमेटी ने महुआ को एक महीने के अंदर सांसद का बंगला खाली करने को कहा। महुआ को इस संबंध में केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय को पत्र भेजा। इसके बाद 11 दिसंबर को महुआ को बंगला छोड़ने का आदेश दिया गया। इसके लिए 7 जनवरी तक का समय तय था। इस आदेश को चुनौती देते हुए महुआ ने दिल्ली हाई कोर्ट में लिखित हलफनामा दाखिल किया। बुधवार को कोर्ट के आदेश के बाद महुआ के पास बंगला अपने पास रखने के लिए सिर्फ चार दिन बचे हैं।

कोर्ट ने मोइत्रा को अपनी याचिका वापस लेने की भी इजाजत दे दी है। महुआ के वकील ने कहा कि अगर उनकी मुवक्किल को संबंधित अवधि के लिए बंगले में रहने की अनुमति दी जाती है, तो वह विस्तारित अवधि के लिए लागू किसी भी खर्च का भुगतान करने के लिए तैयार हैं। उस आवेदन के मद्देनजर न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने गुरुवार को कहा कि सरकारी आवास में रहने के लिए संपदा निदेशालय को आवेदन किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार को इस संबंध में कानून के मुताबिक फैसला लेना है।

महुआ मोइत्रा को नैतिकता पैनल द्वारा अनैतिक आचरण का दोषी पाए जाने के बाद लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था। उन पर लोकसभा में अडानी समूह के खिलाफ सवाल करने के बदले में व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से उपहार लेने का आरोप लगाया गया था। मोइत्रा ने कहा था कि उन्होंने व्यवसायी के साथ अपने संसदीय लॉगिन क्रेडेंशियल साझा किए ताकि उनके कर्मचारी आधिकारिक मंच पर उनके लिए प्रश्न टाइप कर सकें। मोइत्रा ने अपने निष्कासन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मोइत्रा की याचिका पर लोकसभा महासचिव को नोटिस जारी किया। इसमें तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा गया है।

 

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