विदेश

मोहम्मद यूनुस ने भारत के साथ रिश्ते सुधारने की बात कही, बांग्लादेश के पास और कोई रास्ता नहीं…

नईदिल्ली

भारत के साथ रिश्तों को लेकर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के सुर बदले नजर आ रहे हैं. उन्होंने भारत के साथ रिश्तों को लेकर कहा है कि उनके देश के पास भारत से अच्छे संबंध रखने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है.

यूनुस ने कहा, 'बांग्लादेश को भारत के साथ अपने रिश्ते बेहतर बनाने चाहिए, अपनी जरूरतों और भारत के साथ अपने लंबे परिचय के कारण और इसलिए भी क्योंकि हमारी बहुत सी चीजें एक जैसी हैं. हमारा एक साझा इतिहास है. इसलिए बांग्लादेश के पास भारत के साथ अच्छे रिश्ते रखने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है.'

अगस्त की शुरुआत में बांग्लादेश में छात्र आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया और देश में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए. छात्र आंदोलन के कारण शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और 5 अगस्त को वो देश छोड़ भारत भाग आई थीं. शेख हसीना को पनाह देने को लेकर बांग्लादेश में भारत के खिलाफ कई आवाजें उठीं और अब दोनों देशों के संबंध न्यूनतम स्तर पर हैं.

मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने पहले ही हसीना का डिप्लोमैटिक पासपोर्ट रद्द कर दिया है और बांग्लादेश में शीर्ष अभियोजकों समेत बहुत से लोग उनके प्रत्यर्पण की मांग कर रहे हैं.

भारत-बांग्लादेश के बीच विवादित मुद्दे सुलझाने पर बोले यूनुस

प्रो. यूनुस ने भारत-बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय मुद्दों के समाधान पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि जल बंटवारा, लोगों के सीमा पार आने-जाने का मुद्दा सुलझाया जाना चाहिए. उनका कहना है कि इन मुद्दों को सुलझाने के लिए उनका प्रशासन भारत के साथ मिलकर काम करेगा.

उन्होंने कहा, 'हमें साथ काम करना होगा और इन मुद्दों के सुलझाने के लिए अंतरराष्ट्रीय तरीके हैं. हम उन रास्तों का पालन करेंगे और एक अच्छा नतीजा निकालेंगे.'

भारत में रह रहीं शेख हसीना पर निशाना

प्रो. यूनुस ने भारत में रह रहीं शेख हसीना पर निशाना साधते हुए कहा कि शेख हसीना ने बांग्लादेश की सभी सरकारी संस्थाओं को बर्बाद करके रख दिया. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना जिनके कार्यकाल में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था दक्षिण एशिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनी, उन्हें लेकर प्रो. यूनुस का आरोप है कि उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को गर्त में डुबो दिया.

प्रो. यूनुस ने दिए इंटरव्यू में आरोप लगाया, 'बांग्लादेश से सरकारी चैनलों, बैंक चैनलों और बाकी अन्य तरीकों से पैसा निकाल लिया गया. समझौते बांग्लादेश के लोगों के फायदे के लिए नहीं बल्कि अपने परिवार के फायदे के लिए किए गए… और इसी तरह की बाकी चीजें की गईं. जब सरकार गलत दिशा में जाती है, तो आप इस तरह की खराब चीजें देखते हैं….अर्थव्यवस्था गर्त में जाती है और फिर इसी तरह की चीजें होती जाती हैं.'

कोविड से पहले बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था बेहद तेज गति से आगे बढ़ रही थी लेकिन कोविड-19 महामारी आ जाने के बाद बाकी अन्य देशों की तरह बांग्लादेश की 450 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई. बांग्लादेश के युवाओं में बेरोजगारी भी बढ़ी और अच्छी वेतन वाली नौकरियों की कमी हो गई.

गेहूं और बाकी खाद्यान्नों के बड़े निर्यातक रूस और यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद बांग्लादेश में ईंधन और खाद्यान्नों की कीमतों में भी तेजी आई है जिससे देश का विदेशी मुद्रा भंडार कम हो गया.

विदेशी मुद्रा भंडार में कमी को देखते हुए बांग्लादेश ने पिछले साल अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से 4.7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की मदद मांगी थी. यूनुस की अंतरिम सरकार अब आईएमएफ से आग्रह कर रही है कि उन्हें 5 अरब डॉलर की मदद दी जाए.

बांग्लादेश में कब होंगे चुनाव?

इंटरव्यू के दौरान प्रो. यूनुस ने बांग्लादेश में अगले चुनावों पर भी बात की हालांकि, चुनाव की कोई नियत तारीख नहीं बताई. उन्होंने कहा कि चुनाव जल्द से जल्द कराए जाएंगे.

उन्होंने कहा, 'यह हमारा जनादेश है. हम चुनाव में आना चाहते हैं और एक पारदर्शी चुनाव, सुंदर चुनाव चाहते हैं. फिर जो भी पार्टी सत्ता में आए, उसकी जीत का जश्न मनाना चाहते हैं, और नई चुनी हुई सरकार को सत्ता सौंपना चाहते हैं. इसलिए यह जितना संभव हो सके उतनी जल्दी होना चाहिए. हम आपको अभी तारीख और समय नहीं बता सकते.'

इसी दौरान प्रो. यूनुस ने कहा कि उनका अंतरिम प्रशासन देश में नागरिकों के अधिकारों, मानवाधिकारों, लोकतंत्र और एक अच्छा शासन स्थापित करना चाहता है.

उन्होंने बांग्लादेश के संविधान में संशोधन को लेकर भी संकेत दिया. अंतरिम सरकार के प्रमुख ने कहा, 'हमें संविधान के मुख्य मुद्दों पर फोकस करना होगा और एक सहमति बनानी होगी. हम लोगों की सहमति के बिना कुछ भी नहीं कर सकते क्योंकि यही हमारी ताकत है. अगर सहमति बनती है तो हम इस पर आगे बढ़ेंगे.'

 

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