बिहार-मोतिहारी में इंडो-नेपाल बॉर्डर पर विवाद में पुलिस जवान को घंटों रखा बंधक
मोतिहारी.
इंडो-नेपाल बॉर्डर पर मोतिहारी पुलिस की उस वक्त जमकर किरकिरी हुई जब घोड़ासाहन थाना के एक स्टाफ को नेपाली एपीएफ ने पकड़ लिया। एपीएफ ने बिहार पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए दो नेपाली नागरिकों को छोड़े जाने के बाद उक्त थाना स्टाफ को मुक्त किया। मामला घोड़ासाहन थाना के इंडो नेपाल महूलिया बॉर्डर की बताया गया।
दरअसल, महूलिया पोस्ट पर सीमावर्ती तीन थानों ढाका, घोड़ासाहन और कुंडवा चैनपुर के थानाध्यक्षों को नेपाली एपीएफ के कब्जे में आए थाना स्टाफ को छुड़ाने के लिए जमकर नूरा कुश्ती करनी पड़ी। नेपाली एपीएफ के कमांडेंट विक्रम हेमगोई और पुलिस अधिकारियों के बीच घंटों चली वार्ता के बाद मद्यनिषेध के कथित आरोप में पकड़े गए दो नेपाली नागरिकों को छोड़ा गया, तब जाकर एपीएफ ने बंधक बने बिहार पुलिस के स्टाफ को छोड़ा। घोड़ासाहन पुलिस अपनी किरकिरी बचाने हेतु इस मामले को मद्यनिषेध से जोड़ रही है। पुलिस का कहना है भारतीय क्षेत्र में दो नेपाली नागरिकों को शराब में उत्पाद विभाग ने पकड़ा था। नेपाली नागरिकों को पकड़ने से नाराज नेपाल के एपीएफ ने घोड़ासाहन थाना के स्टाफ को उस वक्त पकड़ लिया, जब वह भूल से नेपाल में चले गए थे। यह अजीबोगरीब बयान है। कारण कि बिहार पुलिस का स्टाफ नेपाल में क्यों चला जाएगा। इस घटना के बाद बॉर्डर पर काफी देर तक भारी संख्या में तमाशबीन भी खड़े रहे और चर्चाओं का बाजार भी गर्म है। साथ ही पुलिस की भारी किरकिरी हो रही है। ऐसी भी चर्चा चल रही है कि घोड़ासाहन थाना क्षेत्र के एक अभियुक्त को पकड़ने दो पीएसआई नेपाल के महूलिया में चले गए थे। वहां आरोपी की शराब की दुकान है। आरोपी नहीं पकड़ा जा सका। दुकान पर आरोपी का पुत्र था। इसके बाद शराब की दुकान से नेपाली बीयर को लाकर देने को पुलिस ने कहा तो उक्त दुकान के दो कर्मचारी कार्टन में बीयर देने के लिए लाए। इसके बाद पुलिस ने दोनों को गाड़ी में बैठा लिया।
यह घटनाक्रम पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनने लगा। पहले तो पुलिस इसको चुपचाप हल कर लेने की फिराक में थी, लेकिन नेपाली एपीएफ की सख्ती से मामला हाईलाइटेड हो गया। तब जाकर तीन थानों के थानाध्यक्ष को पहल करना पड़ा। मामला नेपाल में जाकर अभियुक्त को गिरफ्तार करने से उत्पन्न बताया जा रहा है।