मध्यप्रदेश

प्रदेश में सोलर सिस्टम के माध्यम से बिजली बनाने में इंदौर पूरे प्रदेश में नंबर वन

इंदौर

मालवा-निमाड में घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाने का ट्रेंड लगातार बढ़ रहा है। फरवरी से लेकर अगस्त के तीसरे सप्ताह पिछले 6 महीने में छतों और परिसरों में सोलर पैनल लगाने वालों की संख्या में करीब 55 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

प्रदेश में इंदौर सबसे आगे, दूसरे नंबर पर भोपाल

बिजली कंपनी के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में सोलर सिस्टम के माध्यम से बिजली बनाने में इंदौर पूरे प्रदेश में नंबर वन है। इंदौर में इस समय 10 हजार 700 से ज्यादा छतों पर सोलर सिस्टम के माध्यम से बिजली बनाई जा रही है।

इंदौर मध्य शहर, सुपर कॉरिडोर क्षेत्र, बाइपास से लगी कॉलोनियों, औद्योगिक इलाकों में सूरज की किरणों को सहेज कर बिजली तैयार की जा रही है। इंदौर के बाद भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर का नंबर आता है। भोपाल में लगभग 7 हजार, जबलपुर में लगभग 3 हजार 500 और ग्वालियर में लगभग 3 हजार घरों की छत पर सोलर सिस्टम से बिजली बन रही है।

वहीं उज्जैन में 1200 से ज्यादा, देवास में 500 और रतलाम में 450 उपभोक्ता सोलर पैनल से बिजली तैयार कर रहे हैं। तुलनात्मक रूप से फरवरी से अगस्त तक सबसे ज्यादा प्रतिशत आधारित बढ़ोतरी देवास और इंदौर शहर में हुई है।

केंद्र सरकार तीन किलो वाट के संयंत्र पर दे रही सब्सिडी

मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इंदौर के प्रबंध निदेशक अमित तोमर ने बताया कि शहरी क्षेत्र के प्रत्येक डिवीजन में सोलर पैनल लगाने के लिए रोज आवेदन आ रहे हैं। इन्हें कम से कम समय में मंजूरी दी जा रही है।

पीएम सूर्य घर योजना के तहत 6 महीने में करीब साढ़े पांच हजार उपभोक्ताओं ने रूफ टॉप सोलर नेट मीटर लगवा कर 'मेरी छत मेरी बिजली' का नारा बुलंद किया है। अगस्त के तीसरे सप्ताह तक कंपनी क्षेत्र में 17500 उपभोक्ता रूफ टॉप सोलर नेट मीटर योजना से जुड़े हैं।

तीन किलो वाट तक सोलर संयंत्र लगाने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है, क्योंकि इस क्षमता तक वर्तमान में अधिकतम 78 हजार रुपए की सब्सिडी केंद्र शासन की ओर से उपलब्ध है।

इंदौर में 7100 स्थानों पर बन रही बिजली

इंदौर शहर के मध्य क्षेत्र, समीपी शहर क्षेत्र, बायपास के दोनों ओर की कॉलोनियों, सुपर कॉरिडोर इत्यादि क्षेत्र मिलाकर वर्तमान में 7100 स्थानों पर सूरज की किरणों से बिजली तैयार हो रही है। रोज ही प्रत्येक बिजली संभाग में आवेदन आ रहा है, जिन्हें तत्काल मंजूरी दी जा रही हैं। इससे सीमित समय में ही पात्रतानुसार सब्सिडी प्राप्त हो रही है।

उज्जैन जिले में 1350 स्थानों पर लगे हैं सोलर सिस्टम

तोमर ने बताया कि इंदौर के अलावा कंपनी क्षेत्र के उज्जैन शहर को भी सोलर सिटी के रूप मे विकसित करने के उद्देश्य से उज्जैन में भी बिजली अधिकारी इस दिशा में त्वरित कार्य कर रहे हैं। वर्तमान में उज्जैन शहर में 900 से ज्यादा एवं जिले में 1350 स्थानों पर रूफ टॉप सोलर सिस्टम लगे है। रतलाम शहर में 350 एवं देवास शहर में 225 स्थानों पर छतों, परिसरों पर पैनलों के माध्यम से सूरज की किरणों से बिजली तैयार हो रही हैं। अन्य सभी क्षेत्रों में भी इस तरह के कार्य हो रहे हैं।

बीस वर्ष बिजली मिलती है फ्री

सोलर पैनल्स की आयु यानी कार्य करने की अवधि 20 से 25 वर्ष होती है, जबकि इसे लगाने में उपभोक्ता को जितना व्यय उठाना पड़ता है, वह बिजली की बिल की कीमत के हिसाब से मात्र चार से साढ़े चार वर्ष में पूरा हो जाता है। ऐसे में उसे करीब बीस वर्ष बिजली मुफ्त मिलती है।

200 से 300 रुपये चुकाना होता है बिल

तोमर ने बताया कि योजना से जुड़ने वाले उपभोक्ता को खर्च की गई बिजली एवं परिसर में उत्पादित बिजली के अंतर यूनिट एवं अन्य न्यूनतम फिक्स चार्ज की राशि ही देना होती है। इस तरह तीन किलो वॉट तक का संयंत्र लगाने वाले घरेलू उपभोक्ता को संयंत्र से पूरी क्षमता के साथ बिजली उत्पादन होने पर मौजूदा बाजार कीमत की तीन हजार की बिजली की जगह मात्र 200 से 300 रुपये का ही बिल चुकाना होता है।

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