छत्तीसगड़

इंसानों से ज्यादा वफादार श्वान होते हैं, और रायपुर पुलिस के डॉग स्क्वाड के चार श्वान इसका जीता-जागता उदाहरण

रायपुर

इंसानों से ज्यादा श्वान वफादार होते हैं। रायपुर पुलिस के डॉग स्क्वाड में शामिल चार श्वान इसका उदाहरण पेश कर चुके हैं, जिनकी मदद से पुलिस ने पांच साल में कई दोहरे हत्याकांड और बड़ी चोरी की वारदातों में सफलता प्राप्त की है। साथ ही नशा पकड़वाने में भी सफल रहे हैं।

चारों श्वानों के नाम बंटी, चर्ली, लारा और बादल हैं। इनमें तीन लेब्राडोर और बादल बेल्जियम सेफर्ड नस्ल का है। बादल की मदद से ही पुलिस ने हाल ही में 19 अगस्त को महिला के 18 लाख की फर्जी डकैती की साजिश का राजफाश किया था। डाग स्क्वाड में शामिल इन चारो श्वानों में तीन स्नाइफर और एक ट्रेकर (खोजी) श्वान है।

तीनों स्नाइफर श्वान वीवीआइपी ड्यूटी पर राजभवन, सीएम हाउस, विधानसभा अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री को सुरक्षा दे रहे हैं। वहीं एकमात्र ट्रेकर श्वान को घटना के बाद मौके पर ले जाया जाता है। ट्रेकर श्वान ने चार से पांच घटनाओं में आरोपी तक पहुंचने में पुलिस की मदद की है। पांच साल में 2500 वारदातों में 80 ऐसे मामले रहे जिनमें इन श्वानों का इस्तेमाल किया गया।

नागपुर और हैदराबाद से लाए गए तीन श्वान
पुलिस के साथी स्नाइफर और ट्रेकर श्वान सूंघकर संदिग्ध का लोकेशन पता लगाने में प्रशिक्षित हैं। स्नाइफर डाग चार्ली, बंटी और लारा को चार साल पहले नागपुर और हैदराबाद से लगाया गया था। इनके साथ स्क्वाड में रायपुर के ट्रेकर डाग बादल को भी शामिल किया गया। सभी को दुर्ग के 7वीं बटालियन में प्रशिक्षण दिया गया है।

बारूद और नशे की सामग्री सूंघने में कुशल
श्वान हेंडलर क्रांति वर्मा ने बताया कि चार्ली, बंटी और लारा बारूद संघूने में कुशल हैं। ये तीनों सूंघकर बारूद और नशे की सामग्री आदि का पता लगा लेते हैं। जिले या रेंज में किसी बड़ी वारदात में जब शुरुआत में कोई सुराग नहीं मिलता तो इन्हें ले जाया जाता है, जिससे पुलिस को मामले में दिशा मिलती है। इसी के आधार पर पुलिस काम करती है। जहां भी श्वानों को ले जाया जाता है, वहां कुछ ना कुछ सबूत मिलता ही है।

यह मिलता है खाने के लिए
चारों श्वानों को प्रतिदिन खाने में अलग-अलग चीजें दी जाती है। इन्हें 400 ग्राम चावल या 500 ग्राम आटा, 750 मिलीलीटर दूध, 400 ग्राम मटन खाने के लिए दिया जाता है। हर महीने चिकित्सकों द्वारा इनका परीक्षण किया जाता है।

पुलिस के स्नाइफर डाग काफी अच्छी ट्रेनिंग लिए हुए हैं। प्रकरणों में सबूत जुटाने के लिए इनका भरपूर उपयोग किया जाता है। इनकी मदद से कई बड़े मामलों को सुलझाने में पुलिस को सफलता मिली है। – वैभव मिश्रा आरआइ, पुलिस लाइन

डकैती की झूठी शिकायत का खोला राज
हाल ही में रक्षाबंधन के दिन 19 अगस्त को गुढ़ियारी के आदर्श विहार में डकैती की खबर मिली थी। मामले में डाग स्क्वाड में शामिल बादल की मदद ली गई। वह बार-बार महिला स्वाति केसरवानी के पास जाकर रुक जा रहा था। महिला से कड़ाई से पूछताछ की तो पता चला वह तांत्रिक के संपर्क में थी। महिला ने 14 लाख नकद व तीन-चार लाख के जेवर तांत्रिक को दे दिए थे। डकैती की झूठी कहानी बताई थी।

चार लोगों की हत्या मामले में ढूंढ़ा था साक्ष्य
खुड़मुड़ा में 21 दिसंबर 2020 को खुड़मुड़ा निवासी एक ही परिवार के चार लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। खुड़मुड़ा स्थित बाड़ी में बालाराम सोनकर, उसकी पत्नी दुलारी बाई सोनकर, बेटे रोहित सोनकर और बहु कीर्तिन बाई सोनकर की लाश मिली थी। वहीं रोहित व कीर्तिन के बेटे दुर्गेश सोनकर पर जानलेवा हमला किया गया था। इसे सुलझाने में डाग की मदद से सफलता मिली थी।

गोलीकांड को सुलझाने में श्वानों ने दिलाई सफलता
13 जुलाई 2024 को रायपुर के तेलीबांधा में दिनदहाड़े कोयला कारोबारी पर गोलीबारी हुई थी। अज्ञात लोगों गोली चलाकर फरार थे। बदमाशों ने दो गोलियां चलाई थी, जिसमें एक हवा में और दूसरी कार के शीशे पर लगी थी। इस मामले में भी डाग स्क्वाड की मदद ली गई और सफलता मिली।

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