उत्तर प्रदेश

बसपा सुप्रीमो मायावती ने ‘भारत बंद’ के आह्वान की कार्रवाई को अहिंसात्मक और शांतिपूर्ण ढंग से करने की अपील की

 
लखनऊ

बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपीएससी में लेटरल इंट्री पर जारी किए गए विज्ञापन को निरस्त किए जाने पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि आरक्षण विरोधी प्रक्रिया पर हर स्तर पर रोक लगाई जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार में संयुक्त सचिव व निदेशक आदि के उच्च पदों पर आरक्षण सहित सामान्य प्रक्रिया से प्रमोशन व बहाली के बजाय भारी वेतन पर बाहर के 47 लोगों की लेटरल नियुक्ति बसपा के तीव्र विरोध के बाद रद्द की गई है लेकिन ऐसी सभी आरक्षण विरोधी प्रक्रियाओं को हर स्तर पर रोक लगाने की जरूरत है।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दिनांक एक अगस्त 2024 के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध एसी-एसटी के पूर्व की आरक्षण व्यवस्था को बहाल करने हेतु केन्द्र संविधान संशोधन की कार्रवाई करे, जिसको लेकर कल इन वर्गों द्वारा 'भारत बंद' का आहवान किया गया है जिनसे इसे बिना कोई हिंसा के अर्थात शान्तिपूर्ण करने की अपील है।

योगी सरकार के नौकरियां देने के दावों पर उठाए सवाल
मायावती ने कहा कि देश में रोजगार का घोर अभाव ही नहीं बल्कि अमीर व गरीबों के बीच बढ़ती खाई अर्थात देश में पूंजी के असामान्य वितरण से आर्थिक गैर-बराबरी के रोग के गंभीर होने से जन व देशहित प्रभावित हो रहा है जो कि अति चिन्तनीय है। देश में विकास दर के दावे के हिसाब से यहां उतनी नौकरी क्यों नहीं? इसके लिए दोषी कौन है?

उन्होंने कहा कि यूपी सरकार द्वारा भारी भरकम विज्ञापनों के जरिए यह दावा करना कि यहां रोजगार की बहार है वास्तव में इनके अन्य दावों की तरह ही यह जमीनी हकीकत से दूर हवाहवाई ज्यादा है। पेट भरने के लिए मेहनत व जैसा-तैसा स्वरोजगार को भी अपनी उपलब्धि मानना बेरोजगारी आदि की समस्या का समाधान नहीं है।

उन्होंने कहा कि लगभग 25 करोड़ की आबादी वाले यूपी में 6.5 लाख सरकारी नौकरी का दावा क्या ऊंट के मुंह में ज़ीरा नहीं है? इसी प्रकार केन्द्र में भी स्थाई नौकरियों का बुरा हाल है जहां पद खाली पड़े हैं। इससे एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण का कोटा भी प्रभावित है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अपार बेरोजगारी के मद्देनजर सही समाधान जरूरी है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button