मजार की शिफ्टिंग मामले में प्रशासन को हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई
इंदौर
बियाबानी चौराहा स्थित मजार को सरकारी जमीन पर शिफ्ट करने का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। इसे लेकर एक जनहित याचिका प्रस्तुत हुई है। इसमें कहा है कि नगर निगम और जिला प्रशासन ने बगैर तथ्यों की जांच किए मजार को सरकारी जमीन पर शिफ्ट कर दिया।
मजार की शिफ्टिंग से पहले क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति की जांच भी नहीं की गई। यह भी नहीं देखा गया कि पास ही में राम मंदिर है और राम नवमी के अवसर पर प्रतिवर्ष वहां बड़ा आयोजन होता है।
याचिका में सवाल उठाया गया है कि प्रशासन बताए कि किस नियम और कानून के तहत के तहत मजार की सरकारी जमीन पर शिफ्टिंग की गई है।
हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका हिंदू जागरण मंच के संजय भाटिया ने एडवोकेट आशुतोष शर्मा के माध्यम से दायर की है।
याचिका में यह कहा गया
याचिका में मजार को शासकीय भूमि से हटाने और नियम विरुद्ध कार्य करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की गई है।
बियाबानी चौराहा स्थित यह मजार लंबे समय से यातायात में बाधा बनी हुई थी।
मजार की वजह से अक्सर चौराहा पर जाम लगता था।
8 अगस्त को जिला प्रशासन ने नगर निगम की मदद से उक्त मजार को सेवालय अस्पताल के पास खाली पड़ी सरकारी जमीन पर शिफ्ट कर दिया था।
याचिकाकर्ता का कहना है कि उनका विरोध शिफ्टिंग को लेकर नहीं है।
यह विरोध मजार को शासकीय जमीन पर शिफ्ट करने को लेकर है।