Bangladesh Violence अब तक 32 लोगों की मौत,देशभर में कर्फ्यू लगा है और सेना के हाथ में देश की कमान
ढाका
पड़ोसी देश बांग्लादेश से एक बार फिर हिंसा की खबर सामने आई है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, रविवार को बांग्लादेश में भड़की हिंसा में 32 से अधिक लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए. यहां छात्र प्रदर्शनकारी पुलिस और सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं की बीच भिड़ंत हुआ थी.
प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे हजारों प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस छोड़ी और स्टन ग्रेनेड का इस्तेमाल किया. सरकार ने रविवार शाम 6 बजे से अनिश्चितकालीन राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू की घोषणा की, पिछले महीने शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान पहली बार सरकार ने ये कदम उठाया है.
ऐसे में शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पाबंदी लगा दी है। इसमें फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक, यूट्यूब जैसे प्रमुख ऐप शामिल हैं। शुक्रवार को भड़के प्रदर्शन में देश के कई हिस्सों में हिंसा हुई है। इस हिंसा में 32 लोगों की मौत और 100 के घायल होने की खबर है। ढाका में शुक्रवार को हजारों की संख्या में छात्र सड़कों पर उतरे और प्रदर्शन किया।
इन सोशल मीडिया ऐप्स पर लगाए गए बैन को लेकर बांग्लादेश की सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि टाइम्स ऑफ इंडिया और ग्लोबल आइज ने अपनी रिपोर्ट में सोशल मीडिया बैन को लेकर जानकारी दी है।
हिंसा में मारे गए लोगों के लिए न्याय की मांग
आरक्षण के विरोध में हुई हिंसक झड़पों के कारण देशभर में कर्फ्यू लगाना पड़ा था। पिछली बार हुई हिंसक झड़पों में करीब 200 से ज्यादा लोग मारे गए थे। ऐसे में उनके लिए न्याय की मांग को लेकर एक बार फिर से प्रदर्शन शुरू हो गया है। शुक्रवार को हुए विरोध प्रदर्शन दो लोगों की मौत हो गई है। 100 से अधिक घायल हो गए है। ढाका के कुछ हिस्सों में 2,000 से अधिक प्रदर्शनकारी एकत्रित हुए। वे सरकार विरोधी नारे लगा रहे थे। ढाका के उत्तरा इलाके में दर्जनों छात्रों के साथ पुलिस की झड़प हुई।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विरोध प्रदर्शन हुआ था शांत
दरअसल, बांग्लादेश में पिछले महीने, जुलाई में भीमेटा प्लेटफॉर्म पर पाबंदी लगाई गई थी। देश में आरक्षण विरोधी प्रदर्शन के बाद कर्फ्यू लगाया गया था। इस दौरान भी इंस्टाग्राम और फेसबुक पर अस्थाई तौर पर पाबंदी लगाई गई थी। जुलाई में विरोध प्रदर्शनों के बाद इंटरनेट और सोशल साइट्स पर रोक का फैसला लिया गया था। कई दिन के हिंसक प्रदर्शनों के बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से आरक्षण कोटे पर फैसला आया था। इसके बाद हालात शांत हो रहे थे लेकिन देश में फिर से विरोध प्रदर्शन की चिंगारी भड़कने लगी है। ग्लोबल आइज की रिपोर्ट में भी बताया गया है कि शुक्रवार से ही पूरे देश में सोशल मीडिया साइट्स पर अस्थायी बैन लगा दिया गया है।