उत्तर प्रदेश

कृष्ण जन्मभूमि मामले में मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाई कोर्ट से झटका, अदालत ने सुनाया बड़ा फैसला

 इलाहाबाद /मथुरा

मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट मुकदमों के रखरखाव को लेकर सुनवाई कर रहा है. कोर्ट से मुस्लिम पक्ष को झटका लगा है. मामले में अब ट्रायल चलेगा. कोर्ट ने हिंदू दावे को सुनवाई योग्य माना है. मुसलिम पक्ष की आपत्ति को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

मुकदमों की रखरखाव के संबंध में मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने निर्णय सुरक्षित रख लिया था. मुकदमे शाही ईदगाह मस्जिद का ढांचा हटाकर जमीन का कब्जा देने के अलावा मंदिर का पुनर्निर्माण कराने की मांग को लेकर दायर किए गए हैं.

बता दें कि हिंदू पक्ष ने जो याचिकाएं दायर की थीं, उनमें शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन को हिंदुओं की बताया था और वहां पूजा का अधिकार दिए जाने की मांग की थी. वहीं, मुस्लिम पक्ष ने प्लेसिस ऑफ वर्शिप एक्ट, वक्फ एक्ट, लिमिटेशन एक्ट और स्पेसिफिक पजेशन रिलीफ एक्ट का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष की याचिकाओं को खारिज किए जाने की दलील पेश की थी.

इससे पहले 6 जून को सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. दरअसल, हिंदू पक्ष की तरफ से 18 याचिकाएं दाखिल की गई थीं. वहीं, मुस्लिम पक्ष ने ऑर्डर 7 रूल, 11 के तहत इन याचिकाओं की पोषणीयता पर सवाल उठाए और इन्हें खारिज किए जाने की अपील की थी.

दोनों पक्षों के लिए आज का दिन बेहद अहम था. आज श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह से संबंधित कुल 18 याचिकाओं को लेकर फैसला आया है. भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव और सात अन्य की तरफ से दाखिल सिविल वाद की पोषणीयता को लेकर याचिकाएं दायर की गईं थी. उसके बाद शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी इलाहाबाद हाई कोर्ट में सीपीसी के ऑर्डर 7, रूल 11 के तहत याचिकाएं दाखिल की थीं.

हिंदू पक्षकारों की दलील

* ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ एरिया श्रीकृष्ण विराजमान का गर्भगृह है।
* शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के पास भूमि का कोई ऐसा रेकॉर्ड नहीं है।
* श्रीकृष्ण मंदिर तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया है।
* बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के इस भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया है।
मुस्लिम पक्षकारों की दलील

•मुस्लिम पक्षकारों की दलील है कि इस जमीन पर दोनों पक्षों के बीच 1968 में समझौता हुआ है। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं है। लिहाजा मुकदमा चलने योग्य नहीं है।
•उपासना स्थल कानून यानी प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत भी मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है।
15 अगस्त, 1947 के दिन जिस धार्मिक स्थल की पहचान और प्रकृति जैसी है वैसी ही बनी रहेगी। यानी उसकी प्रकृति नहीं बदली जा सकती है।

क्या है विवाद

यह विवाद मुगल सम्राट औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है जिसका निर्माण भगवान कृष्ण की जन्मस्थली पर बने मंदिर को कथित तौर पर ध्वस्त करने के बाद किया गया.

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