विदेश

पाक में सेना की मजबूत पकड़ और सत्ता प्रतिष्ठान से उसकी राजनीतिक जुगलबंदी एक बार फिर सतह पर

इस्लामाबाद
पाकिस्तान में सेना की मजबूत पकड़ और सत्ता प्रतिष्ठान से उसकी राजनीतिक जुगलबंदी एक बार फिर सतह पर आ गई है। पाकिस्तान की सरकार ने सेना को गिलगित-बाल्टिस्तान सहित कई प्रांतों में ऑपरेशन अजम-ए-इस्तेहकम के माध्यम से एक नए सिरे से सक्रिय और आतंकवाद विरोधी अभियान से निपटने के लिए मंजूरी दी है। इसका पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की तहरीक ए इंसाफ पार्टी (पीटीआई) खुलकर विरोध कर रही है। सेना की तरफ से भी पीटीआई के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया है। पाकिस्तान की सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ ने सोमवार को देरशाम रावलपिंडी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पीटीआई का नाम लिए बिना कहा कि संगठित राजनीतिक माफिया आतंकियों के सफाये और आर्थिक विकास के उद्देश्य से शुरू किए गए एक नए आतंकवाद-रोधी अभियान ‘अज्म-ए-इस्तेहकाम’ के बारे में गलत सूचना फैला रहे हैं।

दरअसल पाकिस्तान की जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पीटीआई ने ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकम का कड़ा विरोध किया है। पीटीआई ने कहा कि खैबर पख्तूनख्वा में किसी भी सैन्य हस्तक्षेप का कड़ा विरोध किया जाएगा। इस्लामाबाद में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गुंदापुर, पीटीआई अध्यक्ष बैरिस्टर गौहर अली खान और असद कैसर सहित कई नेताओं ने सरकार के ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकाम से पैदा होने वाली परिस्थितियों का आकलन किया।। पार्टी के सदस्यों ने इस बात पर एकजुटता व्यक्त की है कि अगर खैबर पख्तूनख्वा में किसी भी तरह से कोई सैन्य कार्रवाई की जाती है तो पीटीआई उसका विरोध करेगी। ऑपरेशन अजम-ए-इस्तेहकम के खिलाफ असंतोष को अन्य राजनीतिक संस्थाओं ने भी दोहराया। पीटीआई नेताओं ने कहा कि ऑपरेशन अजम-ए-इस्तेहकम पाकिस्तान की सुरक्षा को मजबूत करने के बजाय उसकी कमजोरियों को बढ़ा सकता है।

पाकिस्तान की संसद में अब सबसे बड़ी पार्टी के रूप में मान्यता मिल जाने के बाद पीटीआई के इस विरोध ने सेना और सरकार के सामने चुनौती खड़ी कर दी है। इसी के बाद सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ ने कहा कि अजम-ए-इस्तेहकम को विफल करने के लिए बड़े एक विशाल अवैध राजनीतिक माफिया खड़ा हो गया है और उस माफिया का पहला कदम झूठे और फर्जी तर्कों के माध्यम से अभियान को विवादास्पद बनाना है। अज्म-ए-इस्तेहकाम को लेकर उन्होंने कहा कि यह कोई सैन्य अभियान नहीं है बल्कि एक आतंकवाद-रोधी पहल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास और स्थिरता को बढ़ावा देना है।

 

 

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