खेडकर ने लोकोमोटर डिसैबिलिटी का दिव्यांगता सर्टिफिकेट हासिल करने फर्जी पते से उपयोग किया
मुंबई
विवादों में घिरी महाराष्ट्र की ट्रेनी IAS पूजा खेडकर को लेकर रोजाना नए खुलासे हो रहे हैं. अब पता चला है कि खेडकर ने गलत एड्रेस के जरिए राशन कार्ड बनवाया था और इसी राशन कार्ड के इस्तेमाल से दिव्यांगता सर्टिफिकेट हासिल किया था.
इन्वेस्टिगेशन में पता चला है कि पूजा खेडकर ने पिंपरी के यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल (YCM) हॉस्पिटल से फर्जी दिव्यांगता सर्टिफिकेट बनवाया था. इसके लिए उसने अपना एड्रेस पिंपरी चिंचवाड़ का बताया था. खेडकर ने अस्पताल को जो एड्रेस प्रूफ दिया था, उसमें उसके घर का पता प्लॉट नंबर 53, देहू-आलंदी, तलवडे था. हालांकि, अब पता चला है कि यह एड्रेस असल में किसी रिहायशी प्रॉपर्टी का नहीं बल्कि बंद हो चुकी कंपनी थर्मोवेरिटा इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड का था.
जांच में पता चला है कि पूजा खेडकर ने इस कंपनी के एड्रेस का इस्तेमाल कर राशन कार्ड बनवाया था. इसी राशन कार्ड का इस्तेमाल कर खेडकर ने लोकोमोटर डिसैबिलिटी का दावा कर वाईसीएम अस्पताल से दिव्यांगता सर्टिफिकेट हासिल किया था. लोकोमोटर डिसैबिलिटी में किसी भी शख्स के पैर सही तरीके से काम नहीं करते हैं.
वहीं, पूजा खेडकर जिस ऑडी कार का इस्तेमाल करती थी. वह भी इसी थर्मोवेरिटा कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड थी. इस कंपनी पर बीते साल में ढाई लाख से ज्यादा का टैक्स बकाया है.
LBSNAA ने रद्द की पूजा की ट्रेनिंग
इससे पहले उत्तराखंड के मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एडमिनिस्ट्रेशन एकेडमी ने पूजा खेडकर का महाराष्ट्र से ट्रेनिंग प्रोग्राम रद्द कर दिया था. इसके साथ ही एकेडमी ने उन्हें तत्काल वापस बुलाने के लिए लेटर भी जारी किया. इसके अलावा एकेडमी ने महाराष्ट्र सरकार को भी इस संबंध में पत्र लिखकर सूचित किया है.
LBSNAA द्वारा पूजा खेडकर को जारी आदेश में कहा गया है कि आपके जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम को स्थगित रखने तथा आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए आपको तुरंत वापस बुलाने का निर्णय लिया है. आपको महाराष्ट्र राज्य सरकार के जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम से मुक्त किया जाता है.
IAS पूजा को लेकर रोज हो रहे खुलासे
पूजा खेडकर को लेकर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. आरोप है कि पूजा खेडकर ने दृष्टिबाधित और मानसिक रूप से बीमार होने का सर्टिफिकेट जमा करके यूपीएससी परीक्षा में हिस्सा लिया था. उसके आधार पर विशेष रियायतें पाकर वो आईएएस बनीं. यदि उन्हें यह रियायत नहीं मिलती तो उनके लिए प्राप्त अंकों के आधार पर आईएएस पद प्राप्त करना असंभव होता.
पूजा पर आरोप है कि चयन के बाद पूजा को मेडिकल जांच से गुजरना था, लेकिन उन्होंने इसे टाल दिया. उन्होंने विभिन्न कारणों से छह बार मेडिकल परीक्षण से इनकार कर दिया. बाद में बाहरी मेडिकल एजेंसी से एमआरआई रिपोर्ट जमा करने का विकल्प चुना, जिसे यूपीएससी ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया. हालांकि बाद में यूपीएससी ने इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया. इसके चलते सरकार से इसकी जांच की मांग की जा रही है.
इसके अलावा उनकी उम्र को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. दस्तावेजों से पता चलता है कि पूजा खेडकर द्वारा 2020 और फिर 2023 में केंद्रीय अपीलीय ट्रिब्यूनल को जो विवरण दिए गए. इसमें तीन साल के अंतराल के बावजूद सिर्फ एक साल आयु बढ़ना दिखाया गया है. हालांकि, खेडकर ने अपनी बेंचमार्क डिसैबिलिटी साबित करने के लिए कोई टेस्ट नहीं कराया. यूपीएससी ने उनके चयन को केंद्रीय अपीलीय न्यायाधिकरण (कैट) में चुनौती दी थी, जिसने फरवरी 2023 में उनके खिलाफ फैसला सुनाया था. खेडकर ने 2020 और 2023 के कैट आवेदन फॉर्म में खुद के लिए बेंचमार्क विकलांगता वाले व्यक्तियों के लिए ऊपरी आयु सीमा में छूट मांगी है.
पद का दुरुपयोग करने का भी आरोप
2023 बैच की पूजा खेडकर पर पुणे में प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी के रूप में काम करते हुए पद के दुरुपयोग का आरोप है. पूजा ने कई सुविधाओं की मांग की थी. दरअसल, ये सुविधाएं प्रशिक्षु अधिकारियों को नहीं मिल पातीं हैं, फिर भी पूजा ने लाल-नीली बत्ती और वीआईपी नंबर प्लेट वाली अपनी निजी ऑडी कार का इस्तेमाल किया. अपने वाहन पर 'महाराष्ट्र सरकार' का साइनबोर्ड लगाया और एक आधिकारिक कार, आवास, कार्यालय कक्ष और अतिरिक्त स्टाफ की मांग की.
इतना ही नहीं, उन्होंने सीनियर अधिकारी की अनुपस्थिति में उनके चैंबर पर भी कब्जा कर लिया था. इन सभी मामलों के बाद पुणे कलेक्टर सुहास दिवासे ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा था और पूजा खेडकर की शिकायत की थी. उसके बाद पूजा का तबादला वाशिम जिले में कर दिया गया. वहां उन्होंने असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में जॉइन कर लिया है.