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अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव में झूमे देश विदेश के सुंदरसाथ

श्री प्राणनाथ प्यारे के जयकारों से गूँजा ब्रम्ह चबूतरा

Realindianews.com
भोपाल। मध्य प्रदेश में स्थित मंदिरों की नगरी एवं प्रणामी सम्प्रदाय का प्रमुख तीर्थ 5 पद्मावतीपुरी धाम पन्ना में अन्तर्राष्ट्रीय शरदपूर्णिमा महोत्सव के अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ पड़े। महामति श्री प्राणनाथ जी मंदिर में शरद पूर्णिमा की रात भक्ति भाव में डूबे श्रद्धालुओं ने जयकारे लगाते हुए खूब गरबा नृत्य किया। हजारों सुन्दरसाथ व नगरवासियों ने श्री जी को निहारकर अपने नैनों को तृप्त किया। जैसे ही बंगला जी दरबार साहब से श्री जी की सवारी रासमण्डल के लिये निकलीए वैसे ही रास के रचइया की जय, श्री प्राणनाथ प्यारे के जयकारों से पन्ना नगरी गूंज उठी।


महामति श्री प्राणनाथ मंदिर में पंचमी तक चलेंगी जागिनी रास की लीलायें
उल्लेखनीय है कि श्री प्राणनाथ जी ने सुन्दरसाथ जी को श्री राज जी.श्यामा जी की अलौकिक अखण्ड रासलीलाए जागिनी रास का दर्शन कराया था। प्रणामी धर्म का सबसे पवित्र धाम श्री गुम्बट जी मन्दिर जिसका प्रांगण बृह्म चबूतरा कहा जाता है। यहीं पर श्री प्राणनाथ जी ने अपने परम स्नेही सुन्दरसाथ जी को श्री राज जी.श्यामा जी की अलौकिक अखण्ड रासलीलाए जागिनी रास का दर्शन कराया था। इसीलिये इसे जागिनी लीला भी कहा जाता है। उसी समय से अन्तर्राष्ट्रीय शरदपूर्णिमा महोत्सव का यहां पर बड़े ही धूमधाम और भक्ति भाव के साथ आयोजन किया जाता है। श्रद्धालु यहां विराजमान साक्षात अक्षरातीत पूर्णबृह्म के अलौकिक रास के आनंद में सराबोर होते हैं। शनिवार पूनम की रात जैसे ही श्रीजी की भव्य सवारी बंगला जी दरबार साहब से रासमण्डल में आई तो वहां उपस्थित हजारों सुन्दरसाथ अपने पिया के साथ प्रेम रंग में डूब गये। यह अखण्ड रास का आयोजन पांच दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय शरदपूर्णिमा उत्सव के रूप में रात-दिन चलेगा। विदित हो महामति श्री प्राणनाथ मंदिर में निरंतर पंचमी तक जागिनी रास की लीलायें चलेंगी।


महोत्सव में प्रणामी धर्म के गादीपतिए धर्मगुरू व संतगण शामिल हुए
श्री राज जी महाराज के दिव्य शोभा यात्रा को मन्दिर के पुजारियों द्वारा अपने कंधों पर पूर्ण भाव के साथ रास मंडल लाई गई। इस महोत्सव में प्रणामी धर्म के सभी गादीपतिए धर्मगुरू व संतगण उपस्थित रहकर कार्यक्रम में शामिल होते हैं। सर्वप्रथम श्री बंगला जी मन्दिर में सेवाए पूजा व आरती हुई। तत्पश्चात श्री राज जी महाराज के दिव्य सिंहासन को मन्दिर के पुजारियों द्वारा अपने कंधों पर लेकर श्री प्राणनाथ जी के जयघोष के साथ शोभयात्रा रात्रि ठीक 8 बजे निकली। शोभायात्रा निकलते ही उपस्थित हजारों की संख्या में प्रणामी धर्मावलम्बी सुन्दरसाथ की भावनायें व उत्साह कुछ ऐसा दिखा जैसे कि साक्षात रास के रचइया श्री प्राणनाथ जी स्वयं पालकी में विराजमान हों। शोभायात्रा बृह्म चबूतरे पर ही स्थित रासमण्डल में पधराई गई। श्री राज जी की शोभयात्रा की एक झलक पाने के लिये सुन्दरसाथ बेताब दिखे। देश के कोने-कोने से आये सुन्दरसाथ पारम्परिक वेशभूषा में सुसज्जित अपनी-अपनी बोलियों में भजन-कीर्तन करते नजर आये। मालूम होगी ब्रह्म चबूतरे पर स्थित रास मंडल शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में सिर्फ वर्ष में एक बार 5 दिन के लिए खुलता है जिसमें अखंड रास के रचैया श्री प्राणनाथ जी को साक्षी मानकर रात दिन विविध कार्यक्रम चलते रहते हैं जिसमें सबसे महत्वपूर्ण रास की लीलाएं होती रहती हैं। इन लीलाओ मैं उपस्थित से श्रद्धालु सुंदरसाथ अपनी शुद्ध बुद्ध खोकर मगन रहता है।


ब्रम्ह चबूतरा है गुम्मट जी मंदिर
पन्ना प्रणामी धर्म का सबसे पवित्र धाम श्री गुम्मट जी मंदिर जिसका प्रांगण ब्रम्ह चबूतरा (रास मण्डल) कहा जाता है। क्योंकि यहीं पर श्री प्राणनाथ जी ने अपने परम स्नेही सुंदरसाथ जी को श्री राज जी-श्यामा जी की अलौकिक अखण्ड रासलीला, जागिनी रास का दर्शन कराया था इसीलिये इसे जागिनी लीला भी कहा जाता है। उसी समय से अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव के नाम से प्रतिवर्ष पांच पद्मावतीपुरी धाम पन्ना संपूर्ण विश्व की मुक्तिपीठ है। यहां विराजमान साक्षात अक्षरातीत पूर्णब्रम्ह के अलौकिक रास के आनंद में सराबोर सुन्दरसाथ होते हैं। इस आनंद में सुन्दरसाथ उस क्षण के प्रत्यक्षदर्शी बने जब श्री प्राणनाथ जी की शोभायात्रा श्री बंगला जी मंदिर से निकलकर रासमण्डल में पधराई गई। श्रीजी की भव्य सवारी बंगला जी दरबार साहब से रास मण्डल में आई तो वहां उपस्थित सुंदरसाथ अपने पिया के साथ प्रेम रंग में डूब गये। यह अखण्ड रास का आयोजन आज से पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा उत्सव के रूप में रात-दिन चलेगा।


दिव्य सिंहासन को अपने कंधों में लेकर निकली सवारी
क्षर और अक्षर से भी परे जो मूल-मिलावा श्री राज के साथ जागिनी रास महोत्सव का शुभारंभ बंगला जी मंदिर से हुआ। इस महोत्सव में प्रणामी धर्म के सभी गादीपति, धर्मगुरू व संतगण उपस्थित रहकर कार्यक्रम में शामिल हुए। सर्वप्रथम श्री बंगला जी मंदिर में सेवा, पूजा व आरती हुई। तत्पश्चात श्री राज जी महाराज के दिव्य सिंहासन को मंदिर के पुजारियों द्वारा अपने कंधों पर लेकर श्री प्राणनाथ जी के जयघोष के साथ शोभयात्रा दिव्य रात्रि में निकाली गई। शोभायात्रा निकलते ही उपस्थित प्रणामी धर्मावलम्बी सुंदरसाथ की भावनायें व उत्साह कुछ एैसा दिखा जैसे कि श्री प्राणनाथ जी स्वयं जीवंत स्वरूप में पालकी में विराजमान हों। शोभायात्रा ब्रम्ह चबूतरे पर ही स्थित रास मण्डल में पधराई गई। श्री राज जी की शोभयात्रा की एक झलक पाने के लिये बेताब रहे सुंदरसाथ उस क्षणिक दर्शन पाने के लिये बेताब दिखे जो कभी श्री प्राणनाथ जी ने साक्षात जागनी लीला कर इसी ब्रम्ह चबूतरे में सुंदरसाथ को दिखाया था।


प्रेम से ही मिलता है अपना प्रियतम
प्रेम में सर्वस्य समर्पण का एैसा उदाहरण अन्यत्र कहीं भी नहीं मिलता। निजानंद सम्प्रदाय में प्रेम की बड़ी महिमा है। यहां प्रेम ही सब कुछ है शरद पूर्णिमा में श्रीकृष्ण ने प्रेम को ही प्रतिष्ठा प्रदान की है। प्रेम से ही अपना प्रियतम मिलता है जैसे गोपियों को महारास में श्रीकृष्ण मिले यही सब पन्ना परम धाम में इस पांच दिवसीय शरद पूर्णिमा महोत्सव में जो कि पूरी भक्ति भाव, प्रेम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है जो सभी को देखने को मिलता है।


सुरक्षा व्यवस्था के रहे पुख्ता इंतजाम
अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव में लोगों को कोई परेशानी न हो इसलिए पूरा जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था में तैनात रहा। पुलिस व यातायात पुलिस द्वारा कार्यक्रम में सुरक्षा व वाहन व्यवस्था पार्किंग हेतु पुख्ता इंतजाम किये गए थे।

नवीन ट्रस्टीगणों की व्यवस्था रही अच्छी
प्राणनाथ मंदिर ट्रस्ट के नवीन ट्रस्टी गणों नें समय को देखते हुए सुंदरसाथ जी के लिए जरुरी सारी व्यवस्था की गई थी। महा प्रबंधकर डीबी शर्मा जी ने अपने सभी ट्रस्टीगणों के साथ सुंदरसाथ जी को सुविधा की दृष्टि से पूरी व्यवस्था की गई थी।

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