मध्यप्रदेश

चितौरा में 34 साल बाद बारिश के पानी की तबाही का मंजर देखने को मिला

भिंड

भिंड जिले के गोहद क्षेत्र के चितौरा गांव में 34 साल बाद बारिश के मौसम में पानी की तबाही का मंजर देखने को मिला। लोगों के घरों के अंदर घर – गृहस्थी का सामान पानी के कारण खराब हो गया है।

घरों में दो से तीन दिन तक पानी हिलौरे मारता रहा। लोग छतों पर रहे, तो कुछ लोग सुरक्षित स्थानों के लिए चले गए थे। अब जब पानी उतर गया है, तो लोग पानी से भीगी गृहस्थी को संभालने में जुट गए हैं।

गोहद विधानसभा के चितौरा गांव के लोगों का कहना है कि 1990 में भिंड जिला बाढ़ की चपेट में आया था। उस समय चितौरा गांव भी पानी में डूब गया था। अब 34 साल बाद दो दिनों तक ग्वालियर और भिंड की सीमा में होने वाली बारिश के कारण तेज पानी का बहाव गांव में आया। इससे बाढ़ आ गई।

पानी निकालने के लिए तोड़ना पड़ीं सड़कें

लोगों का कहना है कि पानी का बहाव इतना तेज था कि गांव के आसपास छह जगहों पर पक्की सड़क को तोड़ना पड़ा। पानी के निकासी के लिए जगह-जगह बनाई गई पुलिया में से पानी निकल नहीं पा रहा था और पानी का वेग लगातार बढ़ता जा रहा था।लोगों के घरों तक यह पानी पहुंच चुका था। सुरक्षा की दृष्टि से सड़क को जगह – जगह तोड़ना ही जिला प्रशासन के अफसर में मुनासिब समझा था। जब लोगों के घरों में पानी भरा तो लोग जरूरत का सामान लेकर सुरक्षित स्थान पर पलायन कर गए। अब पानी उतर गया तो लोग फिर वापस आकर घर की सफाई कर रहे हैं।

एक दर्जन से ज्यादा कच्चे मकान गिरे

गांव के लोगों का यह भी कहना है कि जो गृहस्थी थी, वो पानी में खराब हो गई है। इसको जोड़ने में बरसों लग गए थे। बाढ़ के पानी के कारण जहां एक दर्जन से ज्यादा कच्चे मकान गिर गए हैं, वहीं पक्के मकान में भी सीलन बैठ गई है। कुछ मकान ऐसे भी हैं, जिनमें दरारें आ गई है। हालांकि, अब तक इन मकानों के सर्वे को लेकर कोई भी प्रशासनिक अफसर में पुख्ता कदम नहीं उठाया।

ग्वालियर के कैचमेंट एरिया में ज्यादा बारिश से बने बाढ़ के हालात

दैनिक भास्कर से बातचीत में सिंचाई विभाग के कार्यपालन यंत्री अंजुल दोहरे ने बताया कि ग्वालियर के कैचमेंट एरिया में अधिक बारिश हुई है। जगह-जगह सड़के बनाई गई हैं, इस कारण से पानी का बहाव चितौरा के रास्ते आ गया। अब तक होने वाली बारिश का पानी दो तरह फ्लो के साथ बहता था। ग्वालियर के बिलौआ से लेकर चितौरा तक के कैचमेंट एरिया में होने वाली बारिश का कुछ हिस्सा सिंध नदी में जाता था और पानी का कुछ हिस्सा मुरार नदी में होते हुए बैसली नदी में आता था। लेकिन, एक कैचमेंट एरिया में अति बारिश होने के कारण पानी का बहाव सीधा उतर आया है और इससे बाढ़ जैसे हालात गोहद क्षेत्र के चितौरा और आसपास के गांव में बने हैं।

सरपंच बोलीं- प्रशासन को जानकारी दे चुके

गांव की सरपंच अंजू राणा का कहना है कि चितौरा में बाढ़ के पानी से भारी नुकसान हुआ है। घर गृहस्थी के साथ-साथ पशु धन का नुकसान हुआ है। सरकारी बिल्डिंगों से लेकर सड़क तक का नुकसान हुआ है। ऐसी बाढ़ को मैंने पहली बार गांव के अंदर देखा है। इस बात की जानकारी प्रशासनिक अफसर को दी जा चुकी है।

गांव के धर्मेंद्र राणा का कहना है कि बाढ़ के कारण जहां घरों में भरा हुआ अनाज सड़ गया है, वही सरकारी खाद की 600 बोरी पानी में गल गईं। गोशाला के लिए रखा हुआ सुदाना भी खराब हो गया। गायों का भूसा भी पानी में बह गया है। कई लोगों के घरों में खाने-पीने के अनाज का टोटा बना हुआ है।

SDM बोल- जांच करवा रहा हूं

गोहद एसडीएम पराग जैन ने दैनिक भास्कर से चर्चा करते हुए कहा, 'ग्वालियर के कैचमेंट एरिया में अति बारिश हुई है। इस कारण से यह हालत बने हैं। अब इस हालात के कारण कई गांवों को नुकसान हुआ है। गांव में नुकसान का सर्वे कराया जा रहा है। वहीं, सिंचाई विभाग के अफसर को निर्देशित किया है कि आखिर यह पानी इतनी अधिक मात्रा में चितौरा बेल्ट में कैसे आया, इसकी जांच कराई जा रही है।

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