भव्यता के साथ शरद महोत्सव पर इस बार होंगे आध्यात्मिक कार्यक्रम
अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव का 24 अक्टूबर से शुभारंभ
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भोपाल। मध्य प्रदेश के पन्ना में अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव के मुख्य समारोह को लेकर आवश्यक ट्रस्ट बोर्ड बैठक 23 सितम्बर को शरद पूर्णिमा, पृथ्वी परिक्रमा एवं 1200 पारायण को लेकर सम्पन्न हुई। बैठक में सभी ट्रस्ट के सभी पदाधिकारियों को आयोजन को लेकर काम सौंपा गया। बैठक में धर्मगुरु डॉ. दिनेश पंडित जी नें आयोजित कार्यक्रम की पूरी रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा करते हुए अपनी बात रखी। वहीं बैठक की अध्यक्षता महेश भाई अध्यक्ष श्री 108 प्राणनाथ जी मंदिर ट्रस्ट श्री 5 पद्मावती पुरी धाम पन्ना ने सभी से कार्यक्रम को लेकर विचार लिए साथ ही विशाल कार्यक्रम में सुन्दरसाथ जी के लिए आवास, भोजन की अच्छी व्यवस्था की रूपरेखा बनाई गई। बैठक में सभी पदाधिकारी एवं न्यासीगण प्रमुख रुप से मौजूद रहे।
ट्रस्टियों ने रखे अपने विचार
सम्पन्न बैठक में सभी ने विस्तार से अपने विचार रखे। बैठक में मुख्यरुप से अध्यक्ष महेश भाई शाह (हिम्मत नगर), डी.बी. शर्मा (महाप्रबंधक), रंजीत शर्मा (सचिव), दिनेश शर्मा(उपाध्यक्ष) एवं न्यासीगणों में प्रमोद शर्मा, चन्द्र कृष्ण त्रिपाठी, अभय शर्मा, तिलकराज शर्मा, अमरेश शर्मा, राकेश शर्मा, जयकांत सोमैया(अमरावती), प्रशांत भाई (चोखावाला,बड़साड़), श्रीकांत शर्मा एवं उपदेश शर्मा (भोपाल), कमल प्रणामी (जयपुर), हर्ष प्रणामी (जयपुर), हर्षद भाई (राजकोट), नारायण भाई पटेल (कछ, गुज.) गोवर्धन सिंह, मदन शर्मा नेपाल, अनिल प्रणामी, निगुल पटेल, गुलजारी लाल तिवारी, कुकरेजा जी आदि मौजूद रहे।
दशहरा से शरद महोत्सव का शुभारंभ-देश भूषण
महाप्रबंधक देश भूषण शर्मा नें बताया कि शरद पूर्णिमा महोत्वस इस वर्ष भक्ति भाव के साथ मनाया जाएगा। 24 अक्टूबर दशहरा से दस दिवसीय महोत्सव का शुभारंभ हो जाएगा। जो लगातार 2 नवम्बर पंचमी तक चलेगा। 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का महोत्सव रात्रि को भव्यता के साथ मनाया जाएगा। रात्रि श्री बंगलाजी से श्रीजी की सवारी ब्रह्म चबूतरे से श्री रास मंडल जी में लाई जाएगी। रातभर महारास का उल्लास चलेगा, ब्रह्म चबूतरे में स्थापित श्री रास मंडल जी में पांच दिनों तक रुकेगी सवारी। इस दौरान पांच दिन तक गरबा सहित विविध धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। शरद पूनम की चांदनी रात में महामति प्राणनाथ जी का सौंदर्य देखते ही बनता है। जब चांद पूरा खिला होगा तभी ब्रह्म चबूतरे पर बने बंगलाजी मंदिर से श्रीजी की सवारी को हजारों सुन्दरसाथ नाचते-गाते, गरबा खेलते हुए रास मंडल में पधराएंगे।
रास उत्सव का सभी करेंगे अमृत पान
इस अवसर पर प्रणामी धर्मावलंबी रास उत्सव का आनंद लेते हुए भक्ति रस के अमृत का पान करेंगे। समारोह में वर्ष में एक बार ही बंगलाजी मंदिर से अखंड रास के रचइया की सवारी धूमधाम से रास मंडल में पधराई जाती है। जहां पांच दिनों तक श्रीजी का वास रहता है। पन्ना जिले में अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव कई वर्षों से धूमधाम के साथ मनाया जाता आ रहा है। महोत्सव में देश-विदेश से हजारों सुंदरसाथ आते हैं। ज्ञात हो कि महामति प्राणनाथ जी ने संवत् 1740 में खेजड़ा मंदिर परिसर में बुंदेलखंड की रक्षा के लिए महाराजा छत्रसाल को विजयादशमी के दिन वरदानी तलवार सौंपी थी और वीरा उठाकर संकल्प कराया था कि जब तक जीतकर नहीं आओगे तब तक मैं यहीं ठहरुंगा। परिणाम यह रहा कि महाराजा छत्रसाल ने पूरे बुन्देलखंड पर विजय प्राप्त कर ली और अपना साम्राज्य स्थापित कर पन्ना को राजधानी बनाया था।
औरंगजेब के सरदारों को चटाई थी धूल
तेरस की सवारी का आयोजन पहली बार बुंदेलखंड केसरी महाराजा छत्रसाल ने किया था। सद्गुरु के सम्मान का प्रतीक इस सवारी को लेकर मान्यता है कि जब बुंदेलखंड को चारों तरफ से औरंगजेब के सरदारों ने घेर लिया था तब महामति प्राणनाथ जी ने महाराजा छत्रसाल को अपनी चमत्कारी दिव्य तलवार देकर विजयश्री का आशीर्वाद देकर कहा था कि हे राजन जब तक तुम अपने दुश्मनों को धूल चटाकर नहीं आ जाते तब तक मैं इसी खेजड़ा मंदिर में ही रुकूंगा। तेरस को जब महाराजा छत्रसाल अपने दुश्मनों पर विजयश्री पाकर लौटे तो सद्गुरु महामति प्राणनाथ जी को पालकी में बिठाकर अपने कंघों का सहारा देकर प्राणनाथ मंदिर स्थित गुम्मट बंगला (जिसे ब्रह्म चबूतरा भी कहते हैं) लाए थे। इसके प्रतीक स्वरूप तभी से यह आयोजन हर वर्ष किया जाता है।
पांच दिनों तक चला था अखंड रास
बताया जाता है कि आज से 400 वर्ष पूर्व महामति प्राणनाथ जी गुंबटजी, बंगला जी में अपने 5 हजार सुंदरसाथ के साथ ठहरे थे। पूर्णिमा की चांदनी रात में वे सुंदरसाथ के साथ श्रीकृष्ण द्वारा ग्वाल-ग्वालियों के साथ खेले जाने वाले महारास की चर्चा कर रहे थे। इसी दौरान उनके साथ आए सुंदरसाथ ने महामति प्राणनाथ से अखंड महारास का अनुभव कराने का निवेदन किया। तब पूनम की आधी रात शुरू होने वाली थी। इस पर महामति प्राणनाथ जी ने पांच हजार सुंदरसाथ के साथ महारास खेलना शुरू किया। यह महारास पांच दिन तक बिना रुके, बिना थके चलता रहा। तभी से यह हर साल मनाया जाता है।
चार सौ साल पुरानी परंपरा
पवित्र नगरी पन्ना में अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव के आयोजन को 400 साल से अधिक हो चुके हैं। बताया जाता है कि शरद पूर्णिमा महोत्सव का पहला कार्यक्रम संवत् 1740 में हुआ था। तब महामति प्राणनाथ ने 5 हजार सुंदरसाथ के साथ पूनम की चांदनी रात में अखंड रास के दर्शन कराए थे। चार सौ साल के लंबे सफर में यह महोत्सव नित नई उंचाइयों को छूता जा रहा है। अब भारत के अलावा, ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका सहित विश्व के कई देशों से सुंदरसाथ यहां पहुंच रहे हैं। हर साल सुंदरसाथ के स्वागत के लिए पवित्र नगरी पलक पांवड़े बिछाए रहती है।
स्वर्ण कलशारोहण में पहुंचे थे सर्वाधिक श्रद्धालु
धामी समाज के प्रबुध्दजनों ने बताया कि वर्ष 1971 में मंदिर श्री में ढाई क्विंटल सोने का कलश चढ़ाया गया था। इस साल सबसे अधिक श्रद्धालु मुक्तिधाम में पहुंचे थे। उन्होंने बताया, तब पूरे शहर में श्रद्धालु ही श्रद्धालु दिख रहे थे। स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों आदि की छुट्टी कर दी गई थी और सभी जगह श्रद्धालुओं को रुकवाया गया था। तब कोई भी सरकारी भवन ऐसा नहीं बचा था जहां श्रद्धालुओं को नहीं रुकवाया गया हो।
1961 से ट्रस्ट नें सम्हाला सेवाकार्य
प्राणनाथ मंदिर ट्रस्ट की स्थापना वर्ष 1961 में लाली शर्मा के प्रयासों से हुई थी। तब वे ट्रस्ट के वाइस चेयरमैन बने थे। इसके बाद प्राणनाथ ट्रस्ट ही गुंबटजी, बंगलाजी, गुरु मंदिर, बाईजू राज मंदिर, खेजड़ा मंदिर और चौपड़ा मंदिर आदि का रख-रखाव कर रहा है। जब ट्रस्ट नहीं था तब यहां आयोजन में आने वाले लोगों के लिए हर प्रकार की व्यवस्था करने में काफी परेशानी होती थी। ट्रस्ट बनने के बाद व्यवस्थाओं में सुधार हुआ है। श्रद्धालुओं के लिए ट्रस्ट की ओर से आवास व्यवस्था का विस्तार किया गया है। आज यहां आने वाले ज्यादातार श्रद्धालुओं को ट्रस्ट अपने धर्मशालाओं, आवास गृहों आदि में ठहराता है। यहां चलने वाले लंगर में हर दिन हजारों लोग प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं।
शरद पूर्णिमा महोत्वस कार्यक्रम-2023
24 अक्टूबर-दशहरा (श्री खेजड़ा मंदिर में पान बीड़ा एवं तलवार भेंट)
26 अक्टूबर- श्रीजी की शोभायात्रा खेजड़ा मंदिर से सायं 4 बजे प्रांरभ होकर 12 बजे श्री प्राणनाथ मंदिर पहुंचेगी।
27 अक्टूबर- सद्गुरु धनी श्री देव चन्द्र जी का रात्रि को प्रगटन महोत्सव एवं स्वर्ण कलश अनावरण- प्रात: 10 से 12 बजे तक।
28 अक्टूबर- शरद पूर्णिमा महोत्सव (श्रीजी की शोभा यात्रा श्रीरास मंडल जी में आगमन होगा)
29 से 31 अक्टूबर तक – विविध कार्यक्रम आयोजित होंगे।
01 नवम्बर- रास की जागरण, गरबा, रामत, झीलना आदि।
02 नवम्बर- पंचमी (श्रीजी की शोभा यात्रा रास मंडल से बंगला जी में पुन: सुशोभित होगी)