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सतना शहर को नई पहचान देने के लिए भव्य आकार ले रहा व्यंकटेश लोक

30 सितंबर को लोकार्पित हो सकता है व्यंकटेश लोक

Realindianews.com
भोपाल। मध्य प्रदेश के सतना शहर में स्मार्ट सिटी सतना को नई पहचान देने के लिए शहर के प्राचीनतम व्यंकटेश मंदिर परिसर में व्यंकटेश लोक आकार ले रहा है। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो 30 सितंबर को तकरीबन दस एकड़ में फैले मंदिर परिक्षेत्र में नवनिर्मित व्यंकटेश लोक आम जन को समर्पित कर दिया जायेगा। ऐतिहासिक व्यंकटेश मंदिर परिसर की सुदंरता को चार चांद लगाने के लिए बीते एक वर्ष से कवायद की जा रही थी। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत होने वाले सौंदर्यीकरण के कार्य को अंजाम तक पहुंचाने के लिए एक सैकड़ा से अधिक कुशल कारीगर दिन रात लगातार काम कर रहे हैं।


मंदिर के मूल स्वरूप से कोई छेड़छाड़ नहीं
मुख्तयारगंज स्थित प्राचीनतम एवं ऐतिहासिक व्यंकटेश मंदिर का परिसर जहां आधुनिक चमक-दमक से पर्यटकों को लुभाने के लिए नई इबारत लिख रहा है वहीं मंदिर के मूल स्वरूप के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जा रही है। कारीगरों के लिए यह एक बड़ी चुनौती थी। मंदिर के सौंदर्यीकरण की सबसे बड़ी बात यह है कि इसके मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए इस परिसर को भव्य स्वरूप दिया जा रहा है। भगवान विष्णु को समर्पित शहर का इकलौता व्यंकटेश मंदिर विंध्य क्षेत्र के समृद्ध धार्मिक इतिहास की अनूठी झलक पेश करता है। शहर का यह मंदिर आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान व्यंकटेश के दर्शन के लिए आते हैं। राजा रंदमान सिंह द्वारा स्थापित यह मंदिर दक्षिण भारतीय शैली से बना समूचे विंध्य का एक मात्र मंदिर है। जिसे दक्षिण भारत के कुशल कारीगरों से बनवाया गया था।


राजस्थान व मालवा के कारीगर दे रहे नया रूप
मंदिर परिसर क्षेत्र को नया आयाम देने के लिए राजस्थान व मालवा के कुशल कारीगरों की एक टीम दिन-रात एक कर रही है। कुशल कारीगरों व्दारा मंदिर के पास स्थित तालाब को सुंदर बनाया जा रहा है। प्रोजेक्ट मैनेजर विजय बघेल ने बताया कि स्मार्ट सिटी के द्वारा इस कार्य को 30 सितम्बर तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। सौंदर्यीकरण का कार्य तेज गति से किया जा रहा है कार्य पूरा होने के बाद यह आम जनमानस के लिए समर्पित कर दिया जायेगा।


परिसर में योग स्थल, प्रवचन हाल, व सुंदर पार्क भी
व्यंकटेश मंदिर परिसर क्षेत्र में नवनिर्माण के अंतर्गत योगस्थल, प्रवचन हाल, साधु-संतो के रुकने के लिए प्रतीक्षालय के साथ-साथ सुंदर पार्क व गजीबो का निर्माण किया जा रहा है। प्रोजेक्ट मैनेजर श्री बघेल ने चर्चा में बताया कि एक वर्ष से परिसर में सौंदर्यीकरण का काम चल रहा है जो लगभग 70 फीसदी पूरा हो चुका है। आगामी कुछ दिनों में मंदिर परिसर लोकार्पण के लिए पूरी तरह तैयार हो जायेगा। निर्माणकर्ता कंपनी उद्घाटन के पश्चात पांच वर्ष तक लगातार मेंटिनेंस भी करेगी।
रंग बिरंगी लाइटों से जगमगायेगा समूचा परिसर
व्यंकटेश मंदिर परिसर में स्थित प्राचीन सरोवर को नया स्वरूप देने का कार्य भी किया जा रहा है। परिसर में बनाये गये फव्वारों को नया स्वरूप देकर उन्हें रंग-बिरंगी लाइटों से जगमग किया जा रहा है। समूचे परिसर में एलईडी लाइटें एवं रंगबिरंगी झालरें लगाई जा रही हैं। जो परिसर को भव्य एवं आकर्षक स्वरूप प्रदान करेंगी। इसके साथ ही मुख्य व्यंकटेश मंदिर में चारों तरफ रंगीन हैलोजन एलईडी लगाई गई हैं जो रात में मंदिर की भव्यता को चार चांद लगा देंगी। जगमगाता मंदिर परिसर दूर से ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेगा।


भगवान विष्णु के 10 अवतारों का जीवंत प्रदर्शन करेंगी प्रतिमाएं
व्यंकटेश मंदिर परिसर में स्थित तालाब के चारों ओर भगवान विष्णु के 10 अवतारों का जीवंत प्रदर्शन करतीं भव्य प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। जो लोगों को मन मोह लेंगी तथा भगवान के दस अवतारों की कथा को सरल स्वरूप में प्रदर्शित करेंगी। परिसर में स्थित सरोवर के बीच में भगवान विष्णु की भव्य प्रतिमा स्थापित की जा रही है। उनके दर्शन के लिए सरोवर के बीच में मार्ग भी बनाया जा रहा है। ये भव्य प्रतिमाएं जहां रात में जगमगाती एलईडी लाइटों के बीच अलग रंग बिखेरेंगी वहीं दिन में भी लोगों को आकर्षित करेंगी। मंदिर परिषर में पाथ-वे, बाउंड्री वॉल, बच्चों के लिए किड्स एरिया, वाहन पार्किंग, , मंदिर के पीछे ओपन थिएटर, कीर्तन भवन, शौचालय का निर्माण भी किया जा रहा है।
49 वर्षों में तैयार हुआ था व्यंकटेश मंदिर
शहर के बीचों-बीच मुख्तयारगंज में स्थित सैंकड़ों वर्ष प्राचीन इस मंदिर को देवराजनगर के शाही परिवार के महाराज रंदमान सिंह द्वारा 1876 से 1925 के बीच बनवाया गया था। जिसके निर्माण में तकरीबन 49 वर्ष का समय लगा था। मन्दिर का निर्माण दक्षिण भारत के मंदिरों की तर्ज में करवाया गया था। जिसके लिए कुशल कारीगरों और मजदूरों को दक्षिण भारत से ही बुलवाया गया था। मन्दिर के भीतर की गई शिल्पकला और नक्काशी मंदिर की सुंदरता पर चार चांद लगाती है। मंदिर का आंतरिक स्वरूप अदभुत कारीगरी का नमूना है। मन्दिर के बाहरी आवरण को लाल पत्थर में उकेरी गईं अद्भुत कलाकृतियों से सजाया गया है। जो मन्दिर की भव्यता और दिव्यता का बोध कराता है। मंदिर में विराजमान व्यंकटेश भगवान की प्रतिमा अष्टधातु की है। जिसे जयपुर के कुशल कारीगरों से बनवाया गया था। भगवान व्यंकटेश के गर्भगृह से सटे एक छोर पर स्वामी नारायण भगवान की शयनमुद्रा की प्रतिमा स्थापित है। वहीं दूसरे छोर पर रंगनाथ भगवान विराजमान हैं।
लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र
भगवान व्यंकटेश मंदिर भक्तों के लिए प्रमुख आस्था का केंद्र है जहां दूर-दराज से श्रद्धालू दर्शन के लिए आते है। यह विंध्य का सब से बड़ा और एक मात्र दक्षिण भारतीय मंदिर की तर्ज पर बनवाया गया मन्दिर है। मंदिर परिसर में समय-समय पर धार्मिक अनुष्ठान आयोजित होते हैं। इसके अतिरिक्त झूलन महोत्सव, जन्माष्टमी, नरसिंह चतुर्दशी, गुरु पूर्णिमा, रामनवमी और शरद पूर्णिमा के पर्व पूरे उल्लास एवं आस्था के साथ मनाये जाते हैं।


इनका कहना है
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत व्यंकटेश मंदिर परिसर का कायाकल्प किया जा रहा है। यह मंदिर अपने नये स्वरूप में स्मार्ट सिटी की पहचान बनेगा। व्यंकटेश लोक शहरवासियों के लिए एक नई सौगात होगा। लोकार्पण के पश्चात पांच वर्ष तक निर्माणकर्ता कंपनी कार्यो का मेंटिनेंस करेगी। मंदिर परिसर में सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी भी कंपनी की ही होगी। जहां तक अतिक्रमण का प्रश्न है मामला संज्ञान मेें है, उचित समय पर कार्रवाई की जायेगी।
-भूपेंद्र देव सिंह परमार, उपायुक्त (वित्त) स्मार्ट सिटी

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