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टमाटर के दाम पेट्रोल से दोगुना महंगा होने के लग रहे आसार

नई दिल्ली

बीते साल की तरह ही इस बार भी टमाटर 200 रुपए के पार पहुंच सकता है। देश के कई इलाकों में बारिश और बाढ़ की वजह से टमाटर समेत कई सब्जियों की सप्लाई पर असर पड़ा है, जिससे टमाटर के साथ-साथ लोगों के किचन में हमेशा विराजमान रहने वाले आलू-प्याज भी भाव खाने लगे हैं। चर्चित अमेरिकी उपन्यासकार और फूड कॉलम राइटर लॉरी कॉल्विन ने एक बार कहा था कि बिना टमाटर के दुनिया उसी तरह है, जैसे बिना तारों के वायलिन। आज भारतीय किचन में बेहद करीने से टमाटर सहेजे जाते हैं। बिना टमाटर के किसी तरीदार सब्जी की कल्पना करना भी मुश्किल है।

यूपी के शाहजहांपुर में टमाटर 162 रुपए किलो में बिक रहा है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, महानगरों में टमाटर की खुदरा कीमतें कोलकाता में सबसे अधिक 152 रुपए प्रति किलो रहीं। वहीं, दिल्ली में यह प्रति किलो 120 रुपए, चेन्नई में 117 रुपए और मुंबई में 108 रुपए के हिसाब से बिका। बाजारों में आलू 35 से 40 रुपए किलो बिक रहा है तो प्याज भी कहीं-कहीं 45 से 50 रुपए किलो तक बिक रहा है।

शाहजहांपुर में सबसे ज्यादा में बिका टमाटर

खुदरा टमाटर की अखिल भारतीय औसत कीमत बृहस्पतिवार को 95.58 रुपए प्रति किलो थी। आंकड़ों से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में इसकी सबसे अधिक कीमत 162 रुपये प्रति किलो रही, जबकि राजस्थान के चूरू जिले में न्यूनतम दर 31 रुपए प्रति किलो थी। देश के चार बड़े शहरों के अलावा भी बाकी शहरों में भी टमाटर की कीमतें ऊंची रहीं। गुरुग्राम में टमाटर की खुदरा कीमत 140 रुपए प्रति किलो, बेंगलुरु में 110 रुपए प्रति किलो, वाराणसी में 107 रुपए प्रति किलो, हैदराबाद में 98 रुपए प्रति किलो और भोपाल में 90 रुपए किलो थी। नीचे दिए ग्राफिक से जानिए टमाटर की पैदावार में कौन से राज्य आगे हैं।

एक महीने में 158 फीसदी तक बढ़ गए दाम

उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 3 जुलाई को टमाटर की औसत कीमत 55.04 रुपए किलो था, जो बीते 3 जून को 34.73 रुपए किलो था। बीते साल 3 जुलाई को टमाटर की कीमत 67.57 रुपए किलो थी। जूलाई खत्म होने के साथ टमाटर की कीमत 67.57 रुपए किलो थी और 2023 अगस्त के पहले हफ्ते में यह बढ़कर 250 रुपए किलो तक जा पहुंचा था।

पेट्रोल से दोगुना महंगा हो सकता है टमाटर

आज कई खुदरा मार्केट में टमाटर के दाम 100 रुपए के पार पहुंच चुके हैं। अभी इसके महंगे होने की रफ्तार 158 फीसदी है, जिसके और ज्यादा होने के आसार हैं। माना जा रहा है कि अभी बारिश और बाढ़, घटता उत्पादन और सप्लाई में बाधा पहुंचने की वजह से अगस्त तक इसके दाम और बढ़ सकते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि अगर यही रफ्तार रही तो यह 200 रुपए किलो के पार भी जा सकता है। यानी पेट्रोल की मौजूदा कीमतों से दोगुने दाम पर टमाटर बिक सकते हैं, क्योंकि पेट्रोल के दाम देश के कई शहरों में 100 रुपए प्रति लीटर के करीब है।

बीते साल क्यों 200 के पार पहुंचा था टमाटर

बीते साल इसी वक्त टमाटर की कीमतों में बड़ा उछाल देखने को मिला था। दिल्ली-एनसीआर, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में टमाटर की कीमतें काफी बढ़ गई थीं। बेमौसमी घटनाओं और किसानों के ज्यादा रिटर्न देने वाली फसलें उगाने से टमाटर की आपूर्ति अचानक गिर गई थी। इसी वजह से जुलाई के अंत तक खुदरा कीमतें मामूली 20 रुपए प्रति किलो से बढ़कर 200 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गईं। वहीं, दिल्ली के मदर डेयरी के सफल रिटेल स्टोर पर टमाटर 259 रुपए किलो बिका था। उस वक्त केंद्र सरकार ने अपनी एजेंसियों को आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख टमाटर उत्पादक राज्यों में टमाटर खरीदने का निर्देश दिया था। इस साल भी अगर टमाटर के भाव काबू से बाहर जाने लगेंगे तो सरकार ऐसा ही कुछ कर सकती है। नीचे ग्राफिक से समझिए, कहां कितना लाल हुआ टमाटर।

जुलाई-अगस्त में क्यों बढ़ जाते हैं टमाटर के भाव

टमाटर का उत्पादन आमतौर पर जुलाई-अगस्त और अक्टूबर-नवंबर के दौरान घट जाता है, जिससे बाजार में इसकी पैदावार में कमी आ जाती है। यह कमी टमाटर की मांग और आपूर्ति की चुनौतियों को पूरा नहीं कर पातीं। इसके अलावा, कई राज्यों में बारिश के कारण टमाटर की फसल को नुकसान पहुंचा है। देश के ज्यादातर हिस्सों में भीषण गर्मी की वजह से भी उत्पादन में गिरावट आई। इसके अलावा, पड़ोसी राज्यों से पर्याप्त मात्रा में टमाटर की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां इस बार टमाटर की फसल कम लगाई गई थी।

पड़ोसी राज्यों से कम आपूर्ति, दक्षिण से मंगाने पर लागत ज्यादा

दिल्ली की आजादपुर थोक मंडी और नागपुर के कलमना मार्केट के ट्रांसपोर्टर और कारोबारी लालचंद्र पांडेय ने बताया कि दिल्ली समेत देशभर में हफ्ते भर में टमाटर की कीमतें डेढ़ से दोगुनी हो गई हैं। इसकी वजह कारण हरियाणा और उत्तर प्रदेश से टमाटर की कम आपूर्ति है। टमाटर की आपूर्ति को पूरा करने के लिए दक्षिण के राज्यों से टमाटर मंगाए जा रहे हैं जिससे टमाटर की ढुलाई की लागत बढ़ी है। कई बार किसानों ने सही कीमत नहीं मिलने की वजह से टमाटर की फसल पर कीटनाशकों और उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं किया। इससे कई जगहों पर टमाटर की फसल बीमारियों की चपेट में आ गई। इसस टमाटर की पैदावार गिर गई और इसकी कीमतें बढ़ गईं।

अभी अगस्त तक ज्यादा राहत नहीं, टमाटर बना रहेगा लाल

लालचंद्र पांडेय के अनुसार, टमाटर की नई फसल आने में करीब 2 महीने का वक्त लग सकता है। ऐसे में अगस्त तक दाम में मामूली गिरावट आ सकती है। जुलाई के आखिर तक इसके भाव 200 के पार जा सकते हैं, क्योंकि यह वक्त भीषण बारिश और बाढ़ का भी है। दरअसल, टमाटर के पौधे जब तीन महीने के हो जाते हैं तो इनसे हफ्ते में दो बार टमाटर तोड़ सकते हैं। ये पौधे 1-2 महीने की अवधि तक फसल देते हैं। हालांकि टमाटर की पैदावार उसकी किस्मों, मिट्टी और बारिश पर ज्यादा निर्भर करती है। अगस्त के आखिर से टमाटर के दाम कम हो जाएंगे। वैसे अगर बारिश और बाढ़ का प्रकोप ज्यादा नहीं हुआ तो दक्षिण के राज्यों से टमाटर की आवक से टमाटर के बढ़ते दामों पर लगाम लग सकती है।

अमेरिका को खोजने वाला कोलंबस लाया टमाटर

आलू की तरह ही टमाटर भी दक्षिण अमेरिका से पूरी दुनिया में गया। टमाटर एंडीज पर्वतों की घाटियों में 2600 साल पहले बाकायदा उगाया जाने लगा था। यहां से यह टमाटर मैक्सिको से होता हुआ पूरी दुनिया में पहुंचा। अमेरिका की खोज करने वाले स्पेनिश यात्री कोलंबस अपने साथ टमाटर लेकर यूरोप गए। वहां से यह भारत समेत पूरी दुनिया में पहुंचा और लोगों की जुबान पर छा गया।

टमाटर में दूसरे नंबर पर भारत, प्रॉसेसिंग में फिसड्डी

दुनिया में सबसे ज्यादा टमाटर की पैदावार चीन में होती है। इसके बाद दूसरे नंबर पर भारत है। नेशनल हॉर्टिकल्चरल रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन के अनुसार, चीन 5.6 करोड़ टन उत्पादन के साथ टॉप पर है। वहीं, भारत करीब 7.89 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से लगभग 25.05 टन प्रति हेक्टेयर की औसत उपज के साथ करीब 2 करोड़ टन टमाटर का उत्पादन करता है। हालांकि, वर्ल्ड वेजिटेबल सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में टमाटर की प्रॉसेसिंग 1 फीसदी से कम है। टमाटर का इस्तेमाल पल्प, केचअप, पास्ता, अचार, पिज्जा, सॉस, ग्रेवी और रेडी टू ईट करी में किया जाता है। भारत में टमाटर की प्रॉसेसिंग की डिमांड सालाना 30 फीसदी की दर के हिसाब से बढ़ रही है। अगर, इस डिमांड को पूरी कर ली जाए तो किसानों को भी टमाटर के उचित दाम मिलेंगे और उपभोक्ताओं को भी ऐसी महंगाई नहीं झेलनी पड़ेगी।

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