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हेमंत सोरेन फिर बनेंगे झारखंड के मुखिया, पद पर काबिज होने की क्यों इतनी जल्दी?

रांची

 झारखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी एक बार फिर हेमंत सोरेन को मिल सकती है. जेएमएम के नेतृत्व वाले गठबंधन के विधायकों के बीच सर्वसम्मति के बाद पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में वापसी करने के लिए तैयार हैं. सूत्रों ने बुधवार को इसकी जानकारी दी है. पार्टी के पुराने नेता चंपई सोरेन ने पांच महीने पहले राज्य की कमान संभाली थी, जब हेमंत को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था. फिलहाल चंपई ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दियाय

दरअसल, राज्य में सत्ता परिवर्तन के संकेत मंगलवार को ही मिल गए थे, जब चंपई सोरेन के सभी सार्वजनिक कार्यक्रम रद्द कर दिए गए थे. हालांकि यह कदम इंडिया ब्लॉक के नेताओं के समर्थन के बाद ही उठाया गया है. वहीं बीजेपी ने हेमंत की वापसी के लिए एक सीनियर आदिवासी नेता को शीर्ष पद से हटाने के लिए झामुमो की आलोचना की है.

बीजेपी ने किया तंज
झारखंड बीजेपी प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने कहा कि "झामुमो ने पांच महीने पहले भाई-भतीजावाद से ऊपर उठने और एक नया मुख्यमंत्री चुनने की बात की थी, लेकिन उनका असली चेहरा एक बार फिर उजागर हो गया है." बता दें हेमंत सोरेन को 28 जून को हाई कोर्ट से जमानत मिल गई थी और एक सप्ताह से भी कम समय में उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में अपनी वापसी के लिए मंच तैयार कर लिया. हेमंत ने शीर्ष पद पर फिर कब्जा करने के लिए इतनी जल्दी क्यों कदम उठाए?

दरअसल, हेमंत सोरेन के खिलाफ ईडी का मामला अभी भी जारी है और जांच एजेंसी ने संकेत दिया है कि वह जेएमएम नेता को राहत देने वाले हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देगी.  समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि ईडी झारखंड हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति रोंगोन मुखोपाध्याय की एकल पीठ द्वारा 28 जून को पारित आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर करेगी. ऐसे में हेमंत सोरेन जांच एजेंसी द्वारा खेल बिगाड़ने से पहले ही कोई कदम उठाना चाहते हैं.

क्या चंपई को सीएम पद मजबूरी में मिला?
चंपई सोरेन पार्टी के पुराने वफादार रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि हेमंत के रिप्लेसमेंट के लिए शायद वह पहली पसंद नहीं थे. जिस पार्टी ने कभी परिवार के बाहर किसी को शीर्ष पद नहीं दिया, उसके लिए उस समय चंपई को नियुक्त करना एक मजबूरी थी. हेमंत की पत्नी कल्पना, जिनका नाम तब शीर्ष पद के लिए एक मजबूत दावेदार के रूप में उभरा था, विधायक नहीं थीं और उनके पास कोई राजनीतिक अनुभव भी नहीं था.

हालांकि, पिछले पांच महीनों में चीजें बदल गई हैं. कल्पना ने खुद को हेमंत सोरेन की अनुपस्थिति में लोकसभा चुनाव के दौरान जेएमएम के अभियान की कमान संभाली थी. साथ ही निचले सदन में पार्टी की स्थिति में सुधार भी किया है. अगर हेमंत को फिर से पद छोड़ना पड़ता है, तो कल्पना अब रिप्लेसमेंट के लिए पहली विकल्प होंगी.

विधानसभा चुनाव से पहले बड़े फेरबदल की तैयारी
हालांकि, चर्चा है कि कल्पना के मुख्यमंत्री बनने की शायद जरूरत ही न पड़े. अगर ऐसी कोई स्थिति बनती है तो हेमंत सोरेन दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप नेता अरविंद केजरीवाल के नक्शेकदम पर चल सकते हैं, जिन्होंने जेल में रहने के बावजूद मुख्यमंत्री बने रहने की मिसाल कायम की है. झारखंड में चार से पांच महीने में चुनाव होने वाले हैं और हेमंत सोरेन राज्य चुनावों में इंडिया ब्लॉक का चेहरा बनना चाहेंगे, क्योंकि 31 जनवरी को उनकी गिरफ्तारी के बाद वह लोकसभा चुनाव प्रचार से गायब रहे थे.

जेल से रिहा होने के बाद अपनी पहली सार्वजनिक रैली में हेमंत सोरेन ने दावा किया कि बीजेपी झारखंड में विधानसभा चुनाव समय से पहले कराने की साजिश कर रही है. वहीं लोकसभा चुनाव के नतीजों से जेएमएम उत्साहित है. पार्टी ने तीन सीटें राजमहल, दुमका और सिंहभूम जीती हैं, जबकि 2019 में सिर्फ एक सीट मिली थी. पार्टी को उम्मीद है कि विधानसभा चुनावों में इस सफलता का लाभ उठाकर वह बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के खिलाफ इंडिया ब्लॉक को मजबूत करेगी.

झारखंड में भारतीय जनता पार्टी को अपनी सरकार बचानी होगी. स्पष्ट रूप से झारखंड में सत्ता बरकरार रखने के लिए जेएमएम के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन को सत्ता विरोधी लहर से जूझना होगा. पांच साल पहले लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बावजूद झामुमो ने विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करते हुए रघुबर दास की बीजेपी सरकार को सत्ता से हटा दिया था.

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